239 श्री राधा- कृष्ण अध्यात्मिक प्र्श्न
1.प्र.-सुरभि देवी कौन हैं?
उ.- सुरभि देवी गौओं की अधिष्ठात्री देवी हैं । इनका जन्म वृन्दावन में हुआ था । इन्हें श्री कृष्ण ने अपने वामपाश से प्रकट किया था ।
2.प्र.- श्री राधा जी का प्रादुर्भाव कैसे हुआ? उनकी माता पिता कौन हैं?
उ.- श्री राधा जी श्री कृष्ण की अधिष्ठात्री देवी हैं, उनके वक्षस्थल पर रहती हैं । ये श्री कृष्ण के साथ गोलोक में रहती हैं । उनका प्रादुर्भाव श्री कृष्ण के अर्ध अंग से हुआ था । इसलिए राधा जी कृष्ण-स्वरूपिणी हैं । ये साक्षात कृष्ण की माया हैं कयोंकि उनके तेज पुञ्ज से ही ये मूर्तिमति हुई हैं अर्थात एक ही मूरत दो भागों में विभक्त हुई है । श्री कृष्ण की आज्ञा से ये पृथ्वी पर पहले अवतरित हुई थी इसलिए ये श्री कृष्ण से बडी हैं ।
पृथ्वी पर अवतरित होने के बाद कलावती उनकी माता और वृषभानु उनके पिता हुए ।
3. प्र.- रा,धा शब्दों का क्याअर्थ है?
उ.-'रा' शब्द का अर्थ है पाना और 'धा' श्ब्द का अर्थ है निर्वाण अर्थात मोक्ष । जो भक्त श्री कृष्ण की
भक्ति में लीन हो जाता है वह दौड कर उनके पास पहुंच जाता है । राधा शब्द का - र+अकार+धकार+अकार -ये सभी कल्याणकारी हैं ।
1. राधा का "र" करोडों जन्मों के शुभ्अशुभ कर्मों से छुटकारा दिलाता है ।
2. अकार गर्भवास, रोग और मृत्यु को दूर करता है ।
3. धकार आयु की हानि का और अकार भवबन्धन का निवारण करता है ।
प्र 4.-गोपियां कौन थी?
उ.- गोपियां श्री राधा जी के रोम कूपों से प्रकट हुई थीं ।
प्र 5.- लक्ष्मी जी कैसे प्रकट हुईं ?
उ.- लक्ष्मी जी भी श्री राधा जी के वाम अंश से प्रकट हुई हैं । ये चतुर्भुजी भगवान विष्णु जी की पत्नी हैं और उनके साथ वैकुंठ में निवास करती हैं ।
प्र.6- श्री कृष्ण का नामकरन संस्कार किसने किया था?
उ.- यदुवंश के कुल गुरु महर्षि गर्ग ने श्री कृष्ण का नामकरन संस्कार किया था ।
प्र.7- बलराम के कितने नाम हैं तथा इनकी माता का क्या नाम है?
उ. संकर्षण, बळभद्र, अनन्त, हळधर, नीलाम्बर<मूसली<रेवतीरमण,रोहिणी
प्र 8- राधाजी की माता कलावती कौन थी?
उ.- कलावती कमला के अंश से प्रकट हुई थी । वह पितरों की मानसी कन्या थी और वृषभानु की पत्नी थी।
श्री कृष्ण के आदि अंश से प्रकट होने वाली राधा जी अयोनिजा रूप में इन्हीं की पुत्री बनीं थी ।
प्र. 9-वृषभानु ने श्री राधा जी को किस पुण्य के प्रभाव से पुत्री रूप में प्राप्त किया ?
उ.- श्री नारायण ने नारद से कहा-पूर्व काल में पितरों के मानस से तीन कन्याएं प्रकट हुई थी- कलावती, रत्नमाला और मेनका। ये तीनों अति दुर्लभ थी । इनमें से इच्छानुसार-
1. रत्नमाला ने राजा जनक का वरण किया ।इनकी पुत्री अयोनिजा सती सत्यपरायणा सीता हुई जो साक्षात लक्ष्मी तथा श्री राम की पत्नी थी।
2.मेनका ने श्री हरि के अंशभूत गिरिराज हिमालय को पति के रूप में स्वीकारा और मेनका की पुत्री पार्वती हुई जो पूर्व जन्म में सती थी । वे भी अयोनिजा हैं अर्थात वे किसी गर्भ से नहीं अपितु अवतरित हुई हैं ।पार्वती श्री हरि की सनातनी माया हैं,इन्होंने तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में पाया था ।
3.कलावती ने मनुवंशी राजा सुचन्द्र का वरण किया । वे राजा साक्षात श्री हरि के अंश थे। इन दोनों पति-पत्नी ने विन्ध्य पर्वत पर पुल्हाश्रम नामक तीर्थ-स्थान पर खूब तपस्या की । तब ब्र्ह्मा जी ने वर दिया कि तुम दोनों कुछ समय स्वर्ग में व्यतीत करके पुन: पृथ्वी पर-सुचन्द्र तुम सुरभानु के पुत्र वृषभानु केरूप में गोकुल में जन्म लोगे और कलावती को कान्यकुब्ज देश में भनन्दन राजा यग्य-कुण्ड से प्राप्त करेंगे।
साक्षात कृष्ण-स्वरूपिणी श्री राधा जी प्रकट होंगी और पुत्री बन कर तुम्हारी गोद में खेलेगी । उसके बाद श्री राधा के साथ गोलोक चले जाओगे ।
प्र.10-वृन्दावन का नाम वृन्दावन कैसे पडा?
उ.- सतयुग में एक केदार नाम का राजा था जो श्री कृष्ण का अनन्य भक्त था । उसकी एक वृन्दा नाम की पुत्री थी । जो उसी की भांति श्री कृष्ण की भक्ति करने के लिए एक निर्जन वन में चली गई और 60,000 वर्षों तक तपस्या करती रही । उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर श्री कृष्ण प्रकट हुए और उसे वर मांगने को कहा । तब वृन्दा ने कहा- भगवन । तीनों लोकों में आपसे बढ़ कर भला कौन है?अत: मेरी
इच्छा है कि आप मुझे अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लें । भगवन ने उसकी इच्छा पूरी की । तब इस वन का नाम वृन्दावन पड गया ।
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