ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 986-1000

 

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निरुपमा गर्ग
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986. ॐ त्रिकोणगायै नमः- जो श्री चक्र के सबसे भीतरी त्रिभुज में निवास करती हैं जिसमें 
 बिन्दू दर्शाता है कि भगवान शिव ने शक्ति का निर्माण किया और शेष सृष्टि केवल शक्ति द्वारा बनाई 
 गई है । अत: मां ही सृष्टि की जननी हैं । मैं उस मां जगदम्बा को प्रणाम करती हूं ।
987. ॐ अन+घायै नमः - अका अर्थ है पाप, अशुद्धता, पीड़ा आदि । माता अघ नहीं अनघा अर्थात
इन सबसे परे हैं । वे पाप रहित,अत्यन्त शुद्ध स्वरूप हैं । मैं उन के इस रूप को प्रणाम करती हूं ।
988. ॐ अद्भुत चारित्रायै नमः- दुनिया से अलग, अत्यन्त पवित्र अलौकिक और अद्भुत चरित्र 
  वाली देवी भगवती को मेरा बार- बार प्रणाम। 
989. ॐ वाञ्छितार्थ प्रदायिन्यै नमः- अपने भक्तों द्वारा मांगी गई हर वस्तु प्रदान करने वाली देवी
         भगवती को प्रणाम स्वीकार हो ।  
990. ॐ अभ्यासा+तिशय ज्ञातायै नमः- जो देवी भगवती मानसिक पूजा द्वारा निरंतर अभ्यास से 
        जानी जा सकती हैं उन्हें प्रणाम, बार- बार प्रणाम हो
991. ॐ षडध्वातीत रूपिण्यै नमः-भक्ति के छ: मार्ग हैं- एक छंद या एक पंक्ति, मूर्ति पूजा, ,मंत्र,
   तथा भुवन, शिवगम के अनुसार सिद्धांत , चौंसठ प्रकार के तंत्र। आप केवल इतने तक सीमित 
 नहीं हैं, अपितु इनसे भी परे हो । अर्थात मंत्र सिद्धि के पश्चात जब साधक धीरे-धीरे सिद्धांतों और 
समय व भुवन को पार करना सीखता है तभी उसे आपको अनुभव करने का सौभाग्य प्राप्त 
होता है । आपके अगम स्वरूप को बार-बार नमस्कार हो ।
992. ॐ अव्याज करुणा मूर्तये नमः- अव्याज अर्थात”दिखावा न करना।“ करुणा आपका गुण है ।
 आप दयालु होने का दिखावा नहीं करती, इसलिए जगत आपको करुणावतारा कह कर पुकारता है । 
आपको  बार-बार नमस्कार हो ।
993. ॐ अज्ञान ध्वान्त दीपिकायै नमः-हे देवी भगवती । आप अज्ञान के अंधकार को दूर कर ज्ञान 
रूपी प्रकाश फैलाने वाला दीपक हो । आपको बार – बार  नमस्कार हो । 
994. ॐ आबाल गोप विदितायै नमः- आप सभी के द्वारा अर्थात बच्चों से ले कर  ग्वाल बाल तक
       द्वारा जानी जाती हो । आपको बार – बार नमस्कार हो । 
995. ॐ सर्वानुल्लङ्घ्य शासनायै नमः- आप सर्वोपरि हैं, समस्त ब्रह्माण्ड द्वारा पूजी जाती हैं । 
       कोई भी आपकी आग्या का उल्लंघ्न नहीं करता । आपको बार – बार नमस्कार हो । 
996. ॐ श्रीचक्र राज निलयायै नमः- आप श्रीचक्र राज अर्थात श्रीयंत्र में निवास करती हैं
        आपको नमस्कार, बार – बार नमस्कार हो ।  
997. ॐ श्रीमत्त्रिपुरसुन्दर्यै नमः- आप सृजन, पालन और संहार करने वाली त्रिपुर सुन्दरी हो । 
      आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।  
998. ॐ श्रीशिवायै नमः- आप शिव की सर्वोच्च शक्ति हो जो उनकी पत्नी के रूप में साकार हुई हो, 
       आपको नमस्कार, बार – बार नमस्कार हो ।  
 999. ॐ शिव शक्त्यैक्य रूपिण्यै नमः आप शाश्वत रूप से भगवान शिव से अविभाज्य स्वरूप हो
         अर्थात अर्धनारीश्वरा हो । आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।   
1000. ॐ ललिताम्बिकायै नमः- ललिता का अर्थ है- क्रीड़ा करना, खेला जानामासूम, कोमल, 
    और आकर्षकहे श्री माता !  इनमें से प्रत्येक अर्थ आपकी प्रकृति और रूप के साथ पूरी तरह 
   मेल खाता है तथा सृष्टि की रचना व उसे सुचारू रूप से चलाना आपके बांय हाथ का खेल है । 
अत: इस सहस्त्रनाम का पहला नाम ललिताम्बिका से शुरू होता है ।  आपको नमस्कार, बार-बार
 नमस्कार हो । कोटि – कोटि नमस्कार ।
    हे माता । मुझ से जो भी आपकी वंदना में त्रुटियां हुई हैं उनके लिए आप मुझे क्षमा करें, मुझे अभय

 दान दें । मुझे ऐसी  परम पवित्र भक्ति प्रदान करें जिसमें कोई खोट न हो, कोई दोष न हो, कोई

 विकार न हो । जय मां ।   
 ॥ ॐ तत्सत् ब्रह्मार्पणमस्तु ॥ 
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