----------------------------------------------निरुपमा गर्ग 60. ॐ कदम्ब वन वासिन्यै नमः - जो कदम्ब वन में निवास करती हैंं, 61. ॐ सुधासागर मध्यस्थायै नमः - जो अमृत सागर के मध्य में निवास करती है , 62 . ॐ कामाक्ष्यै नमः - जो अपनी दृष्टि से सब की इच्छाएं पूरी करती हैं , तथा- 63. ॐ काम दायिन्यै नमः – जो मनोवाण्छित मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली हैं , उन्हें नमस्कार , बार-बार नमस्कार हो । 64. ॐ देवर्षि गण सङ्घात स्तूय मानात्म वैभायै नमः – जिनके गुणों की प्रशंसा सब देवता व ऋषिगण करते हैं , 65. ॐ भण्डासुर वधो द्युक्त शक्तिसेना समन्वितायै नमः - जो बंदसुर जैसे असुरों का संहार करने पर आमदा शक्तियों की सेना से संपन्न है , 66. ॐ सम्पत्करी समारूढ सिन्धुर व्रज सेवितायै नमः - जिनके साथ हाथियों का एक झुंड है , जिसका कुशल नेतृत्व सम्पतकर कर रहे हैं , तथा- 67. ॐ अश्वा रूढा+धिष्ठिताश्व कोटिकोटि भिरा+वृतायै नमः - जो कई लाख घोड़ों की घुड़सवार सेना से घिरी हुई है जो शक्ति अश्वारुढ़ के आदेश के अधीन हैं , उन्हें नमस्कार , ...