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Showing posts from February, 2018

37 कल का भावी नेता हूँ मैं

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मैं छोटा सा बच्चा हूँ  अभी तो  नन्हा नेता हूँ चुंधिया जाएंगी दुनिया की आँखें  ऐसा सूरज़" उगता"  हूँ i शान  देश की समझ रहा हूँ  फहराता झंडा देख रहा हूँ  कैसी कुर्बानी दी थी वीरों ने इतिहास पुराना पढ़ रहा हूँ ii  पीछे न हटूँगा मैं भी कभी  सीना ५६ इंच  बनाऊंगा   वीणा  देश के गौरव की  पूरी दुनिया में बजाऊँगा i  प्रजा के लिए जीता हो जो राजा ऐसा बनूंगा मैं  अभी तो पालने में पाँव मेरे  कल बड़े करतब दिखाऊंगा मैं i कल का भावी नेता हूँ मैं कल का उगता सूरज़ हूँ मैं ii हिन्द देश की भाषा हूँ मैं  इसका आधार और आशा हूँ मैं ii  जय हिन्द !

36 My parents are the best!

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I am dear Mom"s boy And an apple,  of her eye  She cares me a lot She adores me a lot She sacrifices a lot I am her life,  Earth and Sky That's why, I say I am an apple of her eye.  In  love, papa  calls  me  " My Loving boy" With  love  he  brings  me a lot of  toys He  bounces  me  up  and gaily he enjoys His  arms fill me every time with  a  great  joy.  Love you Mom !   Love you Papa ! 

{35} धन्य धन्य तुम वीर शिवाजी -कविता

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 शिवाजी  जयंती - १९ फरवरी, 1630 धन्य,धन्य , तुम धन्य हो , बीजापुर के सामंत शाहजी, दिए देश को जो तुमने, साहसी, बहादुर ,वीर शिवाजी  i बाल्यकाल से ही उत्साही बालक ,कितने साहसी काम किये गौरव-गाथा पढ़कर उनकी, आज  भारतीय धन्य हुए ii १५ वर्ष की आयु में , कैसे ?  तोरणा किला  फतह  किया फिरन्गोज़ी नरसला का कैसे सर झुका दिया i शिवाजी तुम वीर,साहसी, जल उठा था आदिलशाह भुन कर जलन की अग्नि में,भेज दिया था  अफज़ल खां ii  तुम कूटनीति के पारखी शिवाजी खान का कपट भांप गए कपड़ों के नीचे क्वच  ले करके   दाँयी भुजा पर बाघ नकेल और बांये हाथ में ले कटार तुरंत वहां पर  पहुंंच गए ii कुछ न कर पाई कटार अफज़ल की, ज़ालिम दुश्मन ने मुँह की खाई पंगा लिया वीर के आगे,  बेमतलब ही मौत बुलाई ii शिवाजी तुम उत्साही कितने तनिक न विश्राम किया बीजापुर की सेना को  फिर से पीछे  धकेल दिया i हथियारों,घोड़ों,सैन्य सामानों से सेना को मज़बूत किया मुगल बादशाह औरंगज़ेब  कैसे तुम से  घबरा गया ii गिरफ्तार कर संभाजी संग, तुम से फिर पंगा लिया मज़दूर भेष में कैसे तुमने फिर से  उसे चकमा दिया i मिठाई की टोकरी में पुत्र ब

{34 } पीड़ा भारत माता की

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हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई, सब मेरी ही सन्तान हो तुम कैसे भूलूँ जंगे आज़ादी में  मुझे आज़ाद कराने, सब के सब कूदे थे तुम ii "इंकलाब जिंदाबाद " के नारे वाला, मेरा हसरत मोहानी था "खून दो,आज़ादी दूंगा"मेरे  सुभाष का नारा था i "सर फ़रोशी की तमन्ना " बिस्मिल ने दिल में जगाई थी "स्वतन्त्रता जन्मसिद्ध अधिकार हमारा "गंगाधर ने आवाज़ उठाई  थी ii हिन्दू,मुस्लिम,सिक्ख,ईसाई आज़ भी बोर्डर पर तैनात खड़े i मेरी रक्षा करने हेतु कर्तव्य-पथ पर हैं डटे पड़े ii  कितनी पीड़ा में हूँ मैं उधर भी युद्ध चल रहा इधर भी युद्ध हो रहा  उधर भी  लाल  मर रहा इधर भी लाल मर रहा ज़ख्म तो क्या कम होंगे मेरे  और नमक है गिर रहा  ii देश-भक्त तो पहले भी थे,क्या उन्होंने कत्ले आम किया ? बम फेंका था मेरे  भगत ने,किसी का नहीं नुक्सान किया i   आज मेरी  सन्तान  को फिर से  कोई  ललकार  रहा ii मेरी  कोख  में  फिर  से   कोई  बेरहमी  से  खंज़र घोंप  रहा ii अपनों को मार कर अपने घर में कौन सुखी हो पाया है ? सम्राट अशोक हो,या हो पांडव पछतावा हाथ ही आया है ii आपस का वैर छोड़ दो बच्

{33} विद्यार्थी जरूर पढ़ें ---भगवद्गीता में सफलता के सूत्र

भगवद्गीता में सफलता के तीन सूत्र बताए गए हैं --------ज्ञान योग, कर्मयोग, भक्ति योग i १ --ज्ञान योग -                           पढ़ने का सही तरीका कि ,समझ कर पढ़ा  जाए i   ज्ञान हो तो मनुष्य को लक्ष्य प्राप्त करने में देर नहीं लगती i ज्ञान प्राप्ति के लिए विद्यार्थियों में दो गुण अवश्य होने चाहिएं-{ क  }विद्यार्थी को मुमुक्षु अर्थात् ज्ञान की चाहना  वाला होना चाहिए i यानि उसमें पूरी लग्न होनी चाहिए i{ ख }दूसरा गुण है-वैराग्य i विद्या चाहने वाले को सुख का त्याग करना ही पड़ता है i संस्कृत में एक श्लोक है-                                     विद्यार्थी त्यजेत सुखं, सुखार्थी त्यजेत विद्यां i                                     सुखार्थी कुतो विद्या, विद्यार्थी कुतो सुखं ii कईं विद्यार्थी पढ़ाई में मन नहीं लगा पाते i गीता के छठे अध्याय में श्री कृष्ण ने स्वयं इस बात को स्वीकार है कि मन नि:संदेह चंचल, बखेडिया,बलवान,हठी यानी जिद्दी है, इसका रोकना ठीक उसी तरह कठिन है जैसे वायु यानी हवा का रोकना i परन्तु अभ्यास से मन की गति रोकी जा सकती है -                                       असंशयम्  महाबा