98 नवरात्रों में नौ देवियों के मंत्र
देवी : बीज मंत्र
1. शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:।
2. ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:।
3. चन्द्रघण्टा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:।
4. कूष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:।
5. स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:।
6. कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:।
7. कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
8. महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।
9. सिद्धिदात्री : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:।
[2]
देवी आराधना के पर्व नवरात्रि में उपासक अगर कठिन पाठ और मंत्र जप से डरते हैं तो नौ दिन तक मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना दिव्य एकाक्षरी मंत्र से करना चाहिए। यह सरल मंत्र हीसमस्त बाधा, अरिष्ट व अनिष्ट का नाश करते हैं तथा देवी मां मनोवांछित फल प्रदान करती हैं।>
इन एकाक्षरी बीज मंत्र का जाप करें।
1. * ॐ शैल पुत्र्यैय नमः
2. ॐ ब्रह्मचारिण्यै नम:
3. * ॐ चन्द्रघंटेति नम:
4. * ॐ कुष्मांडैय नम:
3. * ॐ चन्द्रघंटेति नम:
4. * ॐ कुष्मांडैय नम:
5. ॐ स्कंदमातैय नम:
6. * ॐ कात्यायनी नम:
7. * ॐ कालरात्रैय नम:
8. * ॐ महागौरेय नम:
9. * ॐ सिद्धिदात्रैय नम:
6. * ॐ कात्यायनी नम:
7. * ॐ कालरात्रैय नम:
8. * ॐ महागौरेय नम:
9. * ॐ सिद्धिदात्रैय नम:
[3]
1. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं शैलपुत्र्यै नम:.
2. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:.
3. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चन्द्रघंटायै नम:.
4. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्मांडायै नम:.
5. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं स्कंदमातायै नम:.
6. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कात्यायनायै नम:.
7. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नम:.
8. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महागौर्ये नम:.
9. ॐ ऐं ह्रीं क्लीं सिद्धिदात्यै नम:.
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श्रीदुर्गा 32 नामावली---
मां भगवती के 32 नाम
अथ “श्री दुर्गा बत्तीस नामवली” स्त्रोत
दुर्गा दुर्गार्ति शमनी दुर्गापद्विनिवारिणी।
दुर्गामच्छेदिनी दुर्गसाधिनी दुर्गनाशिनी
दुर्गम ज्ञानदा दुर्गदैत्यलोकदवानला
दुर्गमा दुर्गमालोका दुर्गमात्मस्वरूपिणी
दुर्गमार्गप्रदा दुर्गमविद्या दुर्गमाश्रिता
दुर्गमज्ञानसंस्थाना दुर्गमध्यानभासिनी
दुर्गमोहा दुर्गमगा दुर्गमार्थस्वरूपिणी
दुर्गमासुरसंहन्त्री दुर्गमायुधधारिणी
दुर्गमाङ्गी दुर्गमाता दुर्गम्या दुर्गमेश्वरी
दुर्गभीमा दुर्गभामा दुर्लभा दुर्गधारिणी
नामावली ममायास्तु दुर्गया मम मानसः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
इस नामावली को सन्धि विच्छेद करके भी जाप किया जा सकता है-
1. ॐ दुर्गा,
2. दुर्गतिशमनी,
3. दुर्गा पद्विनिवारिणी,
4. दुर्गमच्छेदनी,
5. दुर्गसाधिनी,
6. दुर्गनाशिनी,
7. दुर्गतोद्धारिणी,
8. दुर्गनिहन्त्री
9. दुर्गमापहा,
10. दुर्गमज्ञानदा,
11. दुर्गदैत्यलोकदवानला,
12. दुर्गमा,
13. दुर्गमालोका,
14. दुर्गमात्मस्वरुपिणी,
15. दुर्गमार्गप्रदा,
16. दुर्गम विद्या,
17. दुर्गमाश्रिता,
18. दुर्गमज्ञान संस्थाना,
19. दुर्गमध्यान भासिनी,
20. दुर्गमोहा,
21. दुर्गमगा,
22. दुर्गमार्थस्वरुपिणी,
23. दुर्गमासुर संहंत्रि,
24. दुर्गमायुध धारिणी,
25. दुर्गमांगी,
26. दुर्गमता,
27. दुर्गम्या,
28. दुर्गमेश्वरी,
29. दुर्गभीमा,
30. दुर्गभामा,
31. दुर्गमो,
32. दुर्गोद्धारिणी।
नामावली ममायास्तु दुर्गया मम मानसः
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
पठेत् सर्व भयान्मुक्तो भविष्यति न संशयः ।
कोई भी व्यक्ति परेशानी या कठिनाई के समय में इन 32 नामों का उच्चारण करता है, तो कुछ ही समय में उसके सभी दुख दूर हो जाते है और वो आनंदपूर्वक जीवन व्यतीत करता है।
कैसे करें दुर्गा के पावन नामों का जप -
* किसी भी दिन या नवरात्रि में स्नानादि कार्यों से निवृत्त होने के बाद कुश या कंबल के आसन पर पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठें।
* तत्पश्चात घी का दीपक जलाएं तथा मां दुर्गा को प्रिय उनके नामों की 5, 11 या 21 माला का जाप निरंतर नौ दिन तक करें।
* इसके साथ ही माता से अपनी सभी मनोकामना पूर्ण करने की याचना करें।
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गुप्त नवरात्र -हिंदू पंचांग के अनुसार गुप्त नवरात्रि साल में 2 बार आते हैं एक माघ महीने में और दूसरा आषाढ़ महीने में।
गुप्त नवरात्रि में मां भगवती के गुप्त स्वरूप यानी काली माता की गुप्त रूप से अराधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि में देवी मां के नौ रूपों की पूजा नहीं होती बल्कि 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। ये विद्याए हैं- काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी हैं। मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों में देर रात में गुप्त रूप से पूजा की जानी चाहिए और घी का दीपक जलाने के बजाए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।
गुप्त नवरात्र पूजा विधि
-इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात ही की जाती है।
-मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर, लाल चुन्नी चढ़ाई जाती है
- नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं और लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें
- गुप्त नवरात्रि में सरसों के तेल के ही दीपक जलाएं
-ॐ दुं दुर्गायै नमः का जाप करना चाहिए
-इस व्रत में मां दुर्गा की पूजा देर रात ही की जाती है।
-मूर्ति स्थापना के बाद मां दुर्गा को लाल सिंदूर, लाल चुन्नी चढ़ाई जाती है
- नारियल, केले, सेब, तिल के लडडू, बताशे चढ़ाएं और लाल गुलाब के फूल भी अर्पित करें
- गुप्त नवरात्रि में सरसों के तेल के ही दीपक जलाएं
-ॐ दुं दुर्गायै नमः का जाप करना चाहिए
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