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----------- ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या प्रारम्भ-------

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  -----------------------------------------------निरुपमा गर्ग लमित्यादि पन्चपूजा-    लं- पृथ्वी तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै गन्धं परिकल्पयामि । " हे पृथ्वी तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी , मैं आपको चंदन अर्पित   करती हूँ।" हं- आकाश तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै पुष्पं परिकल्पयामि ।  "हे आकाश तत्व की देवी, श्री ललिता देवी, मैं आपको पुष्प अर्पित करती हूँ"।   यं- वायु तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै धूपं परिकल्पयामि । "हे वायु तत्व की स्वामिनी श्री ललिता देवी, मैं आपको धूप अर्पित करती हूँ".   रं- वह्नि तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै दीपं परिकल्पयामि ।  "मैं अग्नि तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी के लिए दीपक प्रस्तुत करती हूँ"। वं- अमृत तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै अमृतनैवेद्यम परिकल्पयामि । "अमृत तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी के लिए अमृत रूपी नैवेद्य (भोजन) अर्पित करती हूँ।"   सं- सर्व तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै सर्वोप चारान परिकल्पयामि । "मैं सभी तत्वों की देवी को  "सभी प्रकार के सम्मान और उपहार".अर्पित करती हूं । =...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 1- 29

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  -------------------------------------------------निरुपमा गर्ग 1. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीमात्रे नमः ---जो समस्त संसार के दुखों को हर कर अपार सुख देने वाली हैं,  2. ॐ श्री महाराज्ञै नमः ---जो पूरे ब्रह्माण्ड की सम्राग्यी / महारानी  हैं, 3. ॐ श्री मतसिंहासनेश्वयै नमः -- जो शेरों के सिंहासन पर विराजमान हैं, तथा- 4. ॐ चिदग्नि कुण्ड सम्भूतायै नमः -- जो शुद्ध चेतना के अग्नि-कुंड में उत्पन्न हुईं हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 5. ॐ देव कार्यसमुद्यतायै नमः ---जो देवताओं के कार्य सम्पन्न करने में तत्पर रहती हैं,  6. ॐ उद्यद् भानु सहस्राभा +यै नमः --जो हज़ारों उगते सूर्यों की चमक रखती है, 7. ॐ चतुर्बाहु समन्विता+यै नमः -- जो चार भुजाओं वाली मां  लक्ष्मी के नाम से       जानी जाती हैं, तथा- 8.  ॐ रागस्वरूप पाशाढ्या+यै नमः -- जो हाथ में प्रेम की डोर थामे हुए हैंं, उन्हें नमस्कार ,      बार-बार नमस्कार हो ।                    ...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 30-59

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        -----------------------------------------------निरुपमा गर्ग 30.  ॐ कामेशबद्ध माङ्गल्य सूत्र शोभित कन्धरायै नमः -   कामेशबद्ध अर्थात जिनकी  गर्दन में कामेश्वर द्वारा बंधा हुआ  पवित्र धागा चमक रहा है, 31.  ॐ कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्वितायै नमः - जिनकी भुजाएँ सुन्दर रूप से  कनकाङ्गद केयूर अर्थात कनक यानी स्वर्ण बाजूबंदों से सजी हुई हैं, तथा- 32 . ॐ रत्नग्रैवेय -चिन्ताक-लोल -मुक्ता फलान्वितायै नमः - रत्नग्रैवेय अर्थात जिनकी गर्दन  रत्नजड़ित स्वर्ण पेंडेंट और मोतियों की माला  से शोभायमान है उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 33 से ले कर 43 तक मां के सभी अंगों का वर्णन है । हमारा उद्देश्य केवल मां के चरणों पर ही ध्यान केन्द्रित करना है अत: मां के अंगों  की व्याख्या वर्जित की गई है । 33.ॐ कामेश्वर प्रेम रत्नमणि प्रतिपण स्तन्यै नमः। 34.ॐ नाभ्याल वाल रोमालि लताफल कुचद्वय्यै नमः। 35.ॐ लक्ष्य रोम लता धारता समुन्नेय मध्यमायै नमः। 36.ॐ स्तनभार दलन्मध्य पट्टबन्ध वलित्रयायै नमः । 37.ॐ अरुणा रुण कौसुम्भ वस्त्...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 60 - 99

