153. दर्द एक पिता का -एक लघु कथा
हिन्दू शास्त्रोंं में माता को पृथ्वी से भारी तथा पिता को आकाश से उच्च माना गया है । पद्मपुराण के 47/12-14 श्लोकोंं में कहा गया है- सर्व तीर्थमयी माता सर्वदेवमय: पिता अर्थात माता सब दुखों से छुड्।ने वाला तीर्थ है और पिता सम्पूर्ण देवताओं का स्वरूप है । पिता वह वृक्ष है जो स्वयं धूप की थपेडें सह कर आने वाली कई पीढ़ीयों...