ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 400 - 449

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----------------------------------------------निरुपमा गर्ग

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before Navratri 2025.

400. ॐ व्यापिन्यै नमः- जो सर्वव्यापी हैं, 
401. ॐ विविधाकारायै नमः- जिनके अनेक रूप हैं,
402. ॐ विद्या-अविद्या स्वरूपिण्यै नमः- जो ज्ञान और अज्ञान दोनों का स्वरूप हैं, तथा-
403. ॐ महाकामेश नयन कुमुदा+हलाद कौमुद्यै नमः-जिन्हें देख कर महाकामेश भगवान शिव
 के नेत्र  चाँद के चमकने पर खिले कमल के फूल की तरह खुल जाते हैं, उन्हें नमस्कार,
   बार-बार नमस्कार ।
404. ॐ भक्तहार्द तमोभेद भानुमद्भानु सन्तत्यै नमः- -जो अपने भक्तों के हृदय में
सूर्य की किरण की भांति अंधकार को दूर करती हैं 
405. ॐ शिवदूत्यै नमः- जो शिव की संदेशवाहक हैं 
406. ॐ शिवाराध्यायै नमः- जिनकी शिव पूजा करते हैं, तथा-
407. ॐ शिवमूर्त्यै नमः- जिका रूप स्वयं शिव है,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।
408. ॐ शिवङ्कर्यै नमः- जो अपने भक्तों को शिव में बदल देती हैं अर्थात
  समृद्धि (शुभता, खुशी) प्रदान करती हैंं, 
409. ॐ शिवप्रियायै नमः - जो शिव की प्रिया हैं, 
410. ॐ शिवपरायै नमः- जो पूर्णतः शिव को समर्पित हैं, तथा- 
411. ॐ शिष्टेष्टायै नमः- जो धर्मी लोगों से प्रेम करती हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार । 
412. ॐ शिष्टपूजितायै नमः- जो हमेशा धर्मात्मा लोगों द्वारा पूजी जाती हैं, 
413. ॐ अप्रमेयायै नमः- जो इन्द्रियों से अथाह हैं, 
414. ॐ स्वप्रकाशायै नमः- जो स्वयं प्रकाशमान हैं, तथा-
415. ॐ मनोवाचाम गोचरायै नमः- जो मन और वाणी की सीमा से परे हैं,उन्हें नमस्कार, 
  बार-बार नमस्कार । 
416. ॐ चिच्छक्त्यै नमः- जो चेतना की शक्ति हैं,
417. ॐ चेतनारूपायै नमः- जो चेतना का रूप हैं, 
418. ॐ जडशक्त्यै नमः- जो माया हैं जिन्होंने स्वयं को शक्ति के रूप में परिवर्तित 
 कर लिया है, तथा-
419. ॐ जडात्मिकायै नमः- जो जड़ जगत के रूप में हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार । 
420. ॐ गायत्र्यै नमः- जो गायत्री मंत्र हैं, 
421. ॐ व्या हृत्यै नमः- जिनके पास वाणी की शक्ति है, 
422. ॐ सन्ध्यायै नमः- जो गोधूलि के रूप में हैं, तथा- 
423. ॐ द्विज वृन्द निषेवितायै नमः- जिनकी पूजा द्विजों द्वारा की जाती है,उन्हें नमस्कार,
  बार-बार नमस्कार ।
424. ॐ तत्त्वासनायै नमः- जो तत्त्व में निवास करती हैं, 
425. ॐ तत्त्वमयै  नमः- जो परम सत्य हैं,  
426. ॐ तुभ्यं नमः- जिसे 'तू' कहकर संदर्भित किया जाता है, तथा-
427. ॐ अय्यै नमः- -जो प्रेम से “मां” पुकारने पर कृपा बरसाती हैं,उन्हें नमस्कार, 
  बार-बार नमस्कार । 
428. ॐ पञ्च कोशान्तर स्थितायै नमः- जो पाँच कोशों में निवास करती हैं, 
 429. ॐ निःसीम महिम्ने नमः- जिनकी महिमा अपरंपार है,
430. ॐ नित्य यौवनायै नमः- जो सदैव युवा रहती हैं, तथा-
431. ॐ मदशालिन्यै नमः- जिनके चेहरे पर मदहोशी झलकती है,उन्हें नमस्कार, 
    बार-बार नमस्कार । 
432. ॐ मद घूर्णित रक्ताक्ष्यै नमः- जिसकी आंखें लाल हैं,
433. ॐ मदपाट लगण्डभुवे नमः- जिनके गाल आनंद से गुलाबी हैं,
434. ॐ चन्दन द्रव दिग्धाङ्ग्यै नमः- जिनका शरीर चंदन के लेप से लिपटा हुआ है, तथा-
435. ॐ चाम्पेय कुसुम प्रियायै नमः- जिनका प्रिय पुष्प चंपक है,उन्हें नमस्कार, 
     बार-बार नमस्कार ।
436. ॐ कुशलायै नमः—जो हर प्रकार से कुशल हैं, 
437. ॐ कोमलाकारायै नमः- जो रूप में बहुत कोमल और सुंदर हैं, 
438. ॐ कुरुकुल्लायै नमः- -जो कुरुविंद माणिक में निवास करती हैं, तथा-  
439. ॐ कुलेश्वर्यै नमः- जो कुलज्ञाता, ज्ञाता और परब्रह्म की त्रयी- अर्थात वेदत्रयी, 
  लोकत्रयी, देवत्रयी का ज्ञान  रखती हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।
 440. ॐ कुल कुण्डाल यायै नमः- जो कुलकुण्ड (ब्रह्माण्ड के मध्य बिन्दु) में निवास करती है
441. ॐ कौलमार्ग तत्पर सेवितायै नमः- जिनकी पूजा कौल परंपरा के प्रति समर्पित 
 लोगों द्वारा की जाती है
442. ॐ कुमारगण नाथाम्बायै नमः- जो कुमार (सुब्रह्मण्यम) और गणपति (गणपति) की
  माता हैं, तथा-
443. ॐ तुष्ट्यै नमः- जो सदैव संतुष्ट रहती हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार । 
444. ॐ पुष्ट्यै नमः- जो पोषण की शक्ति हैं, 
445. ॐ मत्यै नमः- जो बुद्धि के रूप में प्रकट होती हैं, 
446. ॐ धृत्यै नमः- जो धैर्यवान हैं, 
447. ॐ शान्त्यै नमः- जो शांत स्वरूपा हैं, 
448. ॐ स्वस्ति मत्यै नमः- जो परम सत्य हैं,तथा- 
449. ॐ कान्त्यै नमः- जो अति तेजस्वी हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।
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