[85] तुम भक्ति का सार हो i हे तुलसा त्वं नमोस्तुते [ 25 दिसम्बर]
तुम भक्ति का सार हो
तुम पारत्व का आधार हो i
तुम ही सती, तुम ही सतीत्व
तुम नारी का गौरव हो
तुम तुलसी का पौधा हो ii
तुम पति के प्रति समर्पित
धर्म-रक्षा को तुम हो अर्पिपित
तुम भक्ति की महिमा हो i
तुम ही सच्ची आस्था हो ,
पूजा-पाठ , धर्म-कर्म में
प्रसाद की तुम व्यवस्था हो ii
सकारात्मक ऊर्जा हो तुम
रोग-पीड़ा की औषध हो तुम i
By: Nirupma Gar
तुम ही सच्ची आस्था हो ,
पूजा-पाठ , धर्म-कर्म में
प्रसाद की तुम व्यवस्था हो ii
सकारात्मक ऊर्जा हो तुम
रोग-पीड़ा की औषध हो तुम i
बीच आंगन की शोभा हो तुम
धन बरसाती, खुशहाली लाती
परिवारजनों की पोषक हो तुम ii
श्री राम ने उपजाया गोमती तट पर
कृष्ण ने उपजाया वृन्दावन
अशोक वाटिका में सीता जी ने
पार्वती उपजाया हिमालय पर्वत
सबकी पूजा से प्रसन्न हो तुमने
उनको दिया मन चाहा वर ii
वृंदा, वृन्दावनी विश्वपावनी
विश्वपूजिता,पुष्पसारा और नन्दिनी
तुलसी ,कृष्ण जीवनी नाम तिहारे
जप लेते जो पवित्र भाव से
उन पर कृष्ण हो बलिहारे ii
अशोक वाटिका में सीता जी ने
पार्वती उपजाया हिमालय पर्वत
सबकी पूजा से प्रसन्न हो तुमने
उनको दिया मन चाहा वर ii
जालन्धर की रानी तुम
कृष्ण की पटरानी तुम
तन से मन से तुम पवित्र हो
नारी जाति के अन्तर्गत
सबसे अच्छा तुम चरित्र हो ii
सबसे अच्छा तुम चरित्र हो ii
विश्वपूजिता,पुष्पसारा और नन्दिनी
तुलसी ,कृष्ण जीवनी नाम तिहारे
जप लेते जो पवित्र भाव से
उन पर कृष्ण हो बलिहारे ii
तुलसा माता सत की दाता,
मैं बिडला सींचू तेरा
तू कर निस्तारा मेरा
तुलसा माता अडुवा दे
लडुवा दे
पीताम्बर की धोती दे
मीठा -मीठा ग्रास दे
वैकुण्ठ का वास दे
चटके की चाल दे
पटके की मौत दे
चंदन की काठ दे
झालर की झीणकार दे
सांई का राज़ दे
दाल-भात का जीमन दे
ग्यारस का दिन दे
श्री कृष्ण का कांधा दे ॥
By: Nirupma Gar
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