
----------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
730. ॐ
प्रेमरूपायै नमः- आप मातृत्व प्रेम का स्वरूप हो, तथा-
731. ॐ
प्रियङ्कर्यै नमः- आप मातृत्व प्रेम के कारण अपनी
संसार रूपी संतानों
को मन
पसन्द वर देती हैं । जो लोग संसार से मुक्ति पाने की चाह से आपका
ध्यान करते हैं
उन्हें आप मुक्ति प्रदान करती है तथा जो सांसारिक संम्पदा पाना
चाहते हैंउन्हें धन- वैभव प्रदान करती हैं,आपको बार-बार नमस्कार हो ।
732. ॐ नाम पारायण प्रीतायै
नमः- यह आपका लोकप्रिय मंत्र है, जिसमें (अ)से लेकर (क्ष) तक आपके नामों का संग्रह है । यह
मंत्र आपके विभिन्न रूपों और गुणों का वर्णन करता है. इस मंत्र का पारायण अर्थात उच्चारण आपको प्रसन्न
करता है । इस तरह यह मनोकामना पूर्ति का
साधन बनता है ।
733. ॐ
नन्दिविद्यायै नमः- इस मंत्र में नंदी विद्या का उल्लेख
है । नंदी विद्या का अर्थ है “ नन्दीश्वर द्वारा पूजित श्री विद्या स्वरूपिणी
ललिता परमेश्वरी मन्त्रं – सा इ ला ह्रीं, सा
हा का ला ह्रीं, सा का ला ह्रीं- एक पंचदशी
मंत्र है । मंत्र स्वरूपिणी देवी का नाम
नंदी विद्या है । इस नाम को पांच प्रणव के साथ बनने वाले “ ओम ऐं ह्रीं श्रीं
क्लीं नंदी विद्यायै नम:” जपने से न केवल नंदीश्वर का आशीर्वाद मिलता है अपितु हे
ललिता परमेश्वरी ! आप भी प्रसन्न हो कर आशीर्वाद देती हैं । आपको बार-बार नमस्कार है।
734. ॐ
नटेश्वर्यै नमः- हे मां, आप भगवान नटराज के साथ नवरसों के साथ नृत्य
करने वाली नटेश्वरी हो,
735. ॐ
मिथ्या जगदधिष्ठा+ नायै नमः- इस मिथ्या मायावी जगत में आप ही
स्थित हो,
736. ॐ
मुक्तिदायै नमः- कर्म सिद्धान्त को महत्व देने वाली आप शुभ कर्म करने
वालों को मुक्ति प्रदान करती हो,तथा-
737. ॐ
मुक्तिरूपिण्यै नमः- आप
मोक्ष
स्वरूपा हो,आपको बार-बार नमस्कार हो ।
738. ॐ
लास्यप्रियायै नमः- हे मातेश्वरी ! आप संगीत व नृत्य से अति प्रसन्न होती हो ,
739. ॐ
लयकर्यै नमः- हे मां ! लय चेतना का आंतरिककरण अर्थात मानसिक तल्लीनता है। जिस तरह स्वर और लय प्राथमिक संगीत और सहायक संगीत के बीच संतुलन का
कार्य है। उसी भांति आप इस ब्रह्मांड को बनाए रखने में संतुलन का कार्य करती है।
740. ॐ
लज्जायै नमः- आप नारियों में लज्जा का आभूषण हो, तथा-
741. ॐ
रम्भादि वन्दितायै नमः- -आप रम्भा आदि अप्सराओं के द्वारा
पूजी जाती हो, आपको
नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
742. ॐ
भवदा वसुधा वृष्ट्यै नमः- आप संसार के कष्टों से मुक्ति प्रदान करती हो और अमृत वर्षा कर के
जीवन और आनंद प्रदान करती हो,
743. ॐ
पापारण्य दवानलायै नमः- आप पाप रूपी जंगल में जंगली आग के समान हो,
744. ॐ
दौर्भाग्य तूल वातूलायै नमः- आप दुर्भाग्य मिटा कर
सौभाग्य प्रदान करने वाली करुणामयी मां हो, तथा-
745. ॐ जरा ध्वान्तर विप्रभायै
नमः- जैसे
सूर्य नारायण रात्रि के अंधकार को नष्ट करके दिन का प्रकाश फैलाते हैं उसी प्रकार
