Posts

Showing posts from December, 2020

153. दर्द एक पिता का -एक लघु कथा

Image
                    हिन्दू  शास्त्रोंं में    माता   को    पृथ्वी  से  भारी  तथा    पिता  को आकाश  से उच्च   माना  गया है । पद्मपुराण  के  47/12-14   श्लोकोंं   में  कहा  गया  है-                                    सर्व  तीर्थमयी  माता  सर्वदेवमय:  पिता         अर्थात   माता  सब  दुखों  से  छुड्।ने वाला    तीर्थ  है   और  पिता सम्पूर्ण   देवताओं का स्वरूप   है   । पिता   वह    वृक्ष   है   जो   स्वयं  धूप   की   थपेडें   सह   कर  आने  वाली   कई     पीढ़ीयों...

152. अह्सास आखिरी पल का-एक लघु कथा

                                         ज़िन्दगी  धारा है वक्त की, अविरल  सी वह बहती  है                   अरमानोंं के भार   उठाती,  इतराती,बल  खाती , अन्तिम मन्ज़िल जब पाती है, "सही मायनों में जीना था कैसे ?" तब जा कर वह सिखाती है "ज़िंदगी के रंंग हज़ार " यह कहते अक्सर लोगों को कहते हम सुनते हैं । कोई अपने जीवन में पुन्यों के रंग भरता है तो कोई पापों के । ये रंग भी अजीब हैं किसी को पक्के   चढ़  जाते  हैं  ,किसी  को  कच्चे  । कहने  को  तो  ये  रंग  हैं   पर   दिमाग  इनका     मनुष्य   से  भी  तेज़  है  । ये        मनुष्य  को  पहले  परखते  हैं  फिर  उस  पर     ...