{4} भारत का लाल-लाल बहादुर शास्त्री{कविता}

२ अक्तूबर१९०४ भारत माँ को लाल हुआ
मुगलसराये [वाराणसी] में,पोरबंदर {गुजरात} सा
  व्यक्तित्व एक और  अवतरित  हुआ
डेढ़ वर्ष की उम्र में ही पिता का देहांत हुआ
दो बहनों के संग में उसका, नाना के घर पालन हुआ

न कोई गाड़ी,न कोई बस,नंगे पांव स्कूल गया
कड़ी मेहनत और लग्न से अपनी , भारत का भार संभाल लिया
सन १९१५ में गाँधी का भाषण जो सुना
स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ने का
बस मन में जूनून   सवार हुआ

 सन१९३० में दांडीमाचॅ में भाग लिया
असहयोग आन्दोलन हेतु शिक्षा का परित्याग किया
'अंग्रेजों को न दो भूमिकर"-घर-घर जा कर आह्वान किया
"जातिवाद' और 'दहेज-प्रथा' का जम कर उसने विरोध किया

‘नेशनल डेरी के विकास के हेतु ‘श्वेत क्रांति” को बल दिया
देश में  ‘भुखमरी मिटाने  हेतु  ’हरित क्रांति” पर जोर दिया
दे कर नारा  ‘जय जवान'  जवानों का  , हौंसला   बुलंद किया 
' जय -किसान ' का नारा देकर पाँव पर सबको खड़ा किया  ii 

नहीं छोड़ा कर्तव्य-पथ को , पद-प्रतिष्ठा  को   नीचे रखा  
 राष्ट्रपति-भवन में  हल उसने  , बे  -झिझक   चला दिया 
 ,देश में  पड़ रहे   अकाल  को  भी  गले से उसने उतार लिया  
  भारत माता  भी प्रसन्न हुई  तब  ,  हार  गले  में  भेंट किया  ii 

{  १९०४ ,}2 अक्टूबर  , जो सूर्य था   उदय हुआ 
{ १९६६,} ११ जनवरी   वह  अचानक अस्त हुआ i 
''ताशकंद '' समझौते में , जाने कैसे   देहांत हुआ 
थोड़े समय तक भले रहा हो , देश में क्रांति  ला गया
 द्वितीय प्रधान मंत्री  भारत का यह , ध्रुवतारा  ही  बन गया  

  सौरमंडल में  स्थापित हो कर  , सदा के लिए अमर हुआ ii 
शत-शत नमन उस तारे को, आकाश में जो है  दिख रहा 
सलाम है उस व्यक्तित्व  को, जो दिल में अभी तक  बस रहा ii 

                                                                                                   By: Nirupma Garg






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