{52 } अक्षय तृतीया


                                                             "अक्षय तृतीया " हिन्दुओं का सर्वश्रेष्ठ और मंगलमय त्यौहार माना जाता है i यूँ तो यह त्यौहार साल में दो बार आता है लेकिन वैशाख के महीने की इस तृतीया  का विशेष महत्व है i इस दिन धन के देवता कुबेर ने  माता लक्ष्मी की पूजा की थी जिससे प्रसन्न होकर माँ ने उन्हें असीम धन का खज़ाना, पद्म ,और महापद्म भेंट किये थे जिसे कुबेर निधि के नाम से भी जाना जाता है i इस धार्मिक मान्यता के अनुसार कई लोग अपने घर के पूजा-स्थल में  उत्तर-पूर्वीय कोने में कुबेर -यंत्र को रखते हैं ताकि कुबेर  देवता के आशीर्वाद से  घर में सुख-समृद्धि बनी रहे i आज के शुभ दिन पर ही श्री बद्रीनारायण जी का कपाट खोला जाता है  और पूरे साल में केवल आज ही के दिन बांके बिहारी लाल जी के के श्री विग्रह चरण के दर्शन होते हैं i वरना साल भर वे वस्त्र से ढके रहते हैं i आज ही के दिन माँ अन्नपूर्णा और माँ गंगा का धरती पर  अवतरण हुआ था i महर्षि परशुराम जी का जन्म भी इसी दिन हुआ था i आज के दिन ही द्रोपदी को चीर हरण से श्री कृष्ण ने बचाया था और महाभारत युद्ध भी इसी दिन समाप्त हुआ था i इसके अतिरिक्त ब्रम्हा जी के पुत्र अक्षय कुमार का अवतरण भी इसी दिन हुआ था i सतयुग और त्रेता युग आज के दिन ही आरम्भ होते हैं i श्री कृष्ण और सुदामा के मिलन का  एतिहासिक दिन भी यही दिन माना जाता  है i  अक्षय तृतीया  का त्यौहार जैन समाज के लिए भी बहुत महत्व रखता है i कहते हैं कि  जैन धर्म के प्रथम तीर्थांकर श्री ऋषभ देव जी भगवान ने १३ माह के कठिन उपवास की पारणा गन्ने के रस से की थी i इसलिए इस दिन भगवान का गन्ने के रस से अभिषेक करना भी शुभ माना जाता है i
                                           अक्षय तृतीय  अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है i कोई भी शुभ काम का मुहूर्त इस दिन किया जा सकता है i इस दिन चावल,आटा,विशेषकर जौ का आटा,भूमि दान,वस्त्र आदि का दान सुबह माना जाता है i कहते हैं कि इस पावन दिन पर हर किया गया अच्छा कार्य  और लिया गया संकल्प " अक्षय" फल देता है इसलिए इसे अक्षय तृतीया कहा जाता है i 

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