ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 660- 697

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    ---------------------------------------निरुपमा गर्ग

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660. ॐ सुप्रतिष्ठायै नमः- धरती पर जीवन के अस्तित्व का आधार आप ही हो, 

 661. ॐ सदसद्रूपधारिण्यै नमः- चर-अचर, सत-असत, शाश्वत—अशाश्वत आप ही हो,

662. ॐ अष्टमूर्त्यै नमः- ब्राह्मी, महेश्वरी, कौमारी, वैश्नवी, वाराही, महेन्द्री, चामुण्डा और

महालक्ष्मी- आपके भी भगवान शिव की भांति आठ रूप हैं, तथा-

663. ॐ अजाजैत्र्यै नमः- आप अज्ञान को पूरी तरह जीतने वाली हो, आपको बारम्बार

 नमस्कार हो ।

664. ॐ लोकयात्रा विधायिन्यै नमः- आप से जन्म- मरण, आवागमन का चक्र चल रहा है,

665. ॐ एकाकिन्यै नमः- यद्यपि आप के भिन्न- भिन्न रूप दिखाई पडते हैं पर आप एक

 अकेली असीम शक्ति हो,

666. ॐ भूमरूपायै नमः- सभी विद्यमान चीजों का समुच्चय हो, तथा-


667. ॐ निद्वैतायै नमः- द्वैत की भावना से रहित हो, 
आपको बारम्बार

 नमस्कार हो ।

668. ॐ द्वैतवर्जितायै नमः- आप द्वैत से परे हो अर्थात पूरे संसार को अपनी संतान की तरह

 देखती हो । कभी किसी में कोई फर्क नहीं करती,

669.  ॐ अन्नदायै नमः- आप प्रकृति में विद्यमान हो कर सारे संसार के लिए भोजन की व्यवस्था करने वाली अन्नपूर्णा हो,

670. ॐ वसुदायै नमः- आप धन- सम्पदा प्रदान करने वाली हो,  तथा- 
671.  ॐ वृद्धायै नमः- आप मूल प्रकृति व आदि शक्ति हो । आप वृद्धावस्था से परे हो
संसार निरंतर परिवर्तनशील है परन्तु आपकी मूल प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता । 

आपको  बारम्बार नमस्कार हो ।

672.  ॐ ब्रह्मात्मैक्य स्वरूपिण्यै नमः- आप ब्रह्म और आत्मा का एकीभाव हो । दूसरे शब्दों में आप हंसा मंत्र  "ॐ हंसं हंसः" हो । अर्थात आप ब्रह्म के रूप में ब्रह्म का प्रतिनिधित्व करती हो  और ब्रह्म के रूप में आत्मा का भी प्रतिनिधित्व करती हो,

673.  ॐ बृहत्यै नमःआप ''अणु से भी सूक्ष्मतर, महान् से भी महानतम हो,

674.  ॐ ब्राह्मण्यै नमः- आप अत्यधिक सात्विक हो, तथा-

675.  ॐ ब्राह्म्यै नमः- आप वाणी की धनी सरस्वती हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।

676.  ॐ ब्रह्मानन्दायै नमः- "ब्रह्मानन्दा" का अर्थ है "ब्रह्मानंद" या "ब्रह्मा का आनंद"। आप का यह  नाम आपकी परम आनंद की स्थिति को दर्शाता है, जो ज्ञान और अनुभव की उच्चतम अवस्था है, 
677.  ॐ बलिप्रियायै नमः-बलि का अर्थ है प्रतिदिन सभी प्राणियों को भोजन का एक हिस्सा अर्पित करना। इसे भूत यज्ञ भी कहते हैं । अर्थात त्रिपुर सुन्दरी मां उन लोगों को बहुत पसंद करती हैं जो प्रतिदिन प्राणियों को ऐसा प्रसाद अर्पित करते हैं,

