{67} कबीर जयंती- २८ जून
लुप्त हुई कबीर की बानी, भटक गई दुनिया सारी
संत कबीर की सुंदर बानी अपने बच्चों को जरूर सुनाइए
जामण मरण विचारि करि कूड़े काम निबारि,
जामण मरण विचारि करि कूड़े काम निबारि,
जिनि पंथू तुझ चालणा सोई पंथ संवारि i
" मैं-मैं " बड़ी बलाय है, सकै तो निकसी भागि,
कब लग राखौ हे सखी, रूई लपेटी आग
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर ,
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर ,
ना काहू से दोस्ती, न काहू से बैर i
दोस पराए देखि कर चला हसन्त हसन्त
अपने याद न आवई, जिनका आदि न अंत i
तिनका कबहूँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
तिनका कबहूँ ना निन्दिये, जो पाँवन तर होय,
कबहुं उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना i
हिन्दू कहें मोहि राम पियारा, तुर्क कहें रहमाना i
आपस में लड़ी -लड़ी मुए, मरम न कोउ जाना i
झिरमिर-झिरमिर बरसिया , पाहन ऊपर मेंह ,
झिरमिर-झिरमिर बरसिया , पाहन ऊपर मेंह ,
माटी गलि सैजल भई, पाहन बोही तेह ii
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ i
मैं बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठ ii
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार i
जिन खोजा तिन पाइया, गहरे पानी पैठ i
मैं बपुरा बूडन डरा , रहा किनारे बैठ ii
दुर्लभ मानुष जन्म है, देह न बारम्बार i
तरुवर ज्यों पत्ता झड़े , बहूरि न लागे डार i
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