ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 832- 846

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--------------------------------------------निरुपमा गर्ग

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before Navratri 2025.

832. ॐ प्राणदात्र्यै नमः- हे प्राण दाता परमेश्वरी ! आपको नमस्कार, बार- बार           

           नमस्कार हो ।   

833.  ॐ पञ्चाशत्पीठ रूपिण्यै नमः- जहां-जहां आपके सती रूप के विभिन्न अंग

भारत के विभिन्न स्थानों पर पडे, उन सभी 51 शक्ति पीठों को नमस्कार हो ।

834.  ॐ विश‍ृङ्खलायै नमः- “वि” अर्थात “बिना” + “श्रंखला” अर्थात “बंधन” ।

       अर्थात जो सभी बंधनों से मुक्त हैं, उन्हें नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।   

835.  ॐ विविक्तस्थायै नमः- हे मां ! आप केवल उन पवित्र ह्रदयों में निवास करती हैं

    जो विषय- वासनाओं व सांसारिक प्रपंचों से अलगाव की स्थिति में रहते हैं तथा

     दिखावा न कर एकान्त में उपासना करते हैं । आपको पवित्र ह्रदय से नमस्कार, 

     बार- बार नमस्कार हो ।   

836.  ॐ वीरमात्रे नमः- आप भयंकर राक्षसों का मुकाबला करने वाली वीर माता हो ।                         आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो । 

837. ॐ वियत्प्रसुवे नमः- “वियत” अर्थात “आकाश” + "प्रसुवे" अर्थात “उत्पत्ति” ।    "तस्मात् वा एतस्मात् आत्मनः: आकाश सम्भूतः" अर्थात  आप से ही आकाश की 

    उत्पत्ति हुई है ।

838. ॐ मुकुन्दायै नमः- हे जन्म- मरण के चक्र से छुटकारा दिलाने वाली मुकुन्दा !

             आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

839. ॐ मुक्तिनिलयायै नमः- [ "मुक्ति" अर्थात आवागमन से "मुक्ति" ] और ["निलया" 

        का अर्थ है "निवास"।] अर्थात आप मुक्ति के अंत:-स्थापित हो । आपको नमस्कार,

         बार- बार नमस्कार हो ।

840.  ॐ मूल विग्रह रूपिण्यै नमः- आप शक्तियों का मूल अर्थात प्राथमिक स्वरूप हो ।

           बाकी सब शक्तियों के रूप आपसे ही प्रकट हुए हैं । आपको नमस्कार, 

            बार- बार नमस्कार हो ।

 841. ॐ भावज्ञायै नमः- आप सभी प्राणियों के भाव को जानने वाली हो ।  आपको                नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

842. ॐ भवरोगघ्न्यै नमः- आप भव अर्थात संसार रूपी रोग से छुटकारा दिलाने वाली 

         हो । आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

843. ॐ भवचक्र प्रवर्तिन्यै नमः- आप संसार के चक्र को चलाने वाली हैं, आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

 844. ॐ छन्दः सारायै नमः – आप छन्द अर्थात धर्म के “अपरा ग्यान” के सार को जानने

 वाली हो, , आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

845. ॐ शास्त्रसारायै नमः- शास्त्रों में जितने भी आदेश, धारणाएं, शिक्षाएं, उपदेश, व सही

 मार्ग और दिशाएं दिखाई गई हैं उन सब का सार आप ही हो । आपको नमस्कार,

 बार- बार नमस्कार हो ।

846.  ॐ मन्त्रसारायै नमः- प सर्व मन्त्र उर्जा हो, आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

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