मृत्यु के समय राम नाम सत्य ही क्यों बोला जाता है, कृष्ण नाम सत्य क्यों नहीं ।
श्रोतागणों !
आप सब जानते हैं कि इस संसार में प्राणी जन्म लेते हैं और मर जाते हैं। परन्तु क्या आप जानते हैं कि मृत्यु के समय राम नाम सत्य ही क्यों बोला जाता है, कृष्ण नाम सत्य क्यों नहीं ?
त्रेता युग की बात है- लंका के राजा रावण ने ब्रह्मा जी की बहुत तपस्या की । जिससे खुश हो कर ब्रह्मा जी प्रकट हुए और बोले -हे रावण । तुम वर मांगो ! तब रावण ने सोचा कि इस पृथ्वी पर मुझ जैसा बलशाली और कोई मानव नहीं । क्यूं न मैं ब्रह्मदेव से वर मांग लूं कि मैं मानव के हाथ से ही मरूं । जब श्री हरि को पता चला तो उन्होंने राजा दशरथ के यहां पुत्र के रूप में अवतरित होने का फैंसला किया ।
हम सब संसार में जन्म लेते हैं , और अंत आने पर अपने परिजनों से बिछुड्ते-तडपते मर जाते हैं । किन्तु श्री राम अवतरित होते हैं और आसानी से खुद में ही विलीन हो जाते हैं । वे दुनिया के एकमात्र ऐसे मानव हैं जो शाश्वत और अटल सत्य हैं । वे नाशवान नहीं हैं ।
इसलिए मरे हुए प्राणी की परिजनों के लिए तडपती आत्मा को सान्तवना दी जाती है कि केवल श्री राम नाम ही सत्य है और कोई नहीं । अत: मोह त्याग कर राम का नाम लो और अपनी यात्रा सफल बनाओ ।
अब प्रश्न है कि कृष्ण नाम सत्य क्यों नहीं बोला जाता ? तो इसका सीधा व सरल उत्तर है कि श्री कृष्ण मानव अवतार नहीं अपितु सम्पूर्ण ईश्वर के अवतार हैं । श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं और श्री कृष्ण लीला पुरुषोत्तम हैं । धन्यवाद !
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