186. खून के रिश्ते बेरहम क्यूं हो जाते हैं ? [Ayodhyakand ]
खून के रिश्ते बेरहम क्यों हो जाते हैं ?
मुख्य कारण-अपने स्वार्थ में अंधे हो जाना । अर्थात ये सोचना कि बस हम सुखी रहें, हमें ही सारा ऐशो आराम हो ।
फिर चाहे वह अपना पति हो या पत्नी हो, बेटी हो या दामाद हो अथवा
अपना बेटा हो या बहू हो । इनमें कोई एक भी स्वार्थी होगा रिश्ते बेरहम होने में देर नहीं लगती । पति पत्नी की हत्या
करने में कौताही नहीं करता, पत्नी पति की हत्या करने में संकोच नहीं करती, बच्चे माता-पिता को दुत्कारने में कोई
लिहाज नहीं करते । इस तरह आपस में ही स्वार्थ के कारण पूरे परिवार को उजाड देते हैं ।
रामचरित में कैकयी का पात्र इस बात का प्रमाण है । उसने भी सोचा था कि भरत राजा बनेगा तो वह राजमाता
बन जाएगी और माता कौशल्या और सुमित्रा उसकी दासियां बन कर रह जाएंगी । इसी स्वार्थ में अंधे हो कर उसने न केवल अपने सुहाग को उजाडा अपितु पूरे परिवार को तहस-नहस कर दिया ।
वहीं दूसरी ओर श्री राम ने परिवार को जोडे रखने के लिए मर्यादा का पाठ पढाया । उन्होंने इतना कष्ट सहा लेकिन परिवार के हर सदस्य को हमेशा सम्मान दिया । उनके व्यवहार में कोई छल-कपट नहीं था,उन्हें किसी से ईर्ष्या नहीं थी , वे किसी की न बुराई करते थे और न ही उन्होंने किसी के साथ बुरा किया । उन्होंने दुनिया को दिखा दिया कि कैसे माता-पिता सम्मान दिया जाता है,कैसे छोटे भाइयों को प्यार दिया जाता है और कैसे अपनी पत्नी की रक्षा की जाती है अर्थात उन्होंने परिवार के हर सदस्य को महत्व दिया । ऐसा करना सांसारिक प्राणियों के बस की बात नहीं ।
उनका तो फिर कहना ही क्या है?
यूं ही वे संसार में पूजे नहीं जाते ।
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