{17} मधुराष्टकम
अधरम मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं i
हृदयं मधुरम् गमनं मधुरम् मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ii
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतखिलं मधुरं ii
नृत्यम मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ii
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरं ii
=
अच्युतं केशवं रामनारायणं
कृष्ण्दामोदरं वासुदेवं हरीम् i
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं
जानकीनायकं रामचन्द्र्म् भजे i
मेरे मार्ग पर पैर रखकर तो देख, तेरे सब मार्ग न खोल दूँ तो कहना॥
मेरे लिए खर्च करके तो देख, कुबेर के भंडार न खोल दूँ तो कहना॥
मेरे लिए कड़ुवे वचन सुनकर तो देख, कृपा न बरसे तो कहना॥
मेरी तरफ आकर तो देख, तेरा ध्यान न रखूँ तो कहना॥
मेरी बातें लोगों से करके तो देख, तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना॥
मेरे चरित्र का मनन करके तो देख, ज्ञान के मोती तुझमें न भर दूँ तो कहना॥
मुझे अपना मददगार बनाकर तो देख, तुम्हें सब बन्धनों से मुक्त न कर दूँ तो कहना॥
मेरे लिए आँसू बहाकर तो देख, तेरे जीवन में आनन्द के सागर न बहा दूँ तो कहना॥
मेरे लिए कुछ बनकर तो देख, तुझे कीर्तिवान न बना दूँ तो कहना॥
मेरे मार्ग पर निकलकर तो देख, तुझे शान्तिदूत न बना दूँ तो कहना॥
स्वयं को न्यौछावर करके तो देख, तुझे हीरा न बना दूँ तो कहना॥
मेरा कीर्तन करके तो देख, जगत का विस्मरण न करा दूँ तो कहना॥
====================================
मुझे अपना मददगार बनाकर तो देख, तुम्हें सब बन्धनों से मुक्त न कर दूँ तो कहना॥
मेरे लिए आँसू बहाकर तो देख, तेरे जीवन में आनन्द के सागर न बहा दूँ तो कहना॥
मेरी तरफ आकर तो देख, तेरा ध्यान न रखूँ तो कहना॥
मेरी बातें लोगों से करके तो देख, तुझे मूल्यवान न बना दूँ तो कहना॥
Comments
Post a Comment