{ 62 } रक्त - दान है, जीवन-दान -14th June , Video views till date: 258

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न  यह वक्त किसी के अधीन है
न रक्त ही  अधीन है
 कब , कहां, क्या  हो जाए
 वक्त  करवट   बदल जाए
कब  धार  रक्त यह  बन जाए
आज जरूरत किसी और को हो
कब हमें ज़रूरत पड़  जाए ii
रक्त-वक्त का बहना-रिसना
सब कर्मों का खेल है
विपदा में काम आ  जाए
यह किस्मत का मेल  है
सात्विक कर्म किया हुआ
मुश्किल-घड़ी काम आता है
ज़िन्दगी दी हो कभी किसी को
वही बचाने आता है ii
रक्त तो  आसक्ति है
शक्ति है ,विरक्ति  है
हृदय की धड़कन है
साँसों की गति  है -
यही गति -  अवरोधक है
यह  रक्त है  !
 क्या भरोसा इसका है
पल-पल  दिशा-स्वभाव  बदलता है
कभी सिरिंज में भर जाता
कभी बह निकलता सड़क पर है
कभी जख्मों में फूट निकलता
कभी  कैद शिराओं  में  होता है 
व्यर्थ प्रवाहित होता तो
 नाले  में जा गिरता है
दो बूँद बचा ले गर कभी किसी ज़िन्दगी को
गंग- धार यह   बन   जाता है i
व्यर्थ बहाव इसका
चहूँ ओर  दुर्गन्ध फैलाता है
दान किया हुआ  बंद बोतल में भी 
सुगंध मानवता की देता है i
लाख दुआएं लगती इसको
जन्नत यह पा जाता है
डरते हैं जहां सब जाने से
शान से यह वहां जाता है i
रक्त-दान है महादान
कोई इससे बढ़ कर  दान  नहीं
बिन इसके रहते इस दुनिया में
 कोई और दान सम्भव नहीं ii
 देखो दान की  महिमा तो
दो बूँद खर्च जब  होता है
तो चार बूँद बढ़ जाता है
कोई जख्मी,उड़ता परिंदा साँसें
 वापिस   पा जाता है
दान तो मानव धर्म है ,
 कर्म है,सकर्म है
 सबसे हट कर
 प्राण-दान,
 सर्वोच्च श्रेणी में रहता है ii
तपस्वियों से  भी ज़्यादा  दानी
ईश को प्यारा  होता  है ii
जब तन नहीं अपना , मन नहीं अपना
रक्त का फिर क्या अभिमान
कर खुशी से रक्त-दान
 लोक सुधार
परलोक सुधार
जिससे हो ऐ,मानव !
तेरे जीवन का
 कल्याण 
न रक्त का भरोसा है,
न वक्त  का भरोसा है
कब ये धोखा दे  जाए
कब साथ ये  छोड  जाए
इससे पहले किसी  बीमारी में
तुझे धकेल दे ये मानव
दो बूंद  दे दे 
किसी  ज़िन्दगी  को
स्वीकार ले उसकी बन्दगी  को 
पछतावा  फिर न रह  जाए
किसी  की  दुआ  का  असर
सम्भवत: हो  जाए ।

By: Nirupma Garg








  

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