ललिता सहस्त्रनाम-हिन्दी व्याख्या- 490- 528

 


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----------------------------------------------निरुपमा गर्ग

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before Navratri 2025.

490. ॐ रुधिर संस्थितायै नमः- जो जीवित प्राणियों के शरीर में रक्त की अध्यक्षता करती हैं,

491. ॐ कालरात्र्यादि शक्त्यौघवृतायै नमः- जो कालरात्रि और अन्य शक्तियों से घिरी हुई हैं,

492. ॐ स्निग्धौदन प्रियायै नमः- जो घी, तेल और अन्य पदार्थों से बने भोजन की शौकीन हैं, 
493. ॐ महावीरेन्द्र वरदायै नमः-जो महान योद्धाओं को वरदान देती हैं, तथा- 
494. ॐ राकिण्यम्बा स्वरूपिण्यै नमः- जो राकिनी देवी के रूप में हैं,उन्हें बार-बार
  नमस्कार हो ।
495. ॐ मणिपूराब्ज निलयायै नमः- जो मणिपूरक चक्र में दस पंखुड़ियों वाले कमल
   में निवास करती हैं, 
496. ॐ वदन त्रय संयुतायै नमः- जिन के तीन चेहरे हैं,
497. ॐ वज्राधिका युधोपेतायै नमः- जो वज्र और अन्य हथियार रखती हैं, तथा-
498. ॐ डामर्यादि भिरावृतायै नमः- जो दामरि तथा अन्य उपस्थित देवताओं से 
  घिरी हुई हैं,उन्हें बार-बार नमस्कार हो । 
499. ॐ रक्त वर्णायै नमः- जो लाल रंग की हैं 
500.  मांस निष्ठायै नम- जो  राक्षसों के मांस की शौकीन हैं 
501. ॐ गुडान्न प्रीत मानसायै नमः- जो गुड से बने चावल का भोग पसंद करती हैं,तथा- 
502. ॐ समस्त भक्त सुखदायै नमः- जो समस्त भक्तों को सुख देती हैं,उन्हें 
     नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो ।
503. ॐ लाकिन्यम्बा स्वरूपिण्यै नमः- जो लाकिनी योगिनी स्वरूपा हैं 
 504. स्वाधिष्ठानाम्बुज गतायै नमः- जो स्वाधिष्ठानाम्बुज अर्थात कमल में स्थित हैं 
505. ॐ चतुर्वक्त्र मनोहरायै नमः- जिनके चार सुन्दर मुख हैं,तथा- 
506ॐ शूलाद्यायुध सम्पन्नायै नमः- जिनके हाथों  में त्रिशूल, फंदा, खोपडी और
       अभय शस्त्र हैं,उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
507. ॐ पीतवर्णायै नमः- जिनका वर्ण पीले स्वर्ण जैसा है 
508. ॐ अतिगर्वितायै नमः- -जो गौरान्वित रहती हैं 
509. ॐ मेदोनिष्ठायै नमः- -जो प्राणियों की चरबी में रहती हैं,तथा- 
510. ॐ मधुप्रीतायै नमः- जो शहद और शहद से बनी चीजों की शौकीन हैं, उन्हें 
     नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
511. ॐ बन्धि न्यादि समन्वितायै नमः- जिनकी सेवा में अनेक बन्धिनी व शक्तियां 
 खडी रहती हैं, 
512. ॐ दध्यन्नासक्त हृदयायै नमः- जिनको दही से बने हुए भोग रुचिकर लगते हैं, 
512. ॐ दध्यन्नासक्त हृदयायै नमः- जिनको दही से बने हुए भोग रुचिकर लगते हैं, तथा-
513. ॐ काकिनी रूप धारिण्यै नमः- जिन्होंने काकिनी योगिनी का रूप धारण कर 
रखा है जो  64 तान्त्रिक योगिनियों में से एक हैं जिनका सम्बन्ध ह्रदय चक्र से रहता है 
 तथा जो काले हिरण पर सवारी करती हैं,उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
514. ॐ मूलाधाराम्बुजा रूढायै नमः- -जो मूलाधार के भीतर कमल- पुष्प में रह्ती हैं 
515. ॐ पञ्चवक्त्रायै नमः- जिनके पांच मुख हैं
516. ॐ अस्थि संस्थितायै नमः- जिनका निवास हड्डियों में है, तथा-
517. ॐ अङ्कुशादि प्रहरणायै नमः- जो हरदम अंकुश आदि हथियार रखती हैं, उन्हें 
     नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
518. ॐ वरदादि निषेवितायै नमः- -जिनके साथ वरद आदि शक्तियां रहती हैं, 
519. ॐ मुद्गौदनासक्त चित्तायै नमः- जिनको मूंग दाल से बने भोग पसंद हैं,  
520. ॐ साकिन्यम्बा स्वरूपिण्यै नमः- -जो शाकिनी योगिनी स्वरूपा हैं, तथा-  
521. ॐ आज्ञा चक्राब्ज निलायै नमः- जो आज्ञा चक्र में दो पंखुडियों वाले कमल
 में रहती हैं,उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
522. ॐ शुक्ल वर्णायै नमः- जो श्वेत वर्ण वाली हैं,  
523. ॐ षडान+नायै नमः- जिनके छ: मुख हैं, 
524. ॐ मज्जा संस्थायै नमः- जो अस्थि मज्जा की अधिष्ठात्री देवी हैं, तथा- 
525. ॐ हंसवती मुख्य शक्ति समन्वितायै नमः- जिनकी दो बीज शक्तियां हं और 
"क्षं " सहायिका हैं,उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
526. ॐ हरिद्रान्नै करसिकायै नमः- जिनकी हाकिनी शक्ति केसर-युक्त चावल का भोग पसंद करती है
527. ॐ हाकिनीरूपधारिण्यै नमः- जो हाकिनी रूप धारिणी हैं माता का हाकिनी स्वरूप एक
 तांत्रिक देवी है । इनकी पूजा अक्सर आग्या चक्र को सक्रिय करने के लिए की जाती है ।
 इन को हंसवती और क्षमावती देवी से घिरी हुई माना जाता है, जो बीजा 
हम और क्षमा द्वारा दर्शाए गए दो पंखुड़ियों वाले कमल में स्थित हैं.
 इन्हें  केसर चावल बहुत पसंद है और सभी देवगण उसकी पूजा करते हैं, तथा-  
528. ॐ सहस्रदल पद्म  स्थायै नमः- जो हजार पंखुडियों वाले कमल में निवास करती हैं,
   उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो । 
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