ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 250 - 279
----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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250. ॐ पञ्च ब्रह्म स्वरूपिण्यै नमः- जिनका स्वरूप पाँच ब्रह्माओं (ब्रह्मा, विष्णु, रुद्र,
महेश्वर और सदाशिव) से बना है,
251. ॐ चिन्मय्यै नमः- जो स्वयं चेतना हैं, तथा-
252. ॐ परमानन्दायै नमः- जो परम आनंद हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
253. ॐ विज्ञान घन रूपिण्यै नमः- जो सर्वव्यापी ठोस बुद्धि का अवतार हैं,
254. ॐ ध्यान ध्यातृध्येय रूपायै नमः- जो ध्यान, ध्यानी और ध्येय के रूप
में चमकती हैं,
255. ॐ धर्माधर्म विवर्जितायै नमः- जो पुण्य और पाप दोनों से रहित हैं, तथा-
256. ॐ विश्वरूपायै नमः- जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड- स्वरूप हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
257. ॐ जागरिण्यै नमः- जो जागृत अवस्था में हैंं,
258. ॐ स्वपन्त्यै नमः- जो स्वप्न अवस्था में हैं,
259. ॐ तैजसात्मिकायै नमः- जो तैजस अर्थात मन की तेज और स्पष्ट अवस्था
की आत्मा हैं,तथा-
260. ॐ सुप्तायै नमः- जो गहन निद्रा अवस्था में हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
261. ॐ प्राज्ञात्मिकायै नमः- जो प्रज्ञा (गहरी नींद) से अलग नहीं हैं,
262. ॐ तुर्यायै नमः- जो तुर्या अवस्था में हैं (चौथी अवस्था जिसमें
आत्मा की परम अनुभूति प्राप्त होती है)
263. ॐ सर्वावस्था विवर्जितायै नमः- जो जन्म से लेकर मृत्यु तक सभी
अवस्थाओं से परे हैं, तथा-
264. ॐ सृष्टिकर्त्र्यै नमः- जो सृष्टि की निर्माता हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
265. ॐ ब्रह्मरूपायै नमः- जो ब्रह्म रूप में हैं,
266. ॐ गोप्त्र्यै नमः- जो रक्षा करती हैं,
267. ॐ गोविन्द रूपिण्यै नमः- जिन्होंने ब्रह्मांड का संरक्षण करने के लिए
गोविंदा (विष्णु) का रूप धारण किया है, तथा-
268. ॐ संहारिण्यै नमः- जो ब्रह्मांड की विनाशक हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
269. ॐ रुद्ररूपायै नमः- ब्रह्माण्ड के विघटन के लिए जिन्होंने रुद्र रूप धारण किया है,
270. ॐ तिरोधानकर्यै नमः- जो प्रलय का कारण बनती है और ब्रह्मांड को लुप्त कर
देती हैं,
271. ॐ ईश्वर्यै नमः- जो सबकी रक्षा करती हैं और उन पर शासन करती हैं, तथा-
272. ॐ सदाशिवायै नमः- जो सदाशिव हैं, जो सदैव शुभ प्रदान करती हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
273. ॐ अनुग्रहदायै नमः- जो आशीर्वाद दिए बिना किसी को खाली नहीं भेजतींं,
274. ॐ पञ्चकृत्य परायणायै नमः- जो पाँच कार्यों (सृजन, संरक्षण, विनाश, सर्वनाश
और पुनः प्रकटन) में परायण हैं,
275. ॐ भानु मण्डल मध्यस्थायै नमः- जो सूर्य की डिस्क के केंद्र में रहती हैं, तथा-
276. ॐ भैरव्यै नमः- जो भैरव (शिव) की पत्नी हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
277. ॐ भगमालिन्यै नमः- जो छह श्रेष्ठताओं-शुभता, श्रेष्ठता, यश, वीरता, वैराग्य और
ज्ञान) से बनी माला पहनती हैं,
278. ॐ पद्मासनायै नमः- जो कमल के फूल पर बैठी हैं, तथा-
279. ॐ भगवत्यै नमः- जो सब प्रकार से संसार को संरक्षण देने वाली देवी भगवती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
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