ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 100 - 137
----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
100. ॐ ब्रह्म ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः- जो ब्रह्म की ग्रन्थि का विभेदन करती हैं
101. ॐ मणिपूरान्त रुदितायै नमः- जो मणिपूर चक्र
में उभरती हैं,
102. ॐ विष्णुग्रन्थिविभेदिन्यै नमः- जो भगवान विष्णु की ब्र्ह्म
ग्रन्थि का विभेदन करने की सामर्थ्य रखती हैं, तथा-
103. ॐ आज्ञा चक्रान्तराल स्थायै नमः- जो आज्ञा चक्र के
केंद्र में निवास करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
104. ॐ रुद्र ग्रन्थि विभेदिन्यै नमः-जो शिव की गिरह/ ब्र्ह्म ग्रन्थि को पृथक करती हैं,
105. ॐ सहस्रा+राम्बुजा रूढायै नमः- जो हजार
पंखुड़ियों वाले कमल पर आरूढ़ हैं,
106. ॐ सुधा+साराभि वर्षिण्यै नमः- जो अमृत की धारा
की वर्षा करती हैं, तथा-
107. ॐ तडिल्लता समरुच्यै नमः- जो बिजली की चमक
के समान सुन्दर हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
108. ॐ षट्चक्रो परिसंस्थितायै नमः- जो छह चक्रों के
ऊपर निवास करती हैं,
109. ॐ महाशक्त्यै नमः-जो महाशक्ति हैं,
110. ॐ कुण्डलिन्यै नमः- जो कुंडलिनी के
रूप में हैं, तथा-
111. ॐ बिस+तन्तु तनी यस्यै नमः- जो कमल के रेशे की
तरह सुन्दर और नाजुक हैं,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
112. ॐ भवान्यै नमः- जो भव (शिव) की
पत्नी हैं,
113. ॐ भावना गम्यायै नमः- जो कल्पना या विचार से
अप्राप्य हैं, तथा-
114. ॐ भवारण्य कुठारिकायै नमः- जो संसार के जंगल को साफ करने के लिए
कुल्हाड़ी की तरह हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
115. ॐ भद्र प्रियायै नमः—जो भक्तों की भलाई
करने में रूचि रखती हैं,
116. ॐ भद्रमूर्त्यै नमः- जो शुभता या
परोपकार का अवतार हैं,
117. ॐ भक्त सौभाग्य दायिन्यै नमः-जो अपने भक्तों को सौभाग्य प्रदान करती
हैं,
118. ॐ भक्ति प्रियायै नमः- जो भक्ति से प्रसन्न
होती हैं,
119. ॐ भक्ति गम्यायै नमः- जो केवल भक्ति से
प्राप्त होती हैं , तथा-
120. ॐ भक्ति वश्यायै नमः- जो भक्ति के वश
में रहती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
121. ॐ भयापहायै नम:- जो भय को दूर करती हैं,
122. ॐ शाम्भव्यै नमः- जो शम्भू (शिव) की शक्ति शाम्भवी के नाम से जानी जाती हैं
123. ॐ शारदा+राध्यायै नमः- जो शारदा (सरस्वती, वाणी की देवी)
द्वारा पूजी जाती हैं, तथा-
124. ॐ शर्वाण्यै नमः- जो शर्व अर्थात शिव)
की पत्नी हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो
।
125. ॐ शर्म दायिन्यै नमः- जो प्रसन्नता
प्रदान करती हैं,
126. ॐ शाङ्कर्यै नमः- जो शंकर जी की
पत्नी "शांकरी" कहलाती हैं,
127. ॐ श्रीकर्यै नमः- जो प्रचुर मात्रा में धन प्रदान करती हैं, तथा-
128. ॐ साध्व्यै नमः— जो अपने पति को
समर्पित हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
129. ॐ शरच्चन्द्र निभाननायै नमः- जिनका चेहरा साफ़
शरद ऋतु के आकाश में
पूर्णिमा के चंद्रमा की तरह चमकता हैं,
130. ॐ शातोदर्यै नमः- जो पतली कमर वाली हैं,
131. ॐ शान्तिमत्यै नमः- जो शांतिपूर्ण हैं, तथा-
132. ॐ निराधारायै नमः— जिन्हें किसी सहारे की आवश्यकता नहीं हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
133. ॐ निरञ्जनायै नमः- जो अनासक्त रहती हैं, किसी भी चीज़ से बंधी नहीं रहतीं,
134. ॐ निर्लेपायै नमः- जो कर्म से उत्पन्न होने वाली सभी अशुद्धियों से
मुक्त हैं,
135. ॐ निर्मलायै नमः- जो अत्यधिक निर्मल हैं,
136. ॐ नित्यायै नमः- जो शाश्वत हैं, तथा-
137. ॐ निराकारायै नमः- जो निराकार हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
==========================================================
अगला लेख-------138-168
Comments
Post a Comment