19. { Kids" Zone} चाचा नेहरु
14 नवम्बर १८८९, आनन्द भवन में
मोती के यहाँ दुलारा हुआ
भारत का पहला प्रधान मंत्री क्या
मानो, प्यार का एक अवतार हुआ I
चाचा-चाचा कह कर बच्चे फूले नहीं समाते थे
लाल गुलाब के फूल पर मानो भंवरे से लिपट जाते थे I
नन्हीं-नन्हीं कलियों को देख गुलाब भी जैसे खिल उठता था
देश का उज्ज्वल भविष्य उसको उनमें नज़र आता था I
आज़ादी की बागडोर अब इन हाथो में जानी है
विरासत में मिली आज़ादी इनको
कीमत भी चुकानी है I
यही सोच कर चाचा को अपनापन आता था
गले लगा कर उनको अपने आँखों में पानी आता था I
मुरझा गया सन ६४ में,हर बार नया सा खिलता है
प्रत्येक वर्ष १४ नवम्बर को बच्चों की जैकेट पर सजता है
काँटों में खिलने वाला यह फूल कुर्बानियों की निशानी है
रंग इसका जो लाल सूर्ख है,शहादत की जुबानी है
चाचा !तुम्हारी याद में हमने इसे सजाया है
देश की खातिर मर-मिटेंगे
यह सपना संजोया है ii
मोती के यहाँ दुलारा हुआ
भारत का पहला प्रधान मंत्री क्या
मानो, प्यार का एक अवतार हुआ I
चाचा-चाचा कह कर बच्चे फूले नहीं समाते थे
लाल गुलाब के फूल पर मानो भंवरे से लिपट जाते थे I
नन्हीं-नन्हीं कलियों को देख गुलाब भी जैसे खिल उठता था
देश का उज्ज्वल भविष्य उसको उनमें नज़र आता था I
आज़ादी की बागडोर अब इन हाथो में जानी है
विरासत में मिली आज़ादी इनको
कीमत भी चुकानी है I
यही सोच कर चाचा को अपनापन आता था
गले लगा कर उनको अपने आँखों में पानी आता था I
मुरझा गया सन ६४ में,हर बार नया सा खिलता है
प्रत्येक वर्ष १४ नवम्बर को बच्चों की जैकेट पर सजता है
काँटों में खिलने वाला यह फूल कुर्बानियों की निशानी है
रंग इसका जो लाल सूर्ख है,शहादत की जुबानी है
चाचा !तुम्हारी याद में हमने इसे सजाया है
देश की खातिर मर-मिटेंगे
यह सपना संजोया है ii
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