ललिता सहस्त्रनाम- हिन्दी व्याख्या- 359 -399

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----------------------------------------------निरुपमा गर्ग

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before Navratri 2025.

359. ॐ तापसाराध्यायै नमः- जिनकी पूजा तपस्वियों द्वारा की जाती है, 
360. ॐ तनुमध्यायै नमः- जो पतली कमर वाली हैं, 
361. ॐ तमो अपहायै नमः- जो तमोगुण के अंधकार को नष्ट कर देती हैं, तथा-
362. ॐ चित्यै नमः- जो विवेकशील हैं,न्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।  
363. ॐ तत्पदलक्ष्यार्थायै नमः- जो ततअर्थात पूर्ण सत्य हैं, 
364. ॐ चिदेकर सरूपिण्यै नमः- जो ज्ञान का भण्डार हैं, 
365. ॐ स्वात्मा नन्द लवीभूत ब्रह्माद्या नन्द सन्तत्यै नमः-जिनके अपने आनन्द 
  की तुलना में ब्रह्मा और अन्य देवताओं का आनन्द भी तुच्छ है,तथा- 
366. ॐ परायै नमः- जो सर्वोच्च हैं, न्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।  
367. ॐ प्रत्यक् चितीरूपायै नमः- जो अव्यक्त चेतना या अव्यक्त ब्रह्म की 
       प्रकृति स्वरूपा हैं,
368. ॐ पश्यन्त्यै नमः-  ब्रह्म के चार नाद हैं- पारा< पश्यन्ती< मध्यमा और 
     वैखारी | ब्रह्मांड की ध्वनि "ॐ" (ओंकार) पश्यन्ती  नाद जो सूक्ष्म स्तर पर विद्यमान है,
   से मिल कर बनी है  ।  "ॐ पश्यन्त्यै नमः" देवी पश्यन्ती को समर्पित है। देवी पश्यन्ती,
 देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी के चार रूपों में से  एक है जिनका जाप करने से उनकी        कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है ।
369. ॐ परदेवतायै नमः- जो सर्वशक्तिमान< पराशक्ति हैं, तथा-     
370. ॐ मध्यमायै नमः- जो मध्यमा अर्थात पूर्ण यौवना हैं, उन्हें नमस्कार,
          बार-बार नमस्कार हो ।
 371. ॐ वैखरीरूपायै नमः- जो वैखरी अर्थात प्रकट ध्वनि के रूप में हैं, 
372. ॐ भक्त मानस हंसिकायै नमः- जो अपने भक्तों के मन में हंस के समान
     विद्यमान हैं, 
373. ॐ कामेश्वरप्राणनाड्यै नमः- जो कामेश्वर भगवान शंकर की प्राण प्रिया हैं, तथा-
374. ॐ कृतज्ञायै नमः- जो हमारे सभी कार्यों को उनके घटित होते ही जान जाती हैं, 
          उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।  

375. ॐ कामपूजितायै नमः- जो कामदेव द्वारा पूजित हैं,
376. ॐ श‍ृङ्गार रस सम्पूर्णायै नमः- जो श्रृंगार रस से पूर्ण हैं,
377. जयायै नमः- जो सदैव और सर्वत्र विजयी हैं,  तथा-

 378. ॐ जालन्धर स्थितायै नमः- जो जालन्धर पीठ अर्थात भगवान शिव के 
      गले के क्षेत्र में निवास करती हैं, उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
 379. ॐ ओड्याण पीठ निलयायै नमः- जिका निवास स्थान आज्ञा चक्र नामक केंद्र में है, 
380. ॐ बिन्दुमण्डलवासिन्यै नमः - जो बिन्दुमण्डल (श्री चक्र) में निवास करती हैं, 
381. ॐ रहोयाग क्रमाराध्यायै नमः- जिनकी पूजा गुप्त रूप से बलि अनुष्ठानों के माध्यम 
     से की जाती है तथा-
382. ॐ रहस्तर्पण तर्पितायै नमः- जो पूजा के गुप्त अनुष्ठानों से संतुष्ट होती हैं,
     उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो ।
383. ॐ सद्यः प्रसादिन्यै नमः- - जो अत्यन्त दयालु हैं और तुरन्त कृपा करती हैंं,
384. ॐ विश्व साक्षिण्यै नमः- जो पूरे ब्रह्मांड की साक्षी हैं, 
385. ॐ साक्षि वर्जितायै नमः- जिनका कोई अन्य गवाह नहीं है, तथा-
386. ॐ षडङ्ग देवता युक्तायै नमः- जो छह अंगों (हृदय, सिर, बाल, आंखें, कवच और हथियार)
   वाली हैं,उन्हें नमस्कार, बार-बार नमस्कार हो । 
387. ॐ षाड्गुण्य परिपूरितायै नमः- जो छह अच्छे गुणों (समृद्धि, वीरता, वैराग्य, यश,
           धन और बुद्धि) से पूरी तरह संपन्न हैं,
388. ॐ नित्यक्लिन्नायै नमः- जो सदैव दयालु रहती हैं, 
389. ॐ निरुपमायै नमः- जो अतुलनीय हैं, तथा-
390. ॐ निर्वाण सुखदायिन्यै नमः- जो मुक्ति का आनंद प्रदान करती हैं,उन्हें नमस्कार, 
     बार-बार नमस्कार हो । 
 391. ॐ नित्या षोडशिका रूपायै नमः- जो सोलह नित्य देवंगनाओं (अर्थात्,
     कामेश्वरी, भगमालिनी, नित्य क्लिन्ना, भेरुंडा, वह्निवासिनी, महावज्रेश्वरी, शिवदूति,   
    त्वरिता, कुलसुन्दरी, नित्या, नीलापतकिनि, विजया, सर्वमंगल, ज्वालामालिनी, चित्रा
     और त्रिपुरासुंदरI के रूप में विद्यमान हैं, 
392. ॐ श्रीकण्ठार्ध शरीरिण्यै नमः- जो श्रीकण्ठ (शिव) के शरीर का आधा भाग 
      धारण करती है वह जो अर्धनारीश्वर रूप में हैं 
393. ॐ प्रभावत्यै नमः- जो दीप्तिमान हैं, तथा-
394. ॐ प्रभारूपायै नमः- जो तेजस्वी हैं, उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो ।
395. ॐ प्रसिद्धायै नमः- जो जगतभर सर्वशक्ति के रूप में जानी जाती हैं,
396. ॐ परमेश्वर्यै नमः- जो परम परमेश्वरी हैं, 
397. ॐ मूलप्रकृति व्यक्तायै नमः- जो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का आदि कारण हैं, 
398. ॐ व्यक्तायै नमः- जो व्यक्त हैं, तथा-
399. ॐ व्यक्ताव्यक्त स्वरूपिण्यै नमः- जो व्यक्त और अव्यक्त रूपों में हैं,
          उन्हें नमस्कार,बार-बार नमस्कार हो ।   
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