175. Worship of Goddess Laxmi
नमो देव्यै
महादेव्यै शिवायै सततं नम:। नम: प्रकृत्यै भद्रायै नियता: प्रणता: स्म ताम्॥1॥
रौद्रायै
नमो नित्यायै गौर्यै धा˜यै नमो
नम:। ज्योत्स्नायै चेन्दुरूपिण्यै सुखायै सततं नम:॥2॥
कल्याण्यै
प्रणतां वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नम:। नैर्ऋत्यै भूभृतां लक्ष्म्यै शर्वाण्यै
ते नमो नम:॥3॥
दुर्गायै
दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै। ख्यात्यै तथैव कृष्णायै धूम्रायै सततं नम:॥4॥
अतिसौम्यातिरौद्रायै
नतास्तस्यै नमो नम:। नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नम:॥5॥
या देवी
सर्वभूतेषु विष्णुमायेति शब्दिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥6॥
या देवी
सर्वभेतेषु चेतनेत्यभिधीयते। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥7॥
या देवी
सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥8॥
या देवी
सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥9॥
या देवी
सर्वभूतेषु क्षुधारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥10॥
या देवी
सर्वभूतेषुच्छायारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥11॥
या देवी
सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥12॥
या देवी
सर्वभूतेषु तृष्णारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥13॥
या देवी
सर्वभूतेषु क्षान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥14॥
या देवी
सर्वभूतेषु जातिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥15॥
या देवी
सर्वभूतेषु लज्जारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥16॥
या देवी
सर्वभूतेषु शान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥17॥
यादेवी
सर्वभूतेषु श्रद्धारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥18॥
या देवी
सर्वभूतेषु कान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥19॥
या देवी
सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥20॥
या देवी
सर्वभूतेषु वृत्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥21॥
या देवी
सर्वभूतेषु स्मृतिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥22॥
या देवी
सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥23॥
या देवी
सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥24॥
या देवी
सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥25॥
या देवी
सर्वभूतेषु भ्रान्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥26॥
इन्द्रियाणामधिष्ठात्री
भूतानां चाखिलेषु या। भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै नमो नम:॥ 27॥
चितिरूपेण
या कृत्स्नमेतद्व्याप्य स्थिता जगत्। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥28॥
स्तुता
सुरै: पूर्वमभीष्टसंश्रयात्तथा सुरेन्द्रेण दिनेषु सेविता।
करोतु सा
न: शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:॥29॥
या
साम्प्रतं चोद्धतदैत्यतापितै-रस्माभिरीशा च सुरैर्नमस्यते।
या च स्मृता तत्क्षणमेव हन्ति न: सर्वापदो भक्ति
विनम्रमूर्तिभि:॥30॥
[2]
पद्मा पद्मालया, पद्मवनवासिनी, श्री, कमला, हरिप्रिया, इन्दिरा, रमा, समुद्रतनया, भार्गवी और जलधिजा nmo nmh
नमस्तेऽस्तु
महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते।
शंखचक्रगदाहस्ते
महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।1।।
इन्द्र बोले, श्रीपीठ पर स्थित
और देवताओं से पूजित होने वाली हे महामाये। तुम्हें नमस्कार है। हाथ में शंख, चक्र और गदा धारण
करने वाली हे महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।
नमस्ते गरुडारूढे
कोलासुरभयंकरि।
सर्वपापहरे देवि
महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।2।।
गरुड़ पर आरुढ़ हो कोलासुर को भय देने
वाली और समस्त पापों को हरने वाली हे भगवति महालक्ष्मी! तुम्हें प्रणाम है।
सर्वज्ञे सर्ववरदे
देवी सर्वदुष्टभयंकरि।
सर्वदु:खहरे देवि
महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।3।।
सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को
भय देने वाली और सबके दु:खों को दूर करने वाली, हे देवि महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार
है।
सिद्धिबुद्धिप्रदे
देवि भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मन्त्रपूते सदा
देवि महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।4।।
सिद्धि, बुद्धि, भोग और मोक्ष देने वाली हे मन्त्रपूत
भगवती महालक्ष्मी! तुम्हें सदा प्रणाम है।
आद्यन्तरहिते देवि
आद्यशक्तिमहेश्वरि।
योगजे योगसम्भूते
महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।5।।
हे देवी! हे आदि-अन्तरहित आदिशक्ति!