आप बुढापे और मृत्यु से भयभीत मनुष्य के हृदय में अग्यानता के अंधकार को नष्ट करके ग्यान का
प्रकाश फैलाती हो । अर्थात आपकी स्तुति करने वाले को बुढापे और मृत्यु का भय नहीं
रहता, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो।
746. ॐ
भाग्याब्धि चन्द्रिकायै नमः- आप भाग्य के सागर
में पूर्णिमा की तरह हो,
747. ॐ
भक्तचित्त केकि घना घनायै
नमः- आप उस काले घने मेघ के समान हो जिसे देख कर म्यूर खुशी से नाच
उठता है और “केकि- केकि” की ध्वनि करता है,
748. ॐ
रोगपर्वत दम्भोलये नमः- जिस प्रकार वज्रपात बडे –बडे
पर्वत हिला देता है उसी प्रकार आप बडे- बडे रोगों को चुटकियों में दूर कर देती हो तथा-
749. ॐ
मृत्युदारु कुठारिकायै नमः- आप मृत्यु भय के वृक्ष को कुल्हाडी के समान काट देती हो, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
750 ॐ
महेश्वर्यै नमः- आप महेश्वर की शक्ति होने के कारण महेश्वरी हो,
751. ॐ
महाकाल्यै नमः- भगवान शिव के तीसरे नेत्र से आपको काली का रूप मिला ।
आपका यह रूप तब प्रकट होता है जब आप राक्षसों का संहार करती हो,
752. ॐ
महाग्रासायै नमः- आपके लिए "महाग्रास" शब्द का एक
संबोधन आपको को ब्रह्मांड का पोषाहरण और विनाशकर्ता के रूप में संदर्भित करता है, तथा-
753. ॐ महा+शनायै
नमः- आपके इस मंत्र का प्रथम शब्द “महा” आपकी
ब्रह्मांडीय
ऊर्जा की महान शक्ति दर्शाता है तथा "शना" शब्द आपके ज्ञान रूप को इंगित करता है,आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
754. ॐ
अपर्णायै नमः- मैं आप “अपर्णा” अर्थात त्याग की
देवी को प्रणाम करती हूं ।
755. ॐ
चण्डिकायै नमः- मैं आप ब्रह्मांड को
समर्पित, शक्ति की देवी चंडी
को प्रणाम करता/करती हूँ।"
756. ॐ
चण्ड मुण्डासुर निषूदिन्यै
नमः- मैं सप्तमाताओं में से एक चंड और मुण्ड का संहार करने वाली मां चामुण्डा को बार- बार नमस्कार
करती हूं ।
757. ॐ
क्षरा+क्षरात्मिकायै नमः- हे मां ! आप ही शब्दांश हो, आप ही उच्चारण ईकाई हो, आप
ही मात्रिका वर्ण रुपिणी हो, आप
ही विनाशी और आप ही अविनाशी हो,
758. ॐ
सर्वलोकेश्यै नमः- आप भू , अंतरिक्ष व स्वर्ग- इन तीनों लोकों की स्वामिनी
हो,
तथा-
759. ॐ विश्वधारिण्यै नमः- आप
विश्व को धारण करने वाली सर्वशक्तिमान देवी हो,
आपको बार- बार नमस्कार हो ।
760. ॐ
त्रिवर्गदात्र्यै नमः- त्रिवर्ग
(धर्म, अर्थ और काम) को
प्रदान करने वाली मां शक्ति
को बार-बार प्रणाम स्वीकार हो
761. ॐ सुभगायै नमः- सुख, समृद्धि और सौभाग्य प्रदान करने वाली माता को
बार-बार नमस्कार ।
762. ॐ
त्र्यम्बकायै नमः- त्र्यम्बक
(त्रिनेत्र) देवी को बार-बार नमस्कार हो ।
763. ॐ
त्रिगुणात्मिकायै नमः- आप तीनों गुणों (सत्व, रज और तम) को धारण
करने वाली त्रिगुणात्मक शक्ति हो,आपको बार-बार नमस्कार हो ।
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