238 देव उठनी एकादशी गीत


 

उठो देव बैठो देव भजन -


उठो देव बैठो देव - पाटकली चटकाओ देव
आषाढ़ में सोए देव - कार्तिक में जागे देव
कोरा कलशा मीठा पानी - उठो देव पियो पानी    
हाथ पैर फटकारो देव - आंगुलियां चटकाओ देव
कुवारों के ब्याह कराओ देव-ब्याह के गौने कराओ देव
तुम पर फूल चढ़ाए देव-घी का दीया जलाये देव
आओ देव पधारो देव-तुमको हम मनाएं देव
चूल्हा पीछे पांच पछीटा- सासू जी बलदाऊ तुम्हारे बेटा 

ओने कोने झांझ मंजीरा - सहोदर किशन जी तुम्हारे वीरा
ओने कोने रखे अनार ये है किशन जी तुम्हारे यार
ओने कोने लटकी चाबी सहोदरा ये है तुम्हारी भाभी
जितनी खूंटी टांगो सूट - उतने इस घर जन्मे पूत

जितनी इस घर सीक सलाई-उतनी इस घर बहुएं आईं

जितनी इस घर ईंट और रोडे उत‌ने इस घर हाथी-घोड़े

गन्ने का भोग लगाओ देव

 सिंघाड़े का भोग लगाओ देव
बेर का भोग लगाओ देव 

गाजर का भोग लगाओ देव
गाजर का भोग लगाओं देव

सेंगरी,पूए  का भोग लगाओ देव
उठो देव उठो

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                                         विष्णु सहस्रनाम (संस्कृत) एवं हिंदी में व्याख्या

नीचे श्री विष्णु सहस्रनाम के कुछ मुख्य श्लोक संस्कृत में दिए गए हैं, जिनका हर नाम का संक्षिप्त हिंदी अर्थ भी बताया गया है:
संस्कृत:
विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः ।
भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावन: ।। 1 ।।
हिंदी अर्थ:
विश्वं: जो सम्पूर्ण जगत् है
विष्णु: सबको व्याप्त करने वाला
वषट्कार: यज्ञ के वषट्कार मन्त्रस्वरूप
भूत-भव्य-भवत-प्रभु: जो भूत (अतीत), भव्य (भविष्य) और भव (वर्तमान) के प्रभु हैं
भूत-कृत: समस्त भूतों का निर्माण करने वाला
भूत-भृत: सबका पालन करने वाला
भाव: स्वरूप
भूतात्मा: सभी जीवों की आत्मा
भूतभावन: जीवों का पालन करने वाला
पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः।
अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। 2 ।।
हिंदी अर्थ:
पूतात्मा: पवित्रात्मा
परमात्मा: सभी आत्माओं का परम तत्व
मुक्तानां परमं गतिः: मुक्त जीवों की परम गति
अव्ययः: अविनाशी
पुरुष: सभी प्राणियों का आधार
साक्षी: सबका साक्षी
क्षेत्रज्ञः: शरीर रुप क्षेत्र का ज्ञाता
अक्षरः: जो कभी नष्ट न हो
योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः ।
नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। 3 ।।
हिंदी अर्थ:
योग: योग स्वरूप
योग-विदां नेता: योग जानने वालों के स्वामी
प्रधान-पुरुषेश्वर: प्रधान व पुरुष के ईश्वर
नरसिंह-वपु: नरसिंह रूपधारी
श्रीमान: लक्ष्मीपति
केशवः: दिव्य केश वाले
पुरुषोत्तमः: श्रेष्ठ पुरुष
सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।
सम्भवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभु: ईश्वरः ।। 4 ।।
हिंदी अर्थ:
सर्वः: सब
शर्वः: शुभकारी
शिवः: कल्याण स्वरूप
स्थाणु: अचल
भूतादि: सभी जीवों का आदि
निधि: धन स्वरूप
अव्ययः: नित्य
सम्भवो: उत्पन्न होने वाला
भावनो: सभी का पालनकर्ता
भर्ता: सबका रक्षक
प्रभवः: जगत की उत्पत्ति
प्रभु: सबका स्वामी
ईश्वर: सर्वशक्तिमान
यह प्रक्रिया 1000 नामों तक चलती है, हर नाम भगवान विष्णु के किसी गुण, स्वरूप या कार्य को दर्शाता है। प्रत्येक नाम का जप करने से भक्त को आयु, विद्या, यश, स्वास्थ्य, समृद्धि, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है.
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