ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 925-939
-------------------------------------- निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
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925. ॐ कौलिनी केवलायै नमः-[ “केवला” अर्थात “ब्रह्म से निरंतर जुड़े रहने की अंतर्निहित
क्षमता” ]+ तथा [ “कौलिनी” अर्थात कीचड़-चन्दन, मित्र-शत्रु, श्मशान-भवन एवं
स्वर्ण तथा तृण को एक ही समान समझना” ]-
हे देवी ! आप इन दोनों गुणों का मिश्रण हो । अत: भगवान शंकर आपको“कौलिकों की कुलेश्वरी” कह कर सम्बोधित करते हैं । आपको बार-बार नमस्कार हो ।
926. ॐ अनर्घ्य +कैवल्य+ पद+दायिन्यै नमः- "मैं उस ललिता देवी को प्रणाम करती
हूं जो अनमोल मोक्ष (कैवल्यपद) प्रदान करती हैं।"
927. ॐ स्तोत्र+प्रियायै नमः- भक्त जन मां त्रिपुर सुन्दरी की जिस भी स्त्रोत से स्तुति करते
हैं वे सब उन्हें प्रिय हैं अर्थात वे भक्त का भाव प्रेम से स्वीकार करती हैं ।
928. ॐ स्तुति+मत्यै नमः- जो सभी स्तुतियों का सार हैं उन्हें नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।
929. ॐ श्रुति+संस्तुत वैभवायै नमः- "मैं देवी ललिता को प्रणाम करती हूं, जिनकी
श्रुति (वेदों) द्वारा स्तुति की जाती है और जिनकी महिमा, वैभव,
और सुंदरता की प्रशंसा की जाती है।"
930. ॐ मनस्विन्यै नमः- हे मन और बुद्धि की स्वामिनी ! आपको नमस्कार, बार-बार
नमस्कार हो ।
931.ॐ मानवत्यै नमः- जिनका मन उच्च नैतिक या बौद्धिक मूल्य वाला है,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।932.ॐ महेश्यै नमः- हे महेश्वर अर्धांगिनी माहेश्वरी ! आपको प्रणाम, बार-बारनमस्कार हो ।933.ॐ मङ्गला+कृतये नम:- जो शुभता, खुशी, सौभाग्य, कल्याण, आनंद, आदि काअवतार हैं तथा अपने भक्तों का सदैव मंगल करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।
934.ॐ विश्व+मात्रे नमः- विश्व की रचना, पालन और संहार करने वालीविश्वमाता को बार-बार प्रणाम हो ।935. ॐ जगद्धात्र्यै नमः- ब्रह्माण्ड की पालनहार हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार
नमस्कार ।
936. ॐ विशालाक्ष्यै नमः- हे "वृहत् नेत्रों वाली” आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
937. ॐ विरागिण्यै नमः- जो त्याग और वैराग्य की मूरत हैं, उन्हें नमस्कार,
बार-बार नमस्कार ।
938. ॐ प्रगल्भायै नमः—जो साहसी और आत्म-विश्वासी हैं और नियमों का उल्लंघन
नहीं करती, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।
939. ॐ परमो+दारायै नमः- जो परम उदार हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार ।==========================================================
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