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    ----------------------------------------------निरुपमा गर्ग 60. ॐ कदम्ब वन वासिन्यै नमः - जो कदम्ब वन में निवास करती हैंं, 61. ॐ सुधासागर मध्यस्थायै नमः - जो अमृत सागर के मध्य में निवास करती है ,   62 . ॐ कामाक्ष्यै नमः -  जो अपनी दृष्टि से सब की इच्छाएं पूरी करती हैं ,  तथा- 63. ॐ काम दायिन्यै नमः – जो मनोवाण्छित मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो ।  64. ॐ देवर्षि गण सङ्घात स्तूय मानात्म वैभायै नमः – जिनके गुणों की प्रशंसा सब देवता व ऋषिगण करते हैं ,    65. ॐ भण्डासुर वधो द्युक्त शक्तिसेना समन्वितायै नमः  - जो बंदसुरा जैसे असुरों का  संहार करने पर आमादा शक्तियों की सेना से संपन्न है ,   66. ॐ सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रज सेवितायै नमः - जिनके साथ हाथियों का एक झुंड है , जिसका कुशल नेतृत्व सम्पतकर कर रहे हैं ,  तथा- 67. ॐ अश्वा रूढा+धिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरा+वृतायै नमः - जो कई लाख घोड़ों की घुड़सवार सेना से घिरी हुई है जो शक्ति अश्वारुढ़ के आदेश के अधीन हैं , उन्हें नमस्कार ,...

ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 100 - 137

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  ----------------------------------------------निरुपमा गर्ग 100. ॐ ब्रह्म ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः - जो ब्रह्म की ग्रन्थि का विभेदन करती हैं ,   101. ॐ मणिपूरान्त रुदितायै नमः - जो मणिपूर चक्र में उभरती है ,   102. ॐ विष्णुग्रन्थिविभेदिन्यै नमः - जो विष्णु की ब्र्ह्म ग्रन्थि का  विभेदन करने की सामर्थ्य रखती हैं ,  तथा- 103 . ॐ आज्ञा चक्रान्तराल स्थायै नमः - जो आज्ञा चक्र के केंद्र में निवास करती है , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 104. ॐ रुद्र ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः - जो शिव की गिरह / ब्र्ह्म ग्रन्थि को पृथक करती हैं ,   105. ॐ सहस्रा+राम्बुजा रूढायै नमः - जो हजार पंखुड़ियों वाले कमल पर आरूढ़ हैं ,   106. ॐ सुधा+साराभि वर्षिण्यै नमः - जो अमृत की धारा की वर्षा करती हैं ,  तथा-   107. ॐ तडिल्लता समरुच्यै नमः - जो बिजली की चमक के समान सुन्दर हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 108. ॐ षट्चक्रो परिसंस्थितायै नमः - जो छह चक्रों के ऊपर निवास करती हैं ,   109. ॐ महाशक्त्यै नमः -जो महाशक्ति हैं ,   110. ॐ कुण्डलिन्यै ...

ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 138 - 168

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  -------------------------------------------------निरुपमा गर्ग 138 . ॐ निराकुलायै नमः — जिन्हें भ्रमित लोगों द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता ,   139. ॐ निर्गुणायै नमः - जो प्रकृति के तीनों गुणों अर्थात सत्व , रज और तम से परे हैं ,   140. ॐ निष्कलायै नमः - जो निष्काम हैं ,  तथा- 141. ॐ शान्तायै नमः — जो शांत मूरत हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 142 . ॐ निष्कामायै नमः - जो इच्छा रहित हैं ,   143. ॐ निरुप+प्लवायै नमः - जो अविनाशी हैं ,   144. ॐ नित्यमुक्तायै नमः - जो सांसारिक बंधनों से सदैव मुक्त हैं ,  तथा- 145. ॐ निर्विकारायै नमः - जो अपरिवर्तनशील हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 146 . ॐ निष्प्र पञ्चायै नमः - जो इस संसार से परे हैं ,   147. ॐ निराश्रयायै नमः - जो किसी चीज़ पर निर्भर नहीं हैं ,   148. ॐ नित्यशुद्धायै नमः - जो नित्य शुद्ध हैं ,  तथा- 149 . ॐ नित्यबुद्धायै नमः - जो सदैव बुद्धिमान हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 150. ॐ निरवद्यायै नमः - जो निर्...