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Showing posts from November, 2018

[87] Freedom Movement

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                               Q:1- How did the freedom movement start? Ans- The sepoys in East India Company were disillusioned by  their low salaries and racial discrimination in matters of  promotions and privileges. On May10,1857, the sepoys at  Meerut broke rank, turned on their commanding officers, and  killed some of them. They set the company's Toll  House on fire,   marched into Red  Fort, and asked Bahadur Shah II to  become their leader. Q: 2-The first revolutionary movement emerged from? Ans- From present-day West Bengal Q: 3-Who proposed the self-rule? Ans- Bal, Pal, Lal, Aurobindo, V.O.Chidambaram  Pillai Q:-4-  When was the Swadeshi Movement proclaimed? Ans- The Swadeshi Movement was proclaimed on August7,1905   at the Calcutta Town Hall. This Movement included the usage of  Indian-made goods now known as "Make in India." Q: 5-  When was Poorna Swaraj declared? Ans-   On 26th Jan.1930 Q: 6-    Who announced the partition of India on June 3, 1947? Ans-

[ 86 ] घोंसला [ कविता ]

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वो देखो  टूट रहा है  घोंसला चिड़िया का  बार-बार i वही होंसला, वही  हिम्मत नया   बना   रही  ,हर  बार ii एकटक  देख रही थी  मैं रो पड़ेगी-------------शायद   ,  सोच रही थी मैं i आत्म-हत्या  न कर  ले वो ----------------- मन में , विचार रही थी  मैं ii  मैं मन से कितनी  हार रही थी पर जीत रही थी मन से वो i मैं मरने की सोच रही थी पर जीने की सोच रही थी वो ii उड़ान भरी एकाएक चहचहाते, आकाश में  झट उसने i बेहाल पड़े धरती पर मुझ से अहम सवाल दागा  उसने ii जीने  के लिए मर रही  हो ?           या मर कर जीना  चाहती  हो ? मेरी मृतक सोच को जैसे  ज़ोर से  झटका दिया उसने ii मरना-जीना तो अलग-अलग हैं यह कैसा प्रश्न किया  तुमने  ? बिन पूछे ही सब कुछ शायद समझा दिया था मुझ को उसने ii पंछी जिनका नहीं एक ठिकाना हैं घर सवांरते बार-बार मैं  मानव  हो कर अनमोल जन्म को रोंद रही थी बार-बार ii नहीं, नहीं यह ठीक नहीं ये जीवन सुनहरी मौका है मरने से अच्छा  इसे सुधारूं किस ने मुझ को रोका है ? सोच लिया आज  दिन से मैंने कुछ काम करूं , कुछ काम करूं मैं जग में रह कर क्यूँ न  अपना  नाम 

[85] तुम भक्ति का सार हो i हे तुलसा त्वं नमोस्तुते [ 25 दिसम्बर]

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तुम  भक्ति का सार हो तुम   पारत्व का आधार हो i तुम   ही सती, तुम  ही सतीत्व तुम  नारी का गौरव हो तुम  तुलसी का पौधा  हो ii तुम पति के प्रति समर्पित  धर्म-रक्षा  को   तुम हो  अर्पिपित तुम भक्ति की महिमा हो  i तुम  ही सच्ची आस्था हो  , पूजा-पाठ , धर्म-कर्म में प्रसाद की तुम व्यवस्था हो  ii सकारात्मक ऊर्जा हो तुम  रोग-पीड़ा की औषध हो तुम i  बीच आंगन की  शोभा  हो तुम   धन बरसाती, खुशहाली लाती  परिवारजनों की पोषक हो तुम ii  श्री राम ने उपजाया गोमती तट पर  कृष्ण ने उपजाया वृन्दावन अशोक वाटिका में सीता जी ने पार्वती उपजाया हिमालय पर्वत सबकी पूजा से प्रसन्न हो तुमने उनको दिया मन चाहा वर ii जालन्धर की रानी तुम  कृष्ण की पटरानी तुम  तन से मन से तुम पवित्र हो  नारी जाति   के अन्तर्गत सबसे अच्छा  तुम चरित्र हो ii वृंदा, वृन्दावनी विश्वपावनी विश्वपूजिता,पुष्पसारा और नन्दिनी तुलसी ,कृष्ण जीवनी नाम तिहारे जप लेते जो पवित्र भाव से उन पर  कृष्ण   हो बलिहारे ii तुलसा  माता  सत  की  दाता, मैं  बिडला   सींचू  तेरा  तू  कर  निस्तारा 

84 ] क्या इंसान सचमुच दुखों से छुटकारा चाहता है ?

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क्या इंसान दुखों से छुटकारा पाना चाहता है ?-------- ------ भजन-कथा  -एक बार नारद वैकुण्ठ जा पहुंचे ,प्रभु के आगे उदासी से बैठे -उदासी से बैठे  बोले प्रभु-हे प्यारे नारद , मन की व्यथा कहो तुम विस्तारद-तुम विस्तारद i  मज़े से बैठे हो-नारद यूँ बोले ,दुनिया में जा कर देखो दुखी कैसे डोल रहे  दुनिया के पालक तुम कहलाते ,सुध उनकी तुम क्यूँ न लेते-क्यूँ न लेते i  भगवन् बोले-दुखी मत हो नारद ,  देखो किसे  है मुक्ति की चाहत  चाहेगा जो भी, दुःख से छुटकारा , मुक्ति मैं दूंगा उसे , ये मेरा वादा, ये मेरा वादा i  नारद उतरे साधू के वेश में ,सबसे पहले गए राजा के देश में  बोले राजन ! क्या चाहते हो ? नि:संकोच कहो  क्या इच्छा रखते हो ,क्या इच्छा रखते हो i  राजा यूँ बोला-धन-धान्य  है प्रभु ,प्रजा भी मेरे यहाँ सब ओर सुखी  प्रभु  बस इक पुत्र की तमन्ना है, हे प्रभु ! दे सकते हो तो दे दीजिए प्रभु, दे दीजिए प्रभु i 'एवमस्तु'  बोले ,चले आगे नारद,टकरा भिखारी बोले फिर ऋषि  नारद  बोलो हे मानव !क्या चाहते हो ?,नि:संकोच कहो, जो इच्छा रखते हो  बोला भिखारी- पैसा है सब कुछ ,दे दो ग