{31} चर्चा अहमियत की [ कविता ]
बूँद-बूँद से घड़ा है भरता,बूँद से ही खाली हो रहा i
चलता रहा इसी तरह तो कम हो जाएगी भारत की सेना
बदले की आग़ कभी कम न होगी, यूँ ही झुलस जाएगी सेना ii
कितना गम्भीर विषय है यह,सब हल्के में ले लेते हैं
" उनका काम तो मरना है" बेतुका बयान दे देते हैं i
" उनका काम तो मरना है" बेतुका बयान दे देते हैं i
शहीद होते जवान हमारे, "मुंह तोड़ जवाब देते हैं i"----
मीडिया वाले हर चैनल पर शान से "यह" बताते हैं i
मीडिया वाले हर चैनल पर शान से "यह" बताते हैं i
चार नेताओं को इकट्ठा करके,फिर चुटकी लेना होता है जारी
कौन गया है मन्दिर - मस्ज़िद, कौन है उनमें जनेऊ धारी
कौन गया है मन्दिर - मस्ज़िद, कौन है उनमें जनेऊ धारी
पहना किसने कुरता पायजामा, कौन भारतीय भगवा धारी
ऐसा लगता है, एक मुहल्ले में इकट्ठी हो गई हों महिलाएं सारी ii
गम्भीर विषय पर दूरदर्शन में,जाने
चर्चा क्यूँ नहीं होती है
बुलेट-प्रूफ जाकेट जवानों के हेतु क्यूँ नहीं उपलब्ध होती है i
बेरोज़गार घूम रहा देश का युवक, उस पर चर्चा क्यूंं नहीं होती
परीक्ष।ओंं के परिण।म हो रहे देर से घोषित, उस पर निगरानी क्यूं नहीं होती
सस्ती दवाएं मंंहगी मिल रही, चर्चा इस पर क्यूं नहीं होती
फूलों पर खर्च करने से अच्छा, ड।क्टरों को तनख्वाह क्यूंं नहीं मिलती ?
धन-राशि इकट्ठा कर रहा है,कहीं कोई गायक,कहीं
कोई नायक
पैसे दे कर विधवाओं को दे
रहा है और मुसीबत i
"बेटा मेरा था" माँ कहती
है,पैसे पर हक मेरा है
ममता जागती जीवित बच्चे पर,
तो कहती"ये ले सब तेरा है" i
अपशकुन समझ कर बहू को, घर
से निकाला जाता है
सुहाग देश को दे देती
जो,उसे ठुकराया जाता है ii
नौकरी दी जाए सरकारी, बहू को
क्यूँ न इस पर चर्चा हो ?
अपने बच्चों को पाल
सके,क्यूँ न ऐसा तोहफा हो ?
व्यर्थ की बातें न करके,
क्यूँ न अहमियत पर चर्चा हो ?
उदाहरण पेश हो बच्चों के आगे, क्यूँ अभद्र भाषा हो ?
दूरदर्शन पर भावी बच्चे
आपही से हैं सीख रहे
देख रहे हैं एक दूसरे को आप पानी पी-पी कर कोस रहे
ईमानदार हो या बेईमान,बदनाम
सबको कर रहे
तभी तो राजनीति में आने से अच्छे लोग हैं डर रहे ii
प्रतिभा न आई आगे जो ,देश कौन सम्भालेगा ?
इसी कमज़ोरी का लाभ उठा कर कोई दूसरा रोटी ले जाएगा i
तभी तो राजनीति में आने से अच्छे लोग हैं डर रहे ii
प्रतिभा न आई आगे जो ,देश कौन सम्भालेगा ?
इसी कमज़ोरी का लाभ उठा कर कोई दूसरा रोटी ले जाएगा i
गर सच्चे हो देश-भक्त, तो उज्ज्वल भविष्य तैयार करो
देश-प्रेम हो जिनका" धर्म और जाति ",ऐसे भगतसिंह तैयार करो
कैसे आएँ युवा आगे देश-भक्ति का वही जज्बा लेकर
इस पर हर दिन चर्चा हो
फ़िज़ूल की बातें छोड़ कर अब बस अहमियत पर चर्चा हो ii
कैसे आएँ युवा आगे देश-भक्ति का वही जज्बा लेकर
इस पर हर दिन चर्चा हो
फ़िज़ूल की बातें छोड़ कर अब बस अहमियत पर चर्चा हो ii
जय हिन्द !
लेखिका-निरुपमा गर्ग
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