

---------------------------------------निरुपमा गर्ग
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before Navratri 2025.
660. ॐ
सुप्रतिष्ठायै नमः- धरती पर जीवन के अस्तित्व का आधार
आप ही हो,
661. ॐ सदसद्रूपधारिण्यै
नमः- चर-अचर, सत-असत, शाश्वत—अशाश्वत आप ही हो,
662. ॐ
अष्टमूर्त्यै नमः- ब्राह्मी,
महेश्वरी, कौमारी, वैश्नवी,
वाराही, महेन्द्री, चामुण्डा और
महालक्ष्मी- आपके
भी भगवान शिव की भांति आठ रूप हैं, तथा-
663. ॐ अजाजैत्र्यै नमः- आप अज्ञान को पूरी
तरह जीतने वाली हो, आपको बारम्बार
नमस्कार हो ।
664. ॐ
लोकयात्रा विधायिन्यै नमः- आप से
जन्म- मरण, आवागमन का चक्र चल रहा है,
665. ॐ
एकाकिन्यै नमः- यद्यपि आप के भिन्न- भिन्न रूप दिखाई पडते हैं पर आप
एक
अकेली असीम शक्ति हो,
666. ॐ
भूमरूपायै नमः-आप सभी विद्यमान चीजों का समुच्चय हो, तथा-
667. ॐ
निद्वैतायै नमः- आप द्वैत की भावना से रहित हो, आपको बारम्बार
नमस्कार हो ।
668. ॐ
द्वैतवर्जितायै नमः- आप द्वैत से परे हो अर्थात पूरे संसार को अपनी संतान
की तरह
देखती हो । कभी किसी में कोई फर्क नहीं करती,
669. ॐ अन्नदायै
नमः- आप प्रकृति में विद्यमान हो कर सारे संसार के लिए भोजन की
व्यवस्था करने वाली अन्नपूर्णा हो,
670. ॐ
वसुदायै नमः- आप धन- सम्पदा प्रदान करने वाली हो, तथा-
671.
ॐ वृद्धायै नमः- आप मूल प्रकृति व आदि शक्ति हो । आप वृद्धावस्था
से परे हो ।
संसार निरंतर परिवर्तनशील है परन्तु आपकी मूल प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता ।
आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
672.
ॐ ब्रह्मात्मैक्य स्वरूपिण्यै नमः- आप ब्रह्म और आत्मा
का एकीभाव हो । दूसरे शब्दों में आप हंसा मंत्र "ॐ हंसं हंसः" हो । अर्थात आप ब्रह्म के रूप में ब्रह्म का प्रतिनिधित्व करती
हो और ब्रह्म के रूप में आत्मा का भी
प्रतिनिधित्व करती हो,
673. ॐ बृहत्यै
नमः- आप ''अणु से
भी सूक्ष्मतर, महान् से भी महानतम हो,
674. ॐ
ब्राह्मण्यै नमः- आप अत्यधिक सात्विक हो, तथा-
675. ॐ ब्राह्म्यै
नमः- आप वाणी की धनी सरस्वती हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
676. ॐ
ब्रह्मानन्दायै नमः- "ब्रह्मानन्दा" का अर्थ है "ब्रह्मानंद" या
"ब्रह्मा का आनंद"। आप का यह नाम आपकी परम
आनंद की स्थिति को दर्शाता है, जो ज्ञान और अनुभव की उच्चतम अवस्था है,
677. ॐ
बलिप्रियायै नमः-बलि का अर्थ है प्रतिदिन सभी प्राणियों को भोजन का
एक हिस्सा अर्पित करना। इसे भूत यज्ञ भी कहते हैं । अर्थात त्रिपुर सुन्दरी मां उन
लोगों को बहुत पसंद करती हैं जो प्रतिदिन प्राणियों को ऐसा प्रसाद अर्पित करते हैं,
678. ॐ भाषारूपायै
नमः- आप भाषा रूपा हो । ऐसा कहा जाता है कि आप ‘शब्द’ हैं