हे महेश्वरी! हे योग से प्रकट हुई भगवती महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।
स्थूलसूक्ष्ममहारौद्रे
महाशक्तिमहोदरे।
महापापहरे देवि
महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।6।।
हे देवी! तुम स्थूल, सूक्ष्म एवं
महारौद्ररूपिणी हो, महाशक्ति हो,
महोदरा हो और बड़े-बड़े पापों का नाश
करने वाली हो। हे देवी महालक्ष्मी! तुम्हें नमस्कार है।
पद्मासनस्थिते देवि
परब्रह्मस्वरूपिणी।
परमेशि जगन्मातर्महालक्ष्मी
नमोऽस्तु ते।।7।।
हे कमल के आसन पर विराजमान
परब्रह्मस्वरूपिणी देवी! हे परमेश्वरी! हे जगदम्ब! हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा
प्रणाम है।
श्वेताम्बरधरे देवि
नानालंकारभूषिते।
जगत्स्थिते
जगन्मातर्महालक्ष्मी नमोऽस्तु ते।।8।।
हे देवी तुम श्वेत एवं लाल वस्त्र
धारण करने वाली और नाना प्रकार के अलंकारों से विभूषिता हो। सम्पूर्ण जगत् में
व्याप्त एवं अखिल लोक को जन्म देने वाली हो। हे महालक्ष्मी! तुम्हें मेरा प्रणाम
है।
स्तोत्र पाठ का फल
महालक्ष्म्यष्टकं
स्तोत्रं य: पठेद्भक्तिमान्नर:।
सर्वसिद्धिमवाप्नोति
राज्यं प्राप्नोति सर्वदा।।9।।
जो मनुष्य भक्तियुक्त होकर इस महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का सदा पाठ करता है, वह सारी सिद्धियों और राजवैभव को
प्राप्त कर सकता है।
एककाले पठेन्नित्यं
महापापविनाशनम्।
द्विकालं य: पठेन्नित्यं
धन्यधान्यसमन्वित:।।10।।
जो प्रतिदिन एक समय पाठ करता है, उसके बड़े-बड़े
पापों का नाश हो जाता है। जो दो समय पाठ करता है, वह धन-धान्य से सम्पन्न होता है।
त्रिकालं य:
पठेन्नित्यं महाशत्रुविनाशनम्।
महालक्ष्मीर्भवेन्नित्यं
प्रसन्ना वरदा शुभा।।11।।
जो प्रतिदिन तीन काल पाठ करता है उसके
महान शत्रुओं का नाश हो जाता है और उसके ऊपर कल्याणकारिणी वरदायिनी महालक्ष्मी सदा
ही प्रसन्न होती हैं।
पद्मा पद्मालया, पद्मवनवासिनी, श्री, कमला, हरिप्रिया, इन्दिरा, रमा, समुद्रतनया, भार्गवी और जलधिजा आदि नामों से पूजित देवी
महालक्ष्मी वैष्णवी शक्ति हैं।
श्री अष्टलक्ष्मी स्त्रोतम
आदि
लक्ष्मी सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि चंद्र सहोदरि हेममये ।
मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनी मंजुल भाषिणि
वेदनुते ।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित सद-गुण वर्षिणि
शान्तिनुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि आदिलक्ष्मि
परिपालय माम् ।
धान्य लक्ष्मी
अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये
।
क्षीर समुद्भव मङ्गल रुपिणि मन्त्रनिवासिनि
मन्त्रनुते ।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि देवगणाश्रित
पादयुते ।
जय
जय हे मधुसूदनकामिनि धान्यलक्ष्मि परिपालय माम् ।
धैर्य लक्ष्मी
जयवरवर्षिणि वैष्णवि भार्गवि मन्त्र स्वरुपिणि
मन्त्रमये ।
सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद ज्ञान विकासिनि
शास्त्रनुते ।
भवभयहारिणि पापविमोचनि साधु जनाश्रित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदापालय
माम् ।
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गज लक्ष्मी
जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि वैदिक रूपिणि वेदमये
।
रधगज तुरगपदाति समावृत परिजन मंडित लोकनुते ।
हरिहर ब्रम्ह सुपूजित सेवित ताप निवारिणि पादयुते
।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि गजलक्ष्मि रूपेण पालय माम्