678.  ॐ भाषारूपायै नमः- आप भाषा रूपा हो । ऐसा कहा जाता है कि आप शब्द हैं और भगवान शिव शब्द का अर्थ हैं । अर्थात दोनों का एक दूसरे के बिना अस्तित्व नहीं है,तथा-

679.  ॐ बृहत्सेनायै नमः- आप के पास एक शक्तिशाली सेना है।  इस सेना की मदद से ब्रह्मांड का संचालन करती हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।

680. ॐ भावा+अभावविर्जितायै नमः - -आप भाव- अ भाव वैदान्तिक शब्द हो । भाव अर्थात अस्तित्व, अभाव अर्थात अनस्तित्व अर्थात  आप विद्यमान, शाश्वत और अविनाशी (ब्रह्म) हो और अस्तित्वहीन, सीमित और नाशवान ( माया ) भी हो,

 682.  ॐ सुखाराध्यायैमः- आप की आराधना करने के लिए कठिन उपवास की आवश्यकता नहीं । आप सच्चे भाव और पवित्र मन से की गई पूजा से प्रसन्न हो जाती हो,

683.  ॐ शुभकर्यै नमः- आप शुभा एवं  कल्याणी हैं, तथा-

684.  ॐ शोभना सुलभा गत्यै नमः- आप की स्तुति बहुत सरल है । आप भक्त के सच्चे भाव को देख कर शीघ्र ही रीझ जाती हैं, आपको  बारम्बार नमस्कार हो ।

684.  ॐ राजराजेश्वर्यै नमः- आप राजेश्वर भगवान शिव की सहचारी राजेश्वरी हो,

685.  ॐ राज्यदायिन्यै नमः- आप ही प्रभुत्व प्रदान करने वाली शक्ति हो,
686.  ॐ राज्यवल्लभायै नमः- आप ही प्रभुत्व की रक्षा करने वाली हैं, 
687.  ॐ राजत्कृपायै नमः – आपकी करुणा सबको भाती है,
तथा-

688.  ॐ राजपीठ निवेशित निजाश्रितायै नमः- -आप जब अपनी शरण में आए हुए शरणागतों पर प्रसन्न होती हैं तो उन्हें राज सिंहासन पर स्थापित कर देती हैं, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो । 

689. ॐ राज्यलक्ष्म्यै नमः- -आप विश्व भर में समृद्धि का अवतार हो,

690. ॐ कोशनाथायै नमः- आप समस्त सम्पदाओं की स्वामिनी हैं । वैदान्तिक दर्शन के अनुसार आप प्राणियों के भीतर प्राण माया, मनोमाया, विग्यान माया, आनन्दमाया तथा अन्न माया- इन पांच आवरणों से ढकी हुई आत्मा की प्रकाशमय अभिव्यक्ति हो,

691. ॐ चतुरङ्ग बलेश्वर्यै नमः आप चतुरङ्गिनी सेना की स्वामिनी हो । आप हाथी, घोडे,रथ और सैन्यबल के साथ चलती हो,


692. ॐ साम्राज्य दायिन्यै नमः- आप जिस पर प्रसन्न होती हैं उसे प्रसन्न हो कर "साम्राज्यीय प्रभुत्व" प्रदान करती हैं, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।

693. ॐ सत्य सन्धायै नमः- आप सत्य पर अडिग रहने वाली सत्य की मूरत हो,

694. ॐ सागर मेखलायै नमः- आप महासागरों से घिरी हुई हो,

695. ॐ दीक्षितायै नमः- आप दीक्षा (अभिषेक या समर्पण) के रूप में विराजमान हो," 

696. ॐ दैत्यशमन्यै नमः - -आप भयंकर से भयंकर दैत्यों का नाश करने वाली हो, वस्तुत:-

697. ॐ सर्वलोक वंशकर्यै नमः- समस्त संसार को आप ही नियन्त्रित करती हो,आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।============================================================= 

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