ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 138 - 168
-------------------------------------------------निरुपमा गर्ग
138. ॐ निराकुलायै नमः— जिन्हें भ्रमित लोगों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता,
139. ॐ निर्गुणायै नमः- जो प्रकृति के तीनों गुणों अर्थात सत्व, रज और तम से परे हैं,
140. ॐ निष्कलायै नमः- जो निष्काम हैं, तथा-
141. ॐ शान्तायै नमः— जो शांत मूरत हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो
।
142. ॐ निष्कामायै नमः- जो इच्छा रहित हैं,
143. ॐ निरुप+प्लवायै नमः- जो अविनाशी हैं,
144. ॐ नित्यमुक्तायै नमः- जो सांसारिक बंधनों से सदैव मुक्त हैं, तथा-
145. ॐ निर्विकारायै नमः- जो अपरिवर्तनशील हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो
।
146. ॐ निष्प्र पञ्चायै नमः- जो इस संसार से परे हैं,
147. ॐ निराश्रयायै नमः- जो किसी चीज़ पर निर्भर नहीं हैं,
148. ॐ नित्यशुद्धायै नमः- जो नित्य शुद्ध हैं, तथा-
149. ॐ नित्यबुद्धायै नमः- जो सदैव बुद्धिमान
हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो
।
150. ॐ निरवद्यायै नमः- जो निर्दोष है या वह जो प्रशंसनीय हैं,
151. ॐ निरन्तरायै नमः- जो निरंतर हैं,
152. ॐ निष्कारणायै नमः- जो अकारण हैं, तथा-153. ॐ निष्कलंकायै नमः- जो निष्कलंक हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
154. ॐ निरुपाधये नमः- जो किसी भी प्रकार से बंधी हुई नहीं है,
155. ॐ निरीश्वरायै नमः- जो निरीश्वर हैं,
156. ॐ नीरा+गायै नमः- जिसकी कोई इच्छा नहीं है, तथा-
157. ॐ राग मथन्यै नमः- जो इच्छाओं का दमन
करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
158. ॐ निर्मदायै नमः- जो अभिमान रहित हैं,
159. ॐ मदनाशिन्यै नमः- जो अभिमान का नाश करती
हैं,
160. ॐ निश्चिन्तायै नमः- जिन को किसी भी बात
की चिंता नहीं हैं,
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