ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 529- 559
-----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
529. ॐ सर्व वर्णो पशोभितायै नमः—जो अनेक वर्णों में चमकती हैं,
530. ॐ सर्वायुधधरायै नमः- जिनके पास सब प्रकार के हथियार हैं,
531. ॐ शुक्ल संस्थितायैनमः- जो शुक्ल में स्थित हैं, तथा-
532. ॐ
सर्वतोमुख्यै नमः- जिनके मुख चहूँ दिशाओं को देख रहे हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।
533. ॐ सर्वौदन प्रीत चित्तायै नमः- जो स्वेच्छा और श्रद्धा से भेंट किए गए हर
प्रकार
के भोजन को स्वीकार करती हैं
534. ॐ याकिन्यम्बा स्वरूपिण्यै नमः- जो याकिनी अम्बा स्वरूपिणी हैं । जिन को
विभिन्न मंत्रों- "स्वाहा", "स्वधा", "मती", "मेधा", "श्रुति" और "स्मृति" के साथ बुलाया
जाता है । जो दिव्य सुरक्षा
की शक्ति और सभी बाधाओं को दूर करने की क्षमता का प्रतीक हैं ।
535. ॐ
स्वाहायै नमः- जो यग्य में आहूति देने के बाद बोले जाने
वाला स्वर “ स्वाहा” हैं ।
536. ॐ स्वधायै नमः- जो यग्य में आहूति देने के बाद बोले जाने वाला स्वर “ स्वधा “ हैं, तथा-
537. ॐ अमत्यै नमः- जो देवी अविद्या हैं,उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।
538. ॐ
मेधायै नमः- यही देवी ग्यान स्वरूपा हैं
539. ॐ
श्रुत्यै नमः – जो वेदों में हैं अर्थात जिनके स्वरूप का
गायन वेद करते हैं
540. ॐ
स्मृत्यै नमः- जो स्मृति के स्वरूप में हैं
541. ॐ
अनुत्तमायै नमः- जो सर्वोत्तम हैं तथा जिनसे श्रेष्ठ और
कोइ नहीं है, तथा-
542. ॐ पुण्यकीर्त्यै नमः- जो धर्म और न्याय के लिए जानी जाती हैं,
उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।
543.ॐ पुण्य लभ्यायै नमः – जिनकी
कृपा - भक्ति केवल पुण्य-आत्माओं को ही
मिलती है ।
544. ॐ पुण्य श्रवण कीर्तनायै नमः- जो अपनी स्तुति गायन करने वालों पर विशेष
कृपा
बरसाती हैं
545. ॐ पुलोमजार्चितायै नमः-जिनकी पूजा पुलोमजा (इंद्र की पत्नी) द्वारा
की जाती है
546. ॐ बन्धमोचन्यै नमः- जो बंधन से मुक्त है; वह जो बंधन से मुक्ति देती हैं,तथा-
547. ॐ बर्बरालकायै नमः- -जिनके सुन्दर बाल लहर-लहर लहरा रहे हैं, उन्हें बार-बार
नमस्कार हो ।
548. ॐ विमर्शरूपिण्यै नमः-जो विमर्श (प्रतिबिंब या अर्थ) के रूप में हैं,
549 . ॐ विद्यायै नमः- जो ज्ञान स्वरूप हैं,
550. ॐ वियदादि जगत्प्रसुवे नमः- जो ब्रह्मांड की माता है, जो ईथर से शुरू होने वाले
सभी तत्वों का समुच्चय हैं, तथा-
551. ॐ सर्व व्याधिप्रशमन्यै नमः- जो सभी रोगों और दुखों को दूर करती हैं,उन्हें
बार-बार नमस्कार हो ।
552. ॐ सर्व मृत्युनिवारिण्यै नमः- जो अपने भक्तों को सभी से बचाती हैंं,
553. ॐ अग्रगण्यायै नमः- जो अग्रगण्य हैं,
554. ॐ अचिन्त्यरूपायै नमः- जिनका स्वरूप कल्पना से परे हैंं,
555. ॐ कलि कल्मष नाशिन्यै नमः- जो कलियुग के पापों का नाश करने वाली हैं,तथा-
556. ॐ कात्यायन्यै नमः- -जो कात्यायन ऋषि की पुत्री हैं, उन्हें बार-बार
नमस्कार हो ।
557. ॐ कालहन्त्र्यै नमः- जो काल (मृत्यु) का नाश करने वाली हैं
558. ॐ कमलाक्ष निषेवितायै नमः- जिनकी शरण में विष्णु जी रहते हैं,तथा
559. ॐ ताम्बूल पूरित मुख्यै नमः- जिनका मुंह ताम्बूल से पूरित रहता है,
उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
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