ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 280 - 327
-----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
280. ॐ पद्मनाभ सहोदर्यै नम:- जो भगवान विष्णु की बहन हैं,
281. ॐ उन्मेष निमिषोत्पन्न विपन्न भुवना वल्यै नमः- जो अनेक संसारों को उत्पन्न
और लुप्त कर देती हैं, तथा-
282. ॐ सहस्र शीर्ष वदनायै नमः- जिनके हज़ार सिर और चेहरे हैं, उन्हें नमस्कार,
बार-बार नमस्कार हो ।
283. ॐ सहस्राक्ष्यै नमः- जिनकी हज़ार आँखें हैं,
284. ॐ सहस्रपदे नमः- जिनके पास एक हजार पैर हैं,
285. ॐ आब्रह्म कीट जनन्यै नमः- जो ब्रह्मा से लेकर कीट तक सबकी माता हैं, तथा-
286. ॐ वर्णाश्रम विधायिन्यै नमः- जिन्होंने जीवन में सामाजिक विभाजन की
व्यवस्था स्थापित की, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
287. ॐ निजाज्ञारूप निगमायै नमः- जिनकी आज्ञाएँ वेदों का रूप लेती हैं,
288. ॐ पुण्या+पुण्यफलप्रदायै नमः- जो अच्छे और बुरे दोनों कर्मों का फल बांटती हैं,
289. ॐ श्रुतिसीमन्त सिन्दूरीकृत पादाब्ज धूलिकायै नमः- जिनके पैरों की धूल से सिंदूर
बनता है, तथा-
290. ॐ सकलागम सन्दोह शुक्ति सम्पुट मौक्तिकायै नमः- जो सभी शास्त्रों से बने शंख
में बंद मोती के समान हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
291. ॐ पुरुषार्थप्रदायै नमः- जो मानव जीवन की (चार गुना) वस्तुओं को प्रदान करती हैं,
292. ॐ पूर्णायै नमः- जो सदैव पूर्ण हैं, जिनकी न वृद्धि होती है न क्षय,
293. ॐ भोगिन्यै नमः- जो भोक्ता हैं, तथा-
294. ॐ भुवनेश्वर्यै नमः- जो ब्रह्मांड की शासक हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
295. ॐ अम्बिकायै नमः- जो ब्रह्मांड की माँ हैं,
296. ॐ अनादि निधनायै नमः- जिनका न आदि है, न अंत है,
297. ॐ हरि ब्रह्मेन्द्र सेवितायै नमः- जो ब्रह्मा, विष्णु और इंद्र द्वारा परिचरित हैं,
298. ॐ नारायण्यै नमः- जो नारायण की स्त्री प्रतिरूप हैं,
299. ॐ नादरूपायै नमः- जो ध्वनि के रूप में हैं, तथा-
300. ॐ नामरूप विवर्जितायै नमः- जिसका कोई नाम या रूप नहीं है,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
301. ॐ ह्रीङ्कार्यै नमः- जो 'हृं' अक्षर का रूप हैं,
302. ॐ ह्रीमत्यै नमः- "ह्रीम" जो विनय से संपन्न हैं,
303. ॐ हृद्यायै नमः- जो हृदय में निवास करती हैं, तथा-
304. ॐ हेयोपादेय वर्जितायै नमः- जिनके पास अस्वीकार करने या स्वीकार करने
के लिए कुछ नहीं हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
305. ॐ राज राजार्चितायै नमः- जिनकी पूजा राजाओं के राजा द्वारा की जाती है,
306. ॐ राज्ञै नमः- जो शिव की रानी हैं,
307. ॐ रम्यायै नमः- जो आनंद-दायनी हैं,
308. ॐ राजीव लोचनायै नमः- जिनकी आंखें राजीव (कमल) के समान हैं, तथा-
309. ॐ रञ्जन्यै नमः- जो मन को प्रसन्न करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
310. ॐ रमण्यै नमः- जो आनंद और प्रसन्नता का भी प्रतीक हैं,
311. ॐ रम्यायै नमः— जो आनन्दमयी हैं,
312. ॐ रणत्किङ्किणि मेखलायै नमः- जो झनझनाती घंटियों की करधनी पहनती हैं,
313. ॐ रमायै नमः- जो लक्ष्मी और सरस्वती स्वरूपा हैं, तथा-
314. ॐ राकेन्दु वदनायै नमः- जिनका चेहरा पूर्णिमा के चाँद की तरह रमणीय हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
315. ॐ रतिरूपायै नमः- जो कामदेव की पत्नी रति के रूप में हैं,
316. ॐ रतिप्रियायै नमः- जो रति से प्रेम करती है; तथा रति द्वारा सेवित हैं
317. ॐ रक्षात्कर्यै नमः- जो रक्षक की भांति रक्ष। करती हैं, तथा-
318. ॐ राक्षसघ्न्यै नमः- जो राक्षसों की पूरी जाति का वध करने वाली हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
319. ॐ रामायै नमः- जो आनंद देती हैं,
320. ॐ रमणलम्पटायै नमः- जो अपने हृदय के स्वामी भगवान शिव को समर्पित हैं,
321. ॐ काम्यायै नमः- जो काम्या अर्थात सुन्दर व आकर्षक हैं, तथा-
322. ॐ कामकलारूपायै नमः- जो कामकला का रूप हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
323. ॐ कदम्ब कुसुम प्रियायै नमः- जिन्हें कदम्ब के पुष्प प्रिय हैं,
324. ॐ कल्याण्यै नमः- जो शुभता प्रदान करती है,
325. ॐ जगतीकन्दायै नमः- जो सारे जगत का मूल हैं,
326. ॐ करुणा रस सागरायै नमः- जो करुणा की सागर हैं, तथा-
327. ॐ कलावत्यै नमः- जो सभी कलाओं की अवतार हैं, उन्हें नमस्कार,
बार-बार नमस्कार हो ।
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