{7} भारत की शान- स्वच्छता अभियान{कविता}


  विशाल देश के वासी हो,क्यूँ हो फिर घर तक सीमित
मान-सम्मान है तुम्हारा,  जान  लो इस की शान में निहित
 घर में रहती रोज़ सफाई,देश का आँगन क्यूँ है विहित
जाने दिलों में कब तक होंगे एक ईश के मंदिर-मस्जिद 
पार्क शरीर के फेफड़े मानो,हर गली है सांस की नाली

स्वच्छता रखनी होगी चहूँ ओर,गर रोग की पीड़ा न हो सहनी
गंदगी होगी गर बाहर ,मोहल्ला-मोहल्ला,सड़क-सड़क
वही लौट कर गला पकड़ती,न सुनती है किसी को आहट
 रुपया-पैसा,सुख-चैन सब लूट ले जाती है ये  भूल
राजा-रंक,गरीब-अमीर, सब का पी जाती है खून
चीख-पुकार से अस्पताल हैं भरते,ईष्ट-देवों के घंटे बजते
अपराध हुआ जब अपने हाथों,ईश्वर भी न तब सुनते ii 
रुपया-पैसा गया तो गया,मान-सम्मान भी चला गया
सोने जैसे देश को अपने, कूड़े में कैसे रोल दिया ii
 कितने स्वच्छ हैं बाहरी देश,कहने में कुछ हिचक करो
 खुद गंदा करके तुम, देश को न बदनाम करो ii
 ऋषियों की धरती है यह ,“राम “ के पग से पावन हुई
 खींच लाई थी जग-पालक को,“शबरी” द्वारा यही सफ़ाई i 
 गर्व करो ये कथा सुना कर,तुम अपने बच्चों को
" गंद न करना  देश में तुम" सिखलाओ मन के सच्चों को ii 
"महत्वपूर्ण है स्वच्छता,स्वतंत्रता से ज्यादा"
गांधी जी की याद में आज करो यह वायदा i
         
            जय भारत i

 



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