ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 764-789

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    ------------------------------------------------निरुपमा  गर्ग

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before Navratri 2025.

764. ॐ स्वर्गा पवर्गदायै नमः- स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करने वाली मां शक्ति को बार-बार नमस्कार हो |

765.  ॐ शुद्धायै नमः- देवी ललिता के शुद्ध स्वरूप को बार-बार नमस्कार हो |

766.  ॐ जपापुष्प निभा कृतये नमः- जो  जपापुष्प (बेला फूल) की तरह सुंदर और चमकीली,  हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

 767.  ॐ ओजोवत्यै नमः-  "जो शक्ति और तेज से भरपूर है, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

768. ॐ द्युति धरायै नमः- हे दिव्य प्रकाश और सौंदर्य का स्वरूप ! आपको बार-बार नमस्कार हो । 

769. ॐ यज्ञरूपायै नमः-  आप वह यज्ञ रूपा हो , जो ज्ञान और आध्यात्मिक उत्थान की ओर ले जाता है,  आपको बार-बार नमस्कार हो । 

770. ॐ प्रियव्रतायै नमः- आपको प्रसन्न करने के लिए मनुष्य के द्वारा मन, वचन, कर्म से 

स्वयं को पवित्र रखने का संकल्प आपके मन को बहुत भाता है । ऐसे भक्तों को आप भरपूर आशीर्वाद देती हैं । आपको बार-बार नमस्कार हो । 

771. ॐ दुराराध्यायै नमः- आपकी आराधना करना बहुत कठिन है क्योंकि हम सांसारिक प्राणी इन्द्रियों के अधीन हैं जो आपके चरणों में कम और बाहरी विषयों में ज्यादा लगती हैं । अत: हे कल्याणी ! ऐसी कृपा करें कि हम सच्चे मन से आपकी आराधना कर सकें और आपकी कृपा का पात्र बन सकें । 

772. ॐ दुराधर्षायै नमः- बाहरी आडम्बर और बिना मन से की गई पूजा आपको स्वीकार्य नहीं । एकान्त में ध्यान लगा कर की गई पूजा ही आप को मान्य है । अत: अनुग्रहीत करके आप हमें अपने चरणों में स्थान दें ।

773.  ॐ पाटलीकुसुमप्रियायै नमः- लाल और सफेद रंग के पुष्प आपके मन को 
          बहुत भाते हैं ।

774. ॐ महत्यै नमः आप उस या अंतर्निहित आत्म-चेतना का मुख्य कारक हैं 
       जो मानवता का महान और अनन्य सिद्धांत है।

 775. ॐ मेरुनिलयायै नम:- मेरु पर्वत पर निवास करने वाली मां शक्ति को बार-बार नमस्कार हो ।

776. ॐ मन्दारकुसुमप्रियायै नमः- जिन मां शक्ति को मन्दार के फूल अति प्रिय हैं 
      उन्हें बार-बार नमस्कार हो । 

777. ॐ वीरा + राध्यायै नमः- जो वीरा अर्थात वीर और ज्ञानवान स्वरूप हैं तथा राध्या अर्थात "राधे" और "श्यामा" के प्रेम, करुणा और सौंदर्य का प्रतीक हैं उन्हें बार-बार 

नमस्कार हो । 

778.  ॐ विराड्रू रुपायै नमः- जिनका स्वरूप विराट और ब्रह्मांडीय ऊर्जा से भरपूर तथा शक्तिशाली और अलौकिक है, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।    

779. ॐ विरजसे नमः- मैं उन देवी ललिता को प्रणाम करती हूं जो भक्तों को दुःख, भय और नकारात्मकता से मुक्त करती हैं ।

780. ॐ विश्वतोमुख्यै नमः- "विश्वतो" अर्थात  "हर दिशा में"  "मुखै" अर्थात  "मुख"। इस तरह जो त्रिपुर सुन्दरी हर दिशा में व्याप्त हैं उन्हें नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

781. ॐ प्रत्यग रुपायै नमः- जो देवी  "प्रत्येक रूप में, प्रत्यक्ष रूप में" सर्वोच्च देवी का प्रतिनिधित्व करती हैं तथा जो भक्तों को शांति, समृद्धि और मुक्ति प्रदान करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

 782. ॐ पराकाशायै नमः- "मैं उस महान शक्ति को प्रणाम करती हूँ, जो प्रकाश का स्रोत है।" 

783. ॐ प्राणदायै नमः- जो सभी को जीवन और ऊर्जा प्रदान करती हैं, उन ललिता देवी को नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

784. ॐ प्राणरूपिण्यै नमः- हे देवी !  आपसे ही प्राण प्रवाहित हो रहा है, आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

785. ॐ मार्ताण्ड भैरवा+राध्यायै नमः- आप की पूजा मार्तण्ड भैरव के द्वारा की जाती है आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

786. ॐ मन्त्रिणी न्यस्त राज्यधुरे नमः- आपके विश्वभर के साम्राज्य की महारानी हैं तथा आपके साम्राज्य के मंत्रिगत उत्तरदायित्व राज श्यामला और राज मातंगी  उठाती हैं, आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

787. ॐ त्रिपुरेश्यै नमः त्रिपुर को भस्म करने वाले त्रिपुरेश्वर भगवान शिव की अर्धांगिनी त्रिपुरेश्वरी को नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

 788. ॐ जयत्सेनायै नमः- देवी ललिता की सेना की शक्ति को नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

789. ॐ निस्त्रै गुण्यायै नमः- जो देवी सत्व, रज और तम- इन तीनों गुणों से परे हैं उन्हें नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।

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