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Showing posts from June, 2025

----------- ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या प्रारम्भ-------

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  -----------------------------------------------निरुपमा गर्ग   Note: Those who want to get the printed book , please let us know through comment box  Navratri 2025. श्रीललितासहस्रनामस्तोत्र (श्री  ललिता  के 1000 नाम) ऋषि वेद व्यास द्वारा रचित ब्रह्माण पुराण. का भाग है जिसमें हयग्रीव और ऋषि अगस्त्य के मध्य का संवाद है | भगवान विष्णु के अवतार हयग्रीव ने  श्रीललितासहस्रनाम के माध्यम से  अगस्त्य   ऋषि  को श्री विद्या उपासना की  दीक्षा  दी थी ।    लमित्यादि पन्चपूजा-    लं- पृथ्वी तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै गन्धं परिकल्पयामि । " हे पृथ्वी तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी , मैं आपको चंदन अर्पित   करती हूँ।" हं- आकाश तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै पुष्पं परिकल्पयामि ।  "हे आकाश तत्व की देवी, श्री ललिता देवी, मैं आपको पुष्प अर्पित करती हूँ"।   यं- वायु तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै धूपं परिकल्पयामि । "हे वायु तत्व की स्वामिनी श्री ललिता देवी, मैं आपको धूप अर्पित करती हूँ".   रं- वह्नि तत्वात्...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 1- 29

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  -------------------------------------------------निरुपमा गर्ग Note:  Those who  want to get the printed book , please let us know through comment box Navratri 2025 1. ॐ ऐं ह्रीं श्रीं श्रीमात्रे नमः ---जो समस्त संसार के दुखों को हर कर अपार सुख देने वाली हैं,  2. ॐ श्री महाराज्ञै नमः ---जो पूरे ब्रह्माण्ड की सम्राग्यी / महारानी  हैं, 3. ॐ श्री मतसिंहासनेश्वयै नमः -- जो शेरों के सिंहासन पर विराजमान हैं, तथा- 4. ॐ चिदग्नि कुण्ड सम्भूतायै नमः -- जो शुद्ध चेतना के अग्नि-कुंड में उत्पन्न हुईं हैं , उन्हें नमस्कार , उन्हें  बार-बार नमस्कार हो । 5. ॐ देव कार्यसमुद्यतायै नमः ---जो देवताओं के कार्य सम्पन्न करने में तत्पर रहती हैं,  6. ॐ उद्यद् भानु सहस्राभा +यै नमः --जो हज़ारों उगते सूर्यों की चमक रखती है, 7. ॐ चतुर्बाहु समन्विता+यै नमः -- जो चार भुजाओं वाली मां  लक्ष्मी के नाम से       जानी जाती हैं, तथा- 8.  ॐ रागस्वरूप पाशाढ्या+यै नमः -- जो हाथ में प्रेम की डोर थामे हुए हैंं, उन्हें नमस्कार ,    उन्हें  ...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 30-59

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        -----------------------------------------------निरुपमा गर्ग Note: Those who want to get the printed book,please let us know through comment box  before N avratri 2025. 30.  ॐ कामेशबद्ध माङ्गल्य सूत्र शोभित कन्धरायै नमः -   कामेशबद्ध अर्थात जिनकी  गर्दन में कामेश्वर द्वारा बंधा हुआ  पवित्र धागा चमक रहा है, 31.  ॐ कनकाङ्गद केयूर कमनीय भुजान्वितायै नमः - जिनकी भुजाएँ सुन्दर रूप से  कनकाङ्गद केयूर अर्थात कनक यानी स्वर्ण बाजूबंदों से सजी हुई हैं, तथा- 32 . ॐ रत्नग्रैवेय -चिन्ताक-लोल -मुक्ता फलान्वितायै नमः - रत्नग्रैवेय अर्थात जिनकी गर्दन  रत्नजड़ित स्वर्ण पेंडेंट और मोतियों की माला  से शोभायमान है उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 33 से ले कर 43 तक मां के सभी अंगों का वर्णन है । हमारा उद्देश्य केवल मां के चरणों पर ही ध्यान केन्द्रित करना है अत: मां के अंगों  की व्याख्या वर्जित की गई है । 33.ॐ कामेश्वर प्रेम रत्नमणि प्रतिपण स्तन्यै नमः। 34.ॐ नाभ्याल वाल रोमालि लताफल कुचद्वय्यै नमः। 35.ॐ लक्ष्य रोम ...

ललिता सहस्त्रनाम हिन्दी व्याख्या - 60 - 99

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    ----------------------------------------------निरुपमा गर्ग N ote: Those who want to get the printed book,please let us know through comment box  before Navratri 2025. 60. ॐ कदम्ब वन वासिन्यै नमः - जो कदम्ब वन में निवास करती हैंं, 61. ॐ सुधासागर मध्यस्थायै नमः - जो अमृत सागर के मध्य में निवास करती हैं ,   62 . ॐ कामाक्ष्यै नमः -  जो अपनी दृष्टि से सब की इच्छाएं पूरी करती हैं ,  तथा- 63. ॐ काम दायिन्यै नमः – जो मनोवाण्छित मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो ।  64. ॐ देवर्षि गण सङ्घात स्तूय मानात्म वैभायै नमः – जिनके गुणों की प्रशंसा सब देवता व ऋषिगण करते हैं ,    65. ॐ भण्डासुर वधो द्युक्त शक्तिसेना समन्वितायै नमः  - जो बंदसुर जैसे असुरों का  संहार करने पर आमदा शक्तियों की सेना से संपन्न हैं ,   66. ॐ सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रज सेवितायै नमः - जिनके साथ हाथियों का एक झुंड है , जिसका कुशल नेतृत्व सम्पतकर कर रहे हैं ,  तथा- 67. ॐ अश्वा रूढा+धिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरा+वृतायै ...

ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 100 - 137

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  ----------------------------------------------निरुपमा गर्ग Note: Those who want to get the printed book,please let us know through comment box  before Navratri 2025. 100. ॐ ब्रह्म ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः - जो ब्रह्म की ग्रन्थि का विभेदन करती हैं 101. ॐ मणिपूरान्त रुदितायै नमः - जो मणिपूर चक्र में उभरती हैं ,   102. ॐ विष्णुग्रन्थिविभेदिन्यै नमः - जो भगवान विष्णु की ब्र्ह्म ग्रन्थि का  विभेदन करने की सामर्थ्य रखती हैं ,  तथा- 103 . ॐ आज्ञा चक्रान्तराल स्थायै नमः - जो आज्ञा चक्र के केंद्र में निवास करती हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 104. ॐ रुद्र ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः - जो शिव की गिरह / ब्र्ह्म ग्रन्थि को पृथक करती हैं ,   105. ॐ सहस्रा+राम्बुजा रूढायै नमः - जो हजार पंखुड़ियों वाले कमल पर आरूढ़ हैं ,   106. ॐ सुधा+साराभि वर्षिण्यै नमः - जो अमृत की धारा की वर्षा करती हैं ,  तथा- 107. ॐ तडिल्लता समरुच्यै नमः - जो बिजली की चमक के समान सुन्दर हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 108. ॐ षट्चक्रो परिसंस्थितायै नमः - जो छह चक्रो...