192 पाशुपतास्त्र स्तोत्र
पाशुपतास्त्र स्तोत्र का मात्र 1 बार जप करने पर ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है। 100 बार जप करने पर समस्त उत्पातों को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवन करने से मनुष्य असाध्य कार्यों को पूर्ण कर सकता है ।
पाशुपतास्त्र स्त्राोत का 21 दिन नियमित सुबह-शाम 21-21 पाठ प्रतिदिन करें। साथ ही नीचे लिखे स्तोत्र का एक सौ आठ बार अवश्य जाप करें और सुबह या शाम को इस मंत्र की 51 आहुतियां काले तिल से हवन अवश्य करें।
इस पाशुपत स्तोत्र का मात्र एक बार जप करने पर ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है ।
सौ बार जप करने पर समस्त उत्पातो को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त के सकता है ।
इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवं करने से मनुष्य असाध्य कार्यो को पूर्ण कर सकता है ।
इस पाशुपातास्त्र मंत्र के पाठ मात्र से समस्त क्लेशो की शांति हो जाती है ।
स्तोत्रम
ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय
त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय
नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय
भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय
सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिध्दिप्रदाय
भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय
तस्मिन् सिध्दाय
वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय
व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय
सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय
खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय
रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय
सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे
दुष्टनागक्षय कारिणे ।
ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट । हूंकारास्त्राय फट ।
वज्र हस्ताय फट । शक्तये फट ।
दण्डाय फट । यमाय फट ।
खडगाय फट । नैऋताय फट ।
वरुणाय फट । वज्राय फट ।
पाशाय फट । ध्वजाय फट ।
अंकुशाय फट । गदायै फट ।
कुबेराय फट । त्रिशूलाय फट ।
मुदगराय फट । चक्राय फट ।
पद्माय फट । नागास्त्राय फट ।
ईशानाय फट । खेटकास्त्राय फट ।
मुण्डाय फट । मुण्डास्त्राय फट ।
काड्कालास्त्राय फट । पिच्छिकास्त्राय फट ।
क्षुरिकास्त्राय फट । ब्रह्मास्त्राय फट ।
शक्त्यस्त्राय फट । गणास्त्राय फट ।
सिध्दास्त्राय फट । पिलिपिच्छास्त्राय फट ।
गंधर्वास्त्राय फट । पूर्वास्त्रायै फट ।
दक्षिणास्त्राय फट । वामास्त्राय फट ।
पश्चिमास्त्राय फट । मंत्रास्त्राय फट ।
शाकिन्यास्त्राय फट । योगिन्यस्त्राय फट ।
दण्डास्त्राय फट । महादण्डास्त्राय फट ।
नमोअस्त्राय फट । शिवास्त्राय फट ।
ईशानास्त्राय फट । पुरुषास्त्राय फट ।
अघोरास्त्राय फट । सद्योजातास्त्राय फट ।
हृदयास्त्राय फट । महास्त्राय फट ।
गरुडास्त्राय फट । राक्षसास्त्राय फट ।
दानवास्त्राय फट । क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट ।
त्वष्ट्रास्त्राय फट । सर्वास्त्राय फट ।
नः फट । वः फट । पः फट । फः फट । मः फट । श्रीः फट । पेः फट । भूः फट । भुवः फट । स्वः फट । महः फट ।
जनः फट । तपः फट । सत्यं फट । सर्वलोक फट । सर्वपाताल फट । सर्वतत्व फट । सर्वप्राण फट । सर्वनाड़ी फट
। सर्वकारण फट । सर्वदेव फट । ह्रीं फट । श्रीं फट । डूं फट । स्त्रुं फट । स्वां फट । लां फट । वैराग्याय फट ।
मायास्त्राय फट । कामास्त्राय फट । क्षेत्रपालास्त्राय फट । हुंकरास्त्राय फट । भास्करास्त्राय फट । चंद्रास्त्राय फट ।
विघ्नेश्वरास्त्राय फट । गौः गां फट । स्त्रों स्त्रौं फट । हौं हों फट । भ्रामय भ्रामय फट । संतापय संतापय फट । छादय
छादय फट । उन्मूलय उन्मूलय फट । त्रासय त्रासय फट । संजीवय संजीवय फट । विद्रावय विद्रावय फट ।
सर्वदुरितं नाशय नाशय फट ।
चेतावनी- यदि इस स्त्रोत को नियम का पालन करते हुए श्रद्धावान सामर्थ्य हो तो ही किया जाना चाहिए ।
Comments
Post a Comment