232. 33 कोटि देवी-देवता कौन से हैं?

 


कोटि व करोडमें  अन्तर- 

                                        जो  अन्तर  मात्र और समूह में है

                                          जो सीमित और असीमित में है

    वस्तुत: 33 कोटि का अर्थ है 33 उच्चतम भगवान ।

वेदारण्यगोपनिश्द में  यग्य्वाल्कीय प्रश्नावली  में भी  पूछा  गया  है। 8 वसु,11रुद्र, 12आदित्य  2अश्विनी कुमारों को

 मिला कर 33कोटि देवी-देवता  बनते हैं । यदि  विस्तार में  बताया जाए तो----

1.    8 वसु  प्रकृति  के विभिन्न  भागों का प्रतिनिधित्व  करते  हैं  । जैसे-

      अनिल अर्थात वायु, 

       अपस अर्थात  जल,  

       देओस अर्थात अंतरिक्ष, 

        धरा  अर्थात पृथ्वी,  

        ध्रुवतारा, 

        अनल अर्थात अग्नि, 

        प्रभास अर्थात अरुणोदय

      और  अन्तिम है- सोम  अर्थात चन्द्रमा।

2.    12 आदित्य- जो हमारे  सामाजिक जीवन के 12 भागों  और 12 महीनों के  विषय में  बताते  हैं ।

प्रथम- शक्र  अर्थात  नैतृत्व

दिव्तीय-अंश  अर्थात हिस्सा

तृतीय- आर्यमान  अर्थात  श्रेष्ठता

चौथा-भाग अर्थात धरोहर

पांचवां- धतृ  अर्थात अनुष्ठान कौशल

छ्टा-वस्त्र अर्थात शिल्प कौशल

सातवां-मित्र अर्थात मित्रता

आथ्वां- रवि या पुशन जो समृद्धि का प्रतीक है ।

नौवां- सवित्र या पर्जन्य जिसका  अर्थ  है ' शब्दों में छिपी  हुई  शक्ति '

दसवां- सूर्य  या  विवस्वान जिसका अर्थ  है- सामाजिक  कानून

ग्यारहवां- वरुण जो भाग्य का प्रतीक  है

बारहवां--वामन  जिसका अर्थ है -ब्र्हाम्डीय  कानून

11  रुद्र-

      मन्यु, मनु, महिनस, महान, शिव, ऋतध्वज, उग्ररेता, भव, काल, वामदेव, धृतव्रत. -

     ये सभी  शरीर रूपी मशीन को चलाते हैं

2 अश्विनी कुमार-

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