ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 328 - 358
---------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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328. ॐ कलालापायै नमः- जो संगीतमय और मधुर बोलती हैं,
329. ॐ कान्तायै नमः- जो सुन्दर हैं,
330. ॐ कादम्बरीप्रियायै नमः- जो कादम्बरी [मधु] की शौकीन हैं, तथा-
331. ॐ वरदायै नमः- जो उदारता से वरदान देती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
332. ॐ वाम नयनायै नमः- जिनकी आंखें सुन्दर हैं,
333. ॐ वारुणी मद विह्वलायै नमः- जो वारुणी (अमृत पेय) से नशे में हैं,
334. ॐ विश्वाधिकायै नमः- जो ब्रह्मांड से परे हैं, तथा-
335. ॐ वेद वेद्यायै नमः- जो वेदों के माध्यम से जानी जाती हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
336. ॐ विन्ध्याचल निवासिन्यै नमः- जो विंध्य पर्वत में निवास करती हैं,
337. ॐ विधात्र्यै नमः- जो इस ब्रह्मांड का निर्माण और पालन करती हैं,
338. ॐ वेदजनन्यै नमः- जो वेदों की माता हैं, तथा-
339. ॐ विष्णुमायायै नमः- जो विष्णु की मायावी शक्ति हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
340. ॐ विलासिन्यै नमः- जो चंचल हैं,
341. ॐ क्षेत्रस्वरूपायै नमः- जिनका शरीर क्षेत्रस्वरूप है,
342. ॐ क्षेत्रेश्यै नमः- जो क्षेत्रेश (शिव) की पत्नी हैं, तथा-
343. ॐ क्षेत्र क्षेत्रज्ञ पालिन्यै नमः- जो क्षेत्र की रक्षक और क्षेत्रज्ञ की ज्ञाता हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
344. ॐ क्षयवृद्धि विनिर्मुक्तायै नमः- जो विकास और क्षय से मुक्त हैं,
345. ॐ क्षेत्रपाल समर्चितायै नमः- जिनकी पूजा क्षेत्रपाल (शिशु रूप में शिव) द्वारा की
जाती है,
346. ॐ विजयायै नमः- जो सदैव विजयी हैं, तथा-
347. ॐ विमलायै नमः- जो अशुद्धता के लेश मात्र से रहित हैं, उन्हें नमस्कार,
बार-बार नमस्कार हो ।
348. ॐ वन्द्यायै नमः- जो पूजनीय अर्थात पूजा के योग्य हैं,
349. ॐ वन्दारुजन वत्सलायै नमः- जो अपनी पूजा करने वालों के लिए
मातृ प्रेम से भरी हुई हैं,
350. ॐ वाग्वादिन्यै नमः— जो वाग्वादिनी [मधुरभाषी तथा बोलने में चतुर] हैं, तथा-
351. ॐ वामकेश्यै नमः- जिनके बाल सुन्दर हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
352. ॐ वह्नि मण्डल वासिन्यै नमः- जो वह्नि अर्थात अग्नि चक्र में निवास करती हैं,
353. ॐ भक्ति मत्कल्प लतिकायै नमः- जो अपने भक्तों की इच्छा-पूर्ति अर्थात कल्पलता हैं,
354. ॐ पशुपाश विमोचिन्यै नमः- जो अज्ञानी को बंधन से मुक्त करती हैं, तथा-
355. ॐ संहृता शेष पाषण्डायै नमः- जो सभी विधर्मियों का नाश करती हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
356. ॐ सदाचार सदाचार प्रवर्तिकायै नमः- जो सही आचरण के लिए प्रेरित करती हैं,
357. ॐ ताप त्रयाग्नि सन्तप्त समा ह्लादन चन्द्रिकायै नमः— जो चाँदनी है जो दुःख की
त्रिविध अग्नि से संतप्त लोगों को खुशी देती हैं, तथा-
358. ॐ तरुण्यै नमः- जो सदैव युवा रहती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
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