।
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सन्तान लक्ष्मी
अयि खगवाहिनी मोहिनि चक्रिणि रागविवर्धिनि
ज्ञानमये ।
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि सप्तस्वर भूषित गाननुते
।
सकल सुरासुर देव मुनीश्वर मानव वन्दित पादयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि सन्तानलक्ष्मि परिपालय
माम् ।
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विजय लक्ष्मी
जय कमलासनि सद-गति दायिनि ज्ञानविकासिनि गानमये ।
अनुदिन मर्चित कुङ्कुम धूसर भूषित वसित वाद्यनुते
।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित शङ्करदेशिक मान्यपदे ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विजयक्ष्मि परिपालय माम्
।
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विद्या लक्ष्मी
प्रणत
सुरेश्वरि भारति भार्गवि शोकविनाशिनि रत्नमये ।
मणिमय भूषित कर्णविभूषण शान्ति समावृत हास्यमुखे
।
नवनिद्धिदायिनी कलिमलहारिणि कामित फलप्रद
हस्तयुते ।
जय जय हे मधुसूदन कामिनि विद्यालक्ष्मि सदा पालय
माम् ।
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धन लक्ष्मी
धिमिधिमि
धिन्धिमि धिन्धिमि-दिन्धिमी दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये ।
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम शङ्ख निनाद
सुवाद्यनुते ।
वेद पुराणेतिहास सुपूजित वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते
।
जय जय हे कामिनि धनलक्ष्मी रूपेण पालय माम् ।
अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।
विष्णुवक्षःस्थलारूढे भक्तमोक्षप्रदायिनी ।।
शङ्ख चक्र गदाहस्ते विश्वरूपिणिते जयः ।
जगन्मात्रे च मोहिन्यै मङ्गलम शुभ मङ्गलम । ।
इति श्री अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम सम्पूर्णम ।
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अष्टलक्ष्मी स्त्रोत का पूजन करने की विधि आप
सबसे पहले घर को गंगाजल से पवित्र कर लें। घर के ईशान कोण दिशा में मां लक्ष्मी की
प्रतिमा या तस्वीर लगाएं। यदि आपके पास श्री यंत्र है तो उसे भी स्थापित करके
प्रणाम कर लें। अब आप अष्टलक्ष्मियों के नाम का जप करते हुए उनका आशीर्वाद लें और
साथ ही धुप, दीप, गंध और सफेद
फूलों से मां लक्ष्मी की पूजा करें। अष्टलक्ष्मी मंत्र का जप करें और पूजा के बाद
लक्ष्मी माता की कथा भी सुनें।
पूजा के लिए आप उजले वस्त्र पहनें। पूजा स्थान का पवित्र होना आवश्यक है।
इसके लिए आप गंगाजल का छिड़काव कर सकते हैं। पाठ की समाप्ति पर आप मां लक्ष्मी को
खीर का भोग लगाएं साथ ही इस पूजा का प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों को दें।
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चमत्कारिक लाभ् देने वाला मंत्र-
दियो की अवली
दीपाबली
हर जाति-धर्म
की एकावली
श्री राम की ये
बानावली
अधर्म से धर्म की मुक्तावली
सत्य की
विज्यावली, गीतावली, कवितावली
पाप के अन्त की
संकेतावली ।
- 1-महाविद्या ॐ महाविद्यायै नम:।
- 2-जगन्माता ॐ जगन्मात्रे नम:।
- 3-महालक्ष्मी ॐ महालक्ष्म्यै नम:।
- 4-शिवप्रिया ॐ शिवप्रियायै नम:।
- 5-विष्णुमाया ॐ विष्णुमायायै नम:।
- 6-शुभा ॐ शुभायै नम:।
- 7-शान्ता ॐ शान्तायै नम:।
- 8-सिद्धा ॐ सिद्धायै नम:।
9.सिद्धसरस्वती ॐ सिद्धसरस्वत्यै नम:।
10.क्षमाॐ क्षमायै नम:।
11.कान्तिःॐ कान्त्यै नम:।
12.
प्रभा ॐ प्रभायै नम:।13.
