{23} "न कहना वोट देना मज़बूरी है"
आज़ादी की खुशियों में भारत का संविधान बना
गर्व से सीना चौड़ा हुआ जब लोकतांत्रिक देश बना i
अच्छा शासन और निष्कासन का, सबको था उपहार मिला
दु:शासन को उखाड़ फेंकने ,वोटिंग का अधिकार मिला i
नई सोच अम्बेडकर की,पहले तो सब नया लगा
धीरे-धीरे जमे कीचड़ में,फूल कमल का नया खिला i
पंजा जब मारा तो कीचड़ खूब उछल गया
झाड़ू से गर साफ़ किया तो प्रदूषण हवा में उड़ गया i
क्या करें,मजबूरी है,आना-जाना पड़ता है
साइकिल पर जाएं या हाथी पर
इससे क्या फर्क पड़ता है i
घर तो अपना घर होता है,कुछ भी हो सब अच्छा है
घर की रौनक को बढ़ाने सबका होना जरूरी है i
स्वभाव है सबका अलग-अलग आदत से मजबूरी है
कोई तो चाहिए देश का रक्षक ,सो वोटिंग भी जरूरी है i
पढे लिखे नौजवानों ! गर देश की तकदीर बदलनी है
"आने वाला कल संवारना " तो आगे आना जरूरी है i
तर्क देना तरह-तरह के नेताओं की मज़बूरी है
कुछ भी समझने के लिए , उसकी सर्च करना जरूरी है i
कोई कुछ कहता है , कोई कुछ कहता है
उस पर विचार करना सीखो
स्वच्छ चाहते हो गर राजनीति
तो गलत का खंडन करना सीखो i
वोट न दो इस भावना से, कि तुम्हारी यह मज़बूरी है
समस्याएं हल हों तुम्हारी भी , सोचना भी जरूरी है i
मत सोचो नेताओं का क्या ?
उनकी तो झोली भरी- पूरी है i
कभी न कहना , क्या करें
हमारी तो मज़बूरी है i
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