देखा ब्रिटिश सरकार रवैय्या " आज़ादी आन्दोलन"तेज़ हुआ उसे कुचलने" सिडनी रोलेट "ने 'सेडीशन समिति' को नियुक्त किया i और फिर बड़ी चालाकी से उस जज ने ," रोलेट एक्ट " लागू किया i ["प्रेस पर सेंसरशिप"," और बिना मुकद्दमा गिरफ्तारी"] उसके तहत दो धाराएं लगीं जनता का आवाहन किया तो गांधी जी को हथ कड़ी लगी i हद तो जुल्म की तब हुई ,जब " सैफुद्दीन किचलू" और " सत्यपाल" को काला पानी भेज दिया पेश की जब मांग रिहा की, तो ज़ालिम, " जनरल डायर " ने जलियांवाला कांड किया i विरोध तेज़ हुआ 'रोलेट-एक्ट' का सभा हुई तब अमृतसर में बैठे लोग निहत्थे देख कर भून दिया उन्हें एक मिनट में i भागने का रास्ता जब नहीं मिला तो कुछ कूद गए , वहीं कूँए में i उद्दमसिंह था एक सेनानी डायर को मारने की उसने ठानी 13 मार्च 1940 , लन्दन में जा कर दे दी उसे श्रद्धांजलि भीनी ii ज़ालिम तो ज़ालिम होते हैं कहां थे वे रूकने वाले 31 जुलाई उसी साल ज़िन्दग