और भगवान शिव शब्द का ‘अर्थ’ हैं । अर्थात दोनों का एक दूसरे के बिना अस्तित्व नहीं
है,तथा-
679. ॐ
बृहत्सेनायै नमः- आप के पास एक शक्तिशाली सेना है। इस सेना की
मदद से ब्रह्मांड का संचालन करती हो, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
680. ॐ
भावा+अभावविर्जितायै नमः - -आप भाव- अ भाव वैदान्तिक शब्द हो
। भाव अर्थात अस्तित्व, अभाव अर्थात अनस्तित्व
अर्थात आप विद्यमान, शाश्वत और अविनाशी (ब्रह्म) हो और अस्तित्वहीन, सीमित और नाशवान ( माया ) भी हो,
682. ॐ
सुखाराध्यायै नमः- आप की आराधना करने के लिए
कठिन उपवास की आवश्यकता नहीं । आप सच्चे भाव और पवित्र मन से की गई पूजा से
प्रसन्न हो जाती हो,
683. ॐ शुभकर्यै
नमः- आप
शुभा एवं कल्याणी हैं, तथा-
684. ॐ शोभना सुलभा गत्यै
नमः- आप की स्तुति बहुत सरल है । आप भक्त के सच्चे भाव को देख कर शीघ्र
ही रीझ जाती हैं, आपको बारम्बार नमस्कार हो ।
684. ॐ
राजराजेश्वर्यै नमः- आप राजेश्वर भगवान शिव की सहचारी राजेश्वरी हो,
685. ॐ
राज्यदायिन्यै नमः- आप ही प्रभुत्व प्रदान करने वाली शक्ति हो,
686.
ॐ राज्यवल्लभायै नमः- आप ही प्रभुत्व की रक्षा करने
वाली हैं,
687. ॐ
राजत्कृपायै नमः – आपकी करुणा सबको भाती है,तथा-
688. ॐ राजपीठ निवेशित निजाश्रितायै नमः- -आप
जब अपनी शरण में आए हुए शरणागतों पर प्रसन्न होती हैं तो उन्हें राज सिंहासन पर
स्थापित कर देती हैं, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
689. ॐ
राज्यलक्ष्म्यै नमः- -आप विश्व भर में समृद्धि का अवतार हो,
690. ॐ
कोशनाथायै नमः- आप समस्त सम्पदाओं की स्वामिनी हैं । वैदान्तिक दर्शन
के अनुसार आप प्राणियों के भीतर प्राण माया,
मनोमाया, विग्यान माया, आनन्दमाया तथा अन्न माया- इन पांच आवरणों से ढकी हुई
आत्मा की प्रकाशमय अभिव्यक्ति हो,
691. ॐ चतुरङ्ग बलेश्वर्यै नमः – आप चतुरङ्गिनी सेना
की स्वामिनी हो । आप हाथी, घोडे,रथ और सैन्यबल के
साथ चलती हो,
692. ॐ साम्राज्य दायिन्यै नमः- आप जिस पर प्रसन्न होती हैं उसे
प्रसन्न हो कर "साम्राज्यीय
प्रभुत्व" प्रदान करती हैं, आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
693. ॐ
सत्य सन्धायै नमः- आप
सत्य पर अडिग रहने वाली सत्य की मूरत हो,
694. ॐ
सागर मेखलायै नमः- आप
महासागरों से घिरी हुई हो,
695. ॐ
दीक्षितायै नमः- आप दीक्षा (अभिषेक या
समर्पण) के रूप में विराजमान हो,"
696. ॐ
दैत्यशमन्यै नमः - -आप भयंकर से भयंकर दैत्यों का नाश करने वाली हो, वस्तुत:-
697. ॐ
सर्वलोक वंशकर्यै नमः- समस्त संसार को आप ही नियन्त्रित करती हो,आपको नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।=============================================================
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