ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या 847-861

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-----------------------निरुपमा गर्ग

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847.  ॐ तलोदर्यै नमः- हे त्रिपुर सुन्दरी । तल अर्थात पृथ्वी के आधार रूप में आपको

बार- बार नमस्कार हो ।

848.  ॐ उदारकीर्तये नमः- आपकी उदारता की कीर्ति सम्पूर्ण जगत में

 विख्यात है, आपको बार- बार नमस्कार हो ।

849.  ॐ उद्दामवैभवायै नमः- "नमन है आपकी शक्ति को जो महान और अद्भुत है।"

850.  ॐ वर्णरूपिण्यै नमः- आप "वर्ण" (अक्षर, भाषा) और "रूपिणी"

 (रूप धारण करने वाली) शब्दों का संयोजन हो तथा मंत्रों का शुद्ध उच्चारण 

आपकी स्तुति की एक कला है जो साधक को पूजा का पूरा फल प्रदान करती है |

851. ॐ जन्म मृत्यु जरा तप्तज विश्रान्ति दायिन्यै नमः- आप जन्म, मृत्यु, और बुढ़ापे (जरा) से पीड़ित लोगों को शांति और आराम प्रदान करती हैं, आपको मेरा नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।"

852. ॐ सर्वोपनिषदुद् घुष्टायै नमः- ", सर्वोपरि, सभी उपनिषदों के द्वारा महिमा मण्डित की गई देवी को नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।" 

853. ॐ शान्त्यतीता कलात्मिकायै नमः- असीम शान्त व कलात्मक रूपा को नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।" 

854. ॐ गम्भीरायै नमः- [ गं- गणपति, भी- भय, रा- दूर भगाना ] अर्थात हे गजानन- माता ! आप सब के दु:ख, भय, शोक आदि को दूर करने वाली अथाह शक्ति हो । आपको

नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।" 

855. ॐ गगनान्त स्थायै नमः- आप आकाश में स्थायी रूप से रहती हो और वायु, जल, अग्नि,

पृथ्वी और आकाश- इन पांचों तत्वों का प्रतिनिधित्व करती हो । आपको नमस्कार, बार- बार

 नमस्कार हो ।" 

856. ॐ गर्वितायै नमः – यद्यपि पके पास गर्व करने के बहुत से कारण हैं फिर भी आप 

        निर्मदा अर्थात अभिमान रहित हो । आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।" 

857. ॐ गान लोलुपायै नमः – हे संगीत-प्रिया । आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।" 

858. ॐ कल्पना रहितायै नमः-  कल्पना (कल्पना) से परे, अर्थात् निर्गुण रूप से अस्तित्व में 

           रहने वाली देवी को प्रणाम स्वीकार हो । 

859. ॐ काष्ठायै नमः- कठोपनिषद (I.iii.11) में कहा गया है, " सा काष्ठा सा परा गतिः "

  अर्थात  "वह अ‍र्थात आप चरम सीमा, परम गति और अन्तिम सत्य हैं । 

"न इति" अर्थात आप से आगे और कुछ भी नहीं है ।

860. ॐ अकान्तायै नमः- मैं देवी अकान्ता को नमन करती हूँ जो "सृष्टि में प्रेम, सौंदर्य और आनंद का प्रतीक हैं ।

861. ॐ कान्तार्ध विग्रहायै नमः – हे अर्धनारीश्वरा ! आपको शत-शत प्रणाम ।

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