ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 30-59
-----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
30. ॐ कामेशबद्ध माङ्गल्य सूत्र शोभित कन्धरायै नमः- कामेशबद्ध अर्थात जिनकी
गर्दन में कामेश्वर द्वारा बंधा हुआ पवित्र धागा चमक रहा है,
31. ॐ कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्वितायै नमः- जिनकी भुजाएँ सुन्दर रूप से
कनकाङ्गद केयूर अर्थात कनक यानी स्वर्ण बाजूबंदों से सजी हुई हैं, तथा-
32. ॐ रत्नग्रैवेय -चिन्ताक-लोल -मुक्ता फलान्वितायै नमः- रत्नग्रैवेय अर्थात जिनकी गर्दन रत्नजड़ित स्वर्ण पेंडेंट और मोतियों की माला से शोभायमान है उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
33 से ले कर 43 तक मां के सभी अंगों का वर्णन है । हमारा उद्देश्य केवल मां के चरणों पर ही ध्यान केन्द्रित करना है अत: मां के अंगों की व्याख्या वर्जित की गई है ।
33.ॐ
कामेश्वर प्रेम रत्नमणि प्रतिपण स्तन्यै नमः।
34.ॐ नाभ्याल वाल रोमालि लताफल कुचद्वय्यै नमः।
35.ॐ
लक्ष्य रोम लता धारता समुन्नेय मध्यमायै नमः।
36.ॐ
स्तनभार दलन्मध्य पट्टबन्ध वलित्रयायै नमः ।
37.ॐ
अरुणा रुण कौसुम्भ वस्त्र भास्वत्कटी तट्यै नमः ।
38.ॐ
रत्न किङ्किणि कारम्यर शनादाम भूषितायै नमः ।
39.ॐ
कामेश ज्ञात सौभाग्यमार्द वोरु द्वयान्वि+तायै नमः ।
40.ॐ
माणिक्य मुकुटाकार जानु द्वय विराजिता+यै नमः ।
41.ॐ
इन्द्रगोप परि क्षिप्त स्मरतूणा भजङ्घिका+यै नमः ।
42.ॐ
गूढ गुल्फायै नमः ।
43.ॐ
कूर्म पृष्ठ जयिष्णु प्र पदान्विता+ यै नमः ।
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44.ॐ नख दीधिति सञ्छन्न नमज्जन तमोगुणा+यै नमः–[ नमज्जन तमोगुणा ] अर्थात
जो अपने भक्तों के तमोगुण रूपी अंधकार को + [नख दीधिति सञ्छन्न ] अर्थात अपने नाखूनों की चमक से दूर कर देती हैं , उन्हें
नमस्कार, बार-बार नमस्कार है ।
45. ॐ पद द्वय प्रभाजाल पराकृत सरो रुहायै नमः–जिनके पद [ द्वय ]अर्थात दोनों पैर+ [सरो रुहायै ] अर्थात कमल पुष्पों+ से भी सुन्दर हैं,
46. ॐ शिञ्जान मणिमञ्जीर मण्डित श्रीपदाम्बुजायै नमः– [ श्रीपदाम्बुजा ] अर्थात जिन्होंने अपने पैरों में [ मणिमञ्जीर मण्डित ] अर्थात रत्नजड़ित,[ शिञ्जान ] अर्थात मधुर झनकारती पायलें पहनी हुई हैं, तथा-
47. ॐ मराली मन्द गमनायै नमः-[ मराली मन्द गमनायै ] अर्थात जिनकी चाल हंस की तरह धीमी और कोमल है उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
48. ॐ महा लावण्य शेवधये नमः– अर्थात जिनके पास परम सौन्दर्य का भण्डार है,49. ॐ सर्वा रुणायै नमः–जिनके सभी पहलुओं में भोर का लाल रंग है,
50. ॐ नवद्याङ्ग्यै नमः–जिनके अंगों के सौन्दर्य का वर्णन नहीं किया जा सकता, तथा-
51. ॐ सर्वाभरणभूषितायै नमः- जो सभी प्रकार के आभूषणों से शोभायमान हैं, उन्हें
नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
52. ॐ शिव कामेश्वराङ्क स्थायै नमः– जो कामेश्वराङ्क अर्थात शिव की गोद में बैठती हैं, जो
इच्छाओं पर विजय प्राप्त करने वाली हैं,
53. ॐ शिवायै नमः–जो भगवान शिव की परम शक्ति हैं, तथा-
54. ॐ स्वाधीनवल्लभायै नमः–जिनके पति उनके वश में हैं । उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो ।
55.ॐ सुमेरु शृङ्ग मध्यस्थायै नमः- सुमेरु शृङ्ग
अर्थात जो सुमेरु पर्वत के मध्यस्थायै अर्थात
मध्य
शिखर पर विराजमान हैं,
56. ॐ श्रीमन्नगर नायिकायै नमः–जो श्री अर्थात समृद्धि की स्वामिनी है
57. ॐ चिन्तामणि गृहान्त स्थायै नमः- चिन्तामणि गृहान्त अर्थात जो चिन्तामणि से बने घर में
[ स्थायै ]अर्थात निवास करती है,
58. ॐ पञ्च ब्रह्मासन स्थितायै नमः–जो ब्रह्मा, विष्नु,रुद्रष्नु,रुद्र, एसाना और सदाशिव-इन
पांच ब्रह्माओं से बने आसन पर बैठती है, तथा-
59. ॐ महापद्मा ट्वीसंस्थायै नमः- जो महान कमल वन में निवास करती है, उन्हें नमस्कार,
बार-बार नमस्कार हो ।
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