ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 560- 593

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--------------------------------------------निरुपमा गर्ग

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560. ॐ दाडिमी कुसुम प्रभायै नमः- जो अनार के फूल की तरह चमकती हैं,

561. ॐ मृगाक्ष्यै नमः- जिनकी आंखें हिरणी की तरह लंबी और सुंदर हैं,
562. ॐ मोहिन्यै नमः- जो ममोहक हैं, तथा- 
563. ॐ मुख्यायै नमः- जो आदि शक्ति हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो । 
564. ॐ मृडान्यै नमः- जो मृदा (शिव) की पत्नी हैं,

565. ॐ मित्ररूपिण्यै नमः- जो सबकी (ब्रह्मांड की) मित्र हैं, 

566.   ॐ नित्यतृप्तायै नमः- जो सदैव संतुष्ट रहती हैं,

567ॐ भक्तनिधये नमः- -जो भक्तों के लिए कृपा-निधि [ खजाने] हैं, तथा-

568.  ॐ नियन्त्र्यै नमः- जो समस्त संसार को नियंत्रित करती हैं और सही दिशा दिखाती हैं,

        उन्हें  बार-बार नमस्कार हो । 

569.  ॐ निखिलेश्वर्यै नमः- जो समस्त संसार पर शासन करती हैं

 570.  ॐ मैत्र्यादि वासना लभ्यायै नमः- जो प्रेम और सरल भाव से प्राप्त की जा सकती हैं

 571.  ॐ महाप्रलय साक्षिण्यै नमः- जो महा प्रलय की साक्षी हैं, तथा-

 572.  ॐ पराशक्त्यै नमः- जो सर्वशक्तिमान परा शक्ति हैं, उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।

  573.  ॐ परानिष्ठायै नमः- -जो सृष्टि की आदि और अन्त हैं , और मध्य में यही पालन करती हैं,

  574.  ॐ प्रज्ञान घन रूपिण्यै नमः- जो सर्वोच्च ज्ञान का साकार रूप हैं,

   575. ॐ माध्वीपानालसायै नमः- जो मधुपान के नशे में चूर हैं ,
   576. ॐ मत्तायै नमः- -जो नशे में चूर प्रतीत होती हैं, तथा- 

  577. मातृका वर्ण रूपिण्यै नमः- जो वर्णमाला रूपिणी हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार 

          नमस्कार हो ।

 578. ॐ महाकैलास निलयायै नमः- -जो महा कैलाश पर निवास करती हैं,

 579. ॐ मृणाल मृदु दोर्लतायै नमः—जिनकी बाहें कमल के तने की भांति कोमल हैं ,
  580. ॐ महनीयायै नमः- -जो प्रशंसनीय हैं ,
  581. ॐ दयामूर्त्यै नमः- जो दया की मूरत हैं, तथा-
 582. ॐ महा साम्राज्य शालिन्यै नमः- -जो तीनों लोकों की स्वामिनी हैं , उन्हें बार-बार नमस्कार हो ।
 583. ॐ आत्म विद्यायै नमः- -जो आत्म विद्या की भण्डार हैं ,
 584. ॐ महाविद्यायै नमः- जो महाविद्या हैं , 
 585. ॐ श्रीविद्यायै नमः-जो ज्ञान, बुद्धि, कला और कौशल प्रदान करने वाली  श्रीविद्या हैं, 
  586. ॐ कामसेवितायै नमः- जो कामदेव के द्वारा पूजी जाती हैं, तथा-
  587. ॐ श्रीषोडशाक्षरी विद्यायै नमः- -जो श्री विद्या उपासना के षोडशाक्षरी मंत्र

   में निवास करती हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो । 

  588. ॐ त्रिकूटायै नमः- जिनको वाक्भाव कूट, कामराज कूट, और शक्ति कूट- इन
   तीन भागों वाले पंचदशी मंत्र समर्पित है, 
  589. ॐ कामकोटिकायै नमः- जो शिव के निर्गुण और शक्ति के सगुण अर्थात
     अर्धनारीश्वर रूप में विराजमान हैं, 
  590. ॐ कटाक्ष किङ्करी भूत कमला कोटि सेवितायै नमः- -जिनकी अनगिनत धन-सम्पदा 
   प्रदान करने वाली लक्ष्मियां सेवा में खडी रहती हैं,  
  591. ॐ शिरःस्थितायै नमः- जिनका निवास हज़ार पंखुडियों वाले मुकुट चक्र में है 
  और जो संसार में जगत गुरु माता के रूप में पूजा की अधिकारिणी हैं, 
  592. ॐ चन्द्रनिभायै नमः- -जो चन्द्रमा की भांति देदीप्यमान हैं, तथा- 
  593. ॐ भालस्थायै नमः—जो आज्ञा चक्र में ह्रीं की बिन्दू में स्थित हैं,उन्हें 
          बार-बार नमस्कार हो । 
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