{ 81} 9 नवरात्रि माता का भोग
जगतमाते नमस्तुभ्यम नमस्तुभ्यम महेश्वरी
जगतमाते महागौरी नमस्तुभ्यम दयानिधे ii
पहला नवरात्र ----शुद्ध गाय का घी + कनेर के पुष्प
दूसरा -------------शक्कर/ पंचांग अमृत + वटवृक्ष के पत्ते या पुष्प
तीसरा -------------दूध या खीर + शंखपुष्पी पुष्प
चौथा --------------मालपुआ/ हरी इलाइची / हरा कुम्हड़ा + पीले पुष्प
पांचवां -------------एक जोड़ी केला + नीले पुष्प
छठा ---------------शहद + बेर के पेड़ के पुष्प
सातवाँ ------------ गुड़/ आधा गुड़ ब्राह्मण को दान दें, आधा प्रसाद घर रखें + गुंजामाला
आठवाँ -------------नारियल + कलावे की माला
नवाँ -----------------तिल + गुढहल के पुष्प
माता के भवन के रक्षक हनुमान :-
जयति मर्कटाधीश ,मृगराज विक्रम ,महादेव, मुद-मंगलालय, कपाली i
मोह-मद-क्रोध-कामादि-खल-संकुल,घोर संसार-निशि किरणमाली ii
अर्थात्--------
हे हनुमान जी i तुम्हारी जय हो i तुम वानरों के राजा , सिंह के समान पराक्रमी ,देवताओं में श्रेष्ठ, आनन्द और कल्याण के स्थान तथा कपालधारी शिव के अवतार हो i काम,क्रोध,मद ,मोह आदि दुष्टों से व्याप्त घोर संसार रूपी अंधकारमयी रात्री के नास्क करने वाले तुम सूर्या हो i
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माता की 108 अंकों की स्तुति देखें=Post No.-215
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