ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 594 -624

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-----------------------------------------निरुपमा गर्ग

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594. ॐ इन्द्रधनुःप्रभायै नमः- जो इन्द्र धनुष  की भांति चमकती हैं,  
595. ॐ हृदयस्थायै नमः- जिनका ध्यान ह्रदय चक्र से किया जाता है, 
596ॐ रविप्रख्यायै नमः- जो सूर्यदेव की तरह चमकती हैं, तथा- 
597. ॐ त्रिकोणान्तर दीपिकायै नमः- जो मूलाधार चक्र के त्रिकोणाण्तर दीपक की भांति 
चमकती हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

598. ॐ दाक्षायण्यै नमः- जो प्रजापति दक्ष की पुत्री हैं,  

599. ॐ दैत्यहन्त्र्यै नमः- जो दैत्यों का हनन करने वाली हैं, 

600. ॐ दक्ष यज्ञ विनाशिन्यै नमः- जिन्होंने पति का अपमान न सह सकने के कारण 
    पिता दक्ष का यज्ञ विध्वंस कर दिया था, तथा- 
601. ॐ दरान्दोलित दीर्घाक्ष्यै नमः- जिनकी कम्पायमान बडी-बडी आंखें हैं, 

     उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

602. ॐ दर हासोज्ज्वलन्मुख्यै नमः- जिनके मुख पर मधुर मुस्कान है,
603. ॐ गुरुमूर्तये नमः- जो अंधकार को मिटाने वाले गुरु की मूरत हैं, 
604. ॐ गुणनिधये नमः- -जो गुणों की खान हैं, तथा-

605. ॐ गोमात्रे नमः- जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली गोमाता सुरभि हैं, 

   उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

606. ॐ गुहजन्मभुवे नमः- जो गुह अर्थात सुब्रहमन्यम, कार्तिकेयऔर मुर्गुन स्वामी 

      की माता हैं

607. ॐ देवेश्यै नमः- -जो देवताओं की "रक्षक" हैं, तथा-

608. ॐ दण्ड नीतिस्थायै नमः- जो न्याय करती हैं और बिना पक्षपात के दण्ड देती हैं,
   उन्हें बार-बार नमस्कार हो । 
609.  ॐ दहराकाश रूपिण्यै नमः-  "दहर उत्तरेभ्यः" ब्रह्मसूत्र में जो उस  दहर आकाश 
   की प्रकृति-स्वरूपा हैं जिसका संबंध ब्रह्म से है,उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।   
610. ॐ प्रतिपन्मुख्यरा कान्त तिथि मण्डल पूजितायै नमः – जो शुक्लपक्ष. की पूर्णिमा
   को पूजी जाती हैं, तथा- 
   611. ॐ कलात्मिकायै नमः- जो सौंदर्य, रचनात्मकता और ज्ञान का प्रतिनिधित्व 

   करती हैं, ऐसी कलात्मक देवी को बार-बार नमस्कार हो ।

 612. ॐ कलानाथायै नमः- कला, ज्ञान और कौशल की स्वामिनी को बार-बार

     नमस्कार हो ।

 613. ॐ काव्यालाप विनोदिन्यै नमः—जो कविता, संगीत व अन्य कलाओं की

    "ज्ञाता" हैं और उनका आनंद लेती हैं  

  614. ॐ सचामर रमावाणी सव्यदक्षिण सेवितायै नमः- जिनके बांयी ओर माता

       "लक्ष्मी" और दांयी ओर माता “सरस्वती” पंखा झल रही हैं

  615. ॐ आदिशक्तयै नमः- जो पूरे ब्रह्माण्ड की परा शक्ति हैं, तथा- 

  616. ॐ अमेयात्मायै नमः- जो  ''अणु से भी सूक्ष्मतर, महान् से भी महत्तर, 'आत्मतत्त्व
     प्राणी की हृद्-गुहा में निहित हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

  617. ॐ आत्मने नमः- जो आत्मा की सर्वोच्चता और अपने भीतर की दिव्यता  हैं,

  618. ॐ परमायै नमः- जो सर्वशक्तिमान हैं,

  619. ॐ पावना कृतये नमः- जो अत्यन्त पवित्र हैं,

620. ॐ अनेक कोटि ब्रह्माण्ड जनन्यै नमः- जो करोडों कोटि ब्रह्माण्डों की जननी हैं, 
          उन्हें  बार-बार नमस्कार हो ।

621. ॐ दिव्य विग्रहायै नमः- जो दिव्य आकृति वाली हैं जो शुम्भ दानव को 
         मारने के लिए आकाश में विशालकाय हो गईं,  

622. ॐ क्लीङ्कार्यै नमः-  जो काम बीज क्लीं रूपा हैं [ का अर्थ है शिव 

   और लं का अर्थ है- शक्ति] अर्थात जो शिव की शक्ति हैं,

623. ॐ केवलायै नमः- जो पूरी तरह से शुद्ध चेतना के रूप में अपने 

      वास्तविक “स्व” में स्थापित है।" अर्थात जो संसार के हर गुण- अवगुण,

       सुख-दु:ख और लाभ-हानि से परे हैं, तथा-

624. ॐ गुह्यायै नमः- जो रूप और प्रकृति दोनों में गुप्त हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार 

              नमस्कार हो ।
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                                                                 अगला लेख--------625-659
 
   

























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