ज्योत्स्ना ॐ ज्योत्स्नायै नम:।14.
पार्वतीॐ पार्वत्यै नम:।15.
सर्वमङ्गला ॐ सर्वमङ्गलायै नम:।हिङ्गुला
ॐ हिङ्गुलायै नम:।17.
चण्डिका ॐ चण्डिकायै नम:।18.
दान्ता ॐ दान्तायै नम:।19.पद्मा ॐ पद्मायै नम:।
20.
लक्ष्मी ॐ लक्ष्म्यै नम:।21.
हरिप्रिया ॐ हरिप्रियायै नम:।22. त्रिपुरा
ॐ त्रिपुरायै नम:।23.नन्दिनी
ॐ नन्दिन्यै नम:।
24.
नन्दा
ॐ नन्दायै नम:।25.
सुनन्दा ॐ सुनन्दायै नम:।26.
सुरवन्दिता ॐ सुरवन्दितायै नम:।27.यज्ञविद्या
ॐ यज्ञविद्यायै नम:।
28.
महामाया ॐ महामायायै नम:।29.
वेदमाता ॐ वेदमात्रे नम:।30.सुधा ॐ सुधायै नम:।
31.
धृतिः ॐ धृत्यै नम:।
32.
प्रीतिःॐ प्रीतये नम:।33.
प्रथा ॐ प्रथायै नम:।34.
प्रसिद्धा
ॐ प्रसिद्धायै नम:।35.
मृडानी
ॐ मृडान्यै नम:।36.
विंध्यवासिनी ॐ विन्ध्यवासिन्यै नम:।37.
सिद्धविद्या ॐ सिद्धविद्यायै नम:।38.
महाशक्ति:
ॐ महाशक्तये नम:।39.
पृथ्वी
ॐ पृथ्व्यै नम:।
40.
नारदसेविता
ॐ नारदसेवितायै नम:।41.
पुरुहुतप्रिया
ॐ पुरुहूतप्रियायै नम:।42.
कान्ता
ॐ कान्तायै नम:।43.
कामिनी ॐ कामिन्यै नम:।44.
पद्मलोचना ॐ पद्मलोचनायै नम:।45.
प्रह्लादिनी ॐ प्रह्लादिन्यै नम:।46.
महामाता
ॐ महामात्रे नम:।
47.
दुर्गा ॐ दुर्गायै नम:।48.
दुर्गतिनाशिनी ॐ दुर्गतिनाशिन्यै नम:।49.
ज्वालामुखी ॐ ज्वालामुख्यै नम:।50.
सुगोत्रा
ॐ सुगोत्रायै नम:।51.
ज्योति: ॐ ज्योतिषे नम:।52.
कुमुदवासिनी ॐ कुमुदवासिन्यै नम:।53.
दुर्गमा ॐ दुर्गमायै नम:।54.
दुर्लभा
ॐ दुर्लभायै नम:।55.
विद्या ॐ विद्यायै नम:।56.
स्वर्गति: ॐ स्वर्गत्यै नम:।57.
पुरवासिनी ॐ पुरवासिन्यै नम:।58.
अपर्णा
ॐ अपर्णायै नम:।59.
शाम्बरीमाया ॐ शाम्बरीमायायै नम:।60.
मदिरा ॐ मदिरायै नम:।61.
मृदुहासिनी ॐ मृदुहासिन्यै नम:।62.62.
कुलवागीश्वरी
ॐ कुलवागीश्वर्यै नम:।63.
नित्या ॐ नित्यायै नम:।64.
नित्यक्लिन्ना ॐ नित्यक्लिन्नायै नम:।65.
कृशोदरी ॐ कृशोदर्यै नम:।66.
कामेश्वरी ॐ कामेश्वर्यै नम:।67.
नीला ॐ नीलायै नम:।68.
भीरुण्डा ॐ भीरुण्डायै नम:।
69
वह्निवासिनी ॐ वह्निवासिन्यै नम:।70-70
लम्बोदरी
ॐ लम्बोदर्यै नम:।71.
महाकाली
ॐ महाकाल्यै नम:।72.
विद्याविद्येश्वरी
ॐ विद्याविद्येश्वर्यै नम:।73.
नरेश्वरी
ॐ नरेश्वरायै नम:।
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