[93 ] आया मौसम चुनाव का
मौसम आया चुनाव का ,मेल का, बेमेल का
गुम होंगे मुद्दे सारे, होगा खेल सियासत का i
ऊँची आवाज़ में बोलेंगे नेता
" विपक्ष हराना है " हमने ठानी
तनेंगी भौएँ ऐसे जैसे
दहलीज़ पर हों देवरानी-जेठानी ii
' रावण, ताड़का और दुर्योधन ', संज्ञाएँ बोली जायेंगी
' पोटलियाँ अमर्यादा की' सरेआम खोली जायेगी i
" देश-भक्त व देश-द्रोही" विशेषण व समास पढ़ाए जाऍगे
मुफ़्त सिखाने [ भावी पीढ़ी को] नेता आगे आएँगे
"सर्व शिक्षा अभियान के तहत"
आरोपों के गुर सिखाए जाएँगे i
भारत के संस्कारों के ढोल इतने पीटे जाएंगे
कि ध्यान नहीं रहेगा कब ढोल फट जाएंगे i
धूल भरी आंधी में आँखें इतनी धुंधला जाएंगी
" संस्कारी हों हमारे बच्चे "
कब ये उम्मीद न जाने
धूल में मिल जाएगी i
विश्व में बनी साख अलग
मिट्टी में मिल जाएगी i
" दुश्मन सुन रहा है घर की बातें", मीडिया से आवाज़ आती है
फ़िर भी बार-ब़ार इसी विषय पर खूब डिबेट वह करती है
शहर-शहर जा कर , खुद ही मीडिया
सब बातें विदेश पहुंचाती है i
जितने मुंह उतनी बातें, क्या उसे यह ज्ञात नहीं
बार- बार यही बोलेंगे , दीवार क्या सुनेगी नहीं ?
सर्कस पर तो बैन लग गया, अब मीडिया बन गया है सर्कस
इक दिन बोल उठेगी जनता -" मत बनो भी तुम इतने कर्कश "
" कौन जीत रहा चुनाव १९ का , यह तो 18 से ही चल रहा
देश का युवा और किसान, इसी की आग में जल रहा i
क्या सच है ? क्या झूठ है ? क्या इतिहास है भारत का ?
नहीं मीडिया कभी अवगत कराएगी
बच्चों के लिए " अ लिटिल नोलेज " बड़ा खतरा बन जायेगी i
सुन-सुन कर सब की बातें, उलझनें बढ़ती जाएगी
' तर्क-वितर्क, सोच-समझ ' सब नष्ट हो जायेगी ii
देवरानी-जेठानी में जो तेज़ होगी , चुनाव वो जीत जाएगी ii
आज की पीढ़ी नहीं जानती , कल भारत में क्या हुआ
सच मानती उसी को वह, नेताओं ने जो पढ़ा दिया
इतिहास-पुस्तिका की जगह, उसके हाथ" डिज़िटल मोबइल"
हमने भी शौक से उसे थमा दिया
फ़ेक न्यूज़ सुना-सुना कर उसे भी फ़ेक बना दिया
फ़ेक ही रिश्ते, फ़ेक ही नाते, राजनीति भी फ़ेक ही देकर
एक फ़ेक समाज खड़ा किया
" फ़ेक" में कितनी शक्ति है ,यह हमने उन्हें समझा दिया i
गलत सुन कर बैठ जाए जो
वह शिक्षित समाज नहीं
स्कूलों में इतिहास पढ़े
फ़िर भी उसको यदि ज्ञान नहीं
समझ लो फिर भारत का
कोई विकसित समाज नहीं i
हर बात कुछ चंद लोग
सर्च करके बतातें हैं
पढने- लिख़ने का क्या फायदा
जो सब औरों की बातों में आते हैं
देश में गर है जो रूचि
खुद जांच-पड़ताल करो
गुमराह न कर सके कोई भी नेता
ऐसा ख़ुद तुम यत्न करो i
गलत का एक बार खंडन किया तो
सदा के लिए सुखी होंगे सब
गुमराह करने से पहले नेता
दस बार सोच कर देखेंगे तब
इतना सा बस काम है , देखो
देश सुधरता है कैसे तब i
=
By: Nirupma Garg
Comments
Post a Comment