----------- ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या प्रारम्भ-------

 My photo

-----------------------------------------------निरुपमा गर्ग

 


श्रीललितासहस्रनामस्तोत्र (श्री ललिता के 1000 नाम) ऋषि वेद व्यास द्वारा रचित ब्रह्माण पुराण. का भाग है जिसमें हयग्रीव और ऋषि अगस्त्य के मध्य का संवाद है | भगवान विष्णु के अवतार हयग्रीव ने श्रीललितासहस्रनाम के माध्यम से अगस्त्य ऋषि को श्री विद्या उपासना की दीक्षा दी थी ।

  

लमित्यादि पन्चपूजा-  

लं- पृथ्वी तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै गन्धं परिकल्पयामि ।

"हे पृथ्वी तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी, मैं आपको चंदन अर्पित 

 करती हूँ।"

हं- आकाश तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै पुष्पं परिकल्पयामि ।

 "हे आकाश तत्व की देवी, श्री ललिता देवी, मैं आपको पुष्प अर्पित करती हूँ"। 

यं- वायु तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै धूपं परिकल्पयामि ।

"हे वायु तत्व की स्वामिनी श्री ललिता देवी, मैं आपको धूप अर्पित करती हूँ". 

रं- वह्नि तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै दीपं परिकल्पयामि ।

 "मैं अग्नि तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी के लिए दीपक प्रस्तुत करती हूँ"।

वं- अमृत तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै अमृतनैवेद्यम परिकल्पयामि ।

"अमृत तत्व स्वरूपिणी श्री ललिता देवी के लिए अमृत रूपी नैवेद्य (भोजन) अर्पित करती हूँ।" 

सं- सर्व तत्वात्मिकायै श्री ललितादेव्यै सर्वोप चारान परिकल्पयामि ।

"मैं सभी तत्वों की देवी को "सभी प्रकार के सम्मान और उपहार".अर्पित करती हूं ।
======================================================================
                     अस्य श्री ललिता सहस्त्र नाम स्तोत्र माला मन्त्रस्य ।

वशिन्यादि वाग्देवता ऋषय: । अनुष्टुप छन्द: ।

श्री ललिता परमेश्वरी देवता । श्रीमद वाग्भव कूटेति बीजम ।

मध्य कूटेति शक्ति: । शक्ति कूटेति कीलकम ।

                           1

श्री ललिता महा त्रिपुर- सुन्दरी – प्रसाद सिद्धि द्वारा

चिन्तित फला वाप्त्य्रर्थे  जपे विनियोग: ।

           ॥ ध्यानं ॥     

 सिन्दूरा रूण विग्रहां त्रिनयनां- माणिक्य मौलि स्फुरत

तारा नायक शेखरां - स्मित मुखी मापीन वक्षोरुहाम

===============================================================अर्थ- 

सिन्दूरा रूण विग्रहां-जिनका श्री विग्रह सिंदूरी वर्ण की आभा से युक्त है,
त्रिनयनांजिनके तीन नेत्र हैं
 माणिक्य मौलि स्फुरतजिन के ललाट पर माणिक्य जड़ित मुकुट है
तारा नायक शेखरां-  जिनके मस्तक पर अर्धचन्द्र सुशोभित है
स्मित मुखी मापीन - जिनका मुख मंद मुस्कान से अलंकृत हैं ,
वक्षोरुहाम - जिन  के पूर्ण विकसित उरोज उनके मातृत्व का प्रतीक हैं,उनके श्री  चरणों का हम ध्यान करते  हैं  
===============================================                     ऊं-------------------------------------------------------- 

                           अगला लेख---1-29 

    


 

  

Comments

Popular posts from this blog

{ 5 QUIZ ON; LAL BAHADUR SHASTRI

101 श्री कृष्ण के प्रिय 28 नाम

{ 81} 9 नवरात्रि माता का भोग