ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 698- 729
-----------------------------------------------------निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
698. ॐ सर्वार्थदात्र्यै नमः- -आप ही धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष को देने वाली हो,
699. ॐ सावित्र्यै नमः- -आप ही ब्रहाण्ड को रचने वाली सावित्री हो,
700. ॐ
सच्चिदानन्द रूपिण्यै नमः- आप सत्य, चेतना और आनंद का स्वरूप हो, तथा-
701. ॐ
देशकाला परिच्छिन्नायै नमः- आप विनाशी संसार की भांति देश और
काल की सीमा में बंधी हुई नहीं हो, आपको नमस्कार, बार- बार नमस्कार हो ।
702. ॐ
सर्वगायै नमः- -आप सर्वव्यापी हो,
703. ॐ
सर्वमोहिन्यै नमः- -आपकी माया ने समस्त जगत को मोहित कर रखा है, तथा-
704. ॐ सरस्वत्यै नमः- -आप ही ग्यान की देवी सरस्वती हो, आपको बार-बार
नमस्कार हो ।
705. ॐ शास्त्रमय्यै नमः- आप शास्त्रों अर्थात धर्म के नियमों के रूप में हो । वेद आपकी श्वास हैं तथा आपकी जिह्वा देवी सरस्वती की और ठोड़ी वेदांगों की निर्माता है । आपके कंठ के ऊपरी भाग से सभी शास्त्र, मध्य से औषधि और धनुर्विद्या, कंठ के नीचे से 64 तंत्र व कंधों से ब्रह्माण्ड पुराण की उत्पत्ति होती है ।
706. ॐ गुहाम्बायै नमः - "मैं गुहा अर्थात गुफा में निवास करने वाली भगवान कार्तिकेय की माता देवी ललिता को नमस्कार करती हूँ।".
707. ॐ गुह्यरूपिण्यै नमः- गुप्त रूप वाली मां त्रिपुर सुन्दरी को प्रणाम स्वीकार हो ।
708. ॐ सर्वोपाधि विनिर्मुक्तायै नमः - सभी सांसारिक बंधनों से मुक्त हे देवी । आपको बारम्बार प्रणाम स्वीकार हो ।
709. ॐ सदाशिव पतिव्रतायै नमः- हे सदाशिव की पतिव्रता अर्धांगिनी । आपको बार-बार प्रणाम स्वीकार हो ।
710. ॐ सम्प्रदायेश्वर्यै नमः- आप सम्प्रदाय अर्थात वेदों में बताए गए पारंपरिक ज्ञान की अधिष्ठात्री देवी हो,
711. ॐ साध्वे नमः- आप उत्तम,सत्य और धर्म के मार्ग का पालन करने वाली, ज्ञानी,सर्वशक्तिमान व कल्याण करने वाली साध्वी हो, तथा-
712. ॐ यै नमः – आप कामकला की प्रतीक हो और सृजन शक्ति हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
713.ॐ गुरु मण्डल रूपिण्यै नमः- आप गुरु, परम गुरु (गुरु के गुरु) और परमेष्ठी गुरु –इन सभी गुरुओं के मण्डल का रूप हो अर्थात आप पूरे ब्रह्माण्ड की गुरु हो,
714. ॐ
कुलोत्तीर्णायै नमः- आप इन्द्रियों पर विजय पाने वाली गुणातीत हो, तथा-
715. ॐ
भगाराध्यायै नमः- आपकी पूजा सूर्य मंडल में की जाती है क्योंकि आप सूर्य मंडल के
केंद्र में ब्रह्म स्वरूपा हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
716. ॐ
मायायै नमः- शिव ब्रह्म हैं और आप माया हैं । जब तक आप भक्त के
ऊपर से माया को नहीं हटाती तब तक वह ब्रह्म को नहीं जान पाता । आप शिव को तभी प्रकट करती हो जब भौतिक शरीर, सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर की अशुद्धियाँ
पूरी तरह से दूर हो जाती हैं। इसलिए आप की शक्ति पूजा को महत्वपूर्ण माना जाता है।
717. ॐ मधुमत्यै नमः- आप का स्वभाव मधु अर्थात शहद की भांति मधुर है तथा आप मति अर्थात बुद्धि, ज्ञान, निर्णय की स्वामिनी हो,
718. ॐ मह्यै नमः- आप भू देवी हो,आप शिव-गणों के मुखिया गणपति जी की माता हो,तथा-
720. ॐ
गुह्य काराध्यायै नमः- आप ज्ञान, रहस्य और गुप्त शक्तियों की स्वामिनी हो, आपको
नमस्कार, बारम्बार नमस्कार हो ।
721. ॐ
कोमलाङ्ग्यै नमः- आप अति सौम्य और कोमल हो,
722. ॐ गुरुप्रियायै नमः- आप जगत गुरु भगवान शिव की प्रिया हो,
723. ॐ स्वतन्त्रायै नमः- आप स्वतंत्र शक्ति हो अर्थात आपकी शक्ति को पार करना किसी के बस की बात नहीं,तथा-
724. ॐ सर्वतन्त्रेश्यै
नमः- आप
सर्व तन्त्र स्वरूपिणी हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
725.ॐ दक्षिणामूर्तिरूपिण्यै नमः- आपके उस "दक्षिणमूर्ति रूप को नमस्कार जो आपकी शक्ति, सुंदरता और कृपा के प्रति भक्ति और समर्पण व्यक्त करता है,
726. ॐ
सनकादि समाराध्यायै नमः- आप सनक,सना, सनन्दन और सनतकुमार- इन चारों ऋषियों द्वारा पूजी जाती हो,
727. ॐ शिवज्ञान प्रदायिन्यै नमः- आप शिव ज्ञान की दाता हो,
728. ॐ चित्कलायै नमः- आप रचनात्मक चेतना हो, तथा-
729. ॐ आनन्दकलिकायै नमः- आप आनन्द स्वरूपा हो,आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
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