नोट-कोई भी स्त्रोत पढ़ने से पहले विनियोग, न्यास आदि अवश्य पढ़ना चाहिए ================================================================================ ॐ अस्य श्री कुन्जिका स्त्रोत्र मंत्रस्य सदाशिव ऋषि: । अनुष्टुपूछंदः । श्रीत्रिगुणात्मिका देवता । ॐ ऐं बीजं । ॐ ह्रीं शक्ति: । ॐ क्लीं कीलकं । मम सर्वाभीष्टसिध्यर्थे जपे विनयोग: । -------------------------------------------------------------------------------- वैसे भगवान शिव के अनुसार कोई भी न्यास करने की आवश्यकता नहीं फिर भी माता के चरणों में प्रेम जाग़ृत हो इसलिए निम्न न्यास किए जा सकते हैं । जब हम बार-बार नमस्कार करके स्त्रोत प्रारम्भ करते हैं तो हमें स्वयं ही माता की भक्ति में रस आने लगता है । करन्यास: ऐं अंगुष्ठाभ्यां नमः । ह्रीं तर्जनीभ्यां स्वाहा । क्लीं मध्यमाभ्यां वषट । चामुण्डायै अनामिकाभ्यां हुं । विच्चे कनिष्ठिकाभ्यां वौषट । ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे करतलकर प्रष्ठाभ्यां फट ।...