245 ऋषि भारद्वाज द्वारा कही गई एकादशी की महिमा

 


.ऋषि भारद्वाज द्वारा राजा बीरबाहु से कही गई  एकादशी की महिमा-

1. जो  भक्त  गीत, वाद्य, नृत्य, पुराण पाठ,  धूप,  दीप, नैवेद्य,चन्दन का लेप,  श्री कृष्ण की निष्काम  भक्ति , श्रद्धा  दान,  और उत्साह सहित  प्रत्येक पहर में  आरती एकादशी की रात्रि में करते हैं वे  प्र्भु की  असीम कृपा  पाते  हैं ।

2. जो व्यक्ति  किसी की निन्दा नहीं करते, व  इन्द्रियों पर संयम रखते  हैं वे भगवान को सदा ही प्रिय होते हैं ।

3.जो इश्वर के समीप गूगल  और  कपूर मिला  कर धूप जलाता है, वह  अपने  लाखों  जन्मों की पाप राशि को  भस्म कर सकता  है ।

4.यदि कोई कथा वाचक मिल जाए तो रात्रि  जागरण के  समय पुराण पाठ की व्यवस्था करानी  चाहिए । 

5. जो एकादशी की  रात्रि दीपदान करता है वह  एक- एक निमिष  गोदान का  फल  प्राप्त  करता  है ।

6. जो भगवान  के  समक्ष  जागरण कर  पुराण की पुस्तक वाचता है वह  ईश्वर का  सानिध्य  पा  लेता है ।

7. एकादशी  पर  भगवान  की  परिक्रमा करने  से करोडों  यग्य से  बढ  कर  फल  मिलता  है ।

8. जो  रात्रि  में  गीता का  पाठ  करता  है  या  विष्णु  सहस्त्र्नाम  का  पाठ करता  है वह  वेद - पुराणों  में  कहे गए 

     फलों  को  प्राप्त  करते  हैं । 

9. जो  एकादशी की  रात्रि को जागरण  कर  ईश्वर की  भक्ति  करता है  वह  पुनर्जन्म नहीं  लेता  